Chhattisgarh: सक्ती में टेंडर पास होने के बाद भी 9 साल में नहीं बना पुल, कलेक्टर को जानकारी तक नहीं

Chhattisgarh News: सक्ती जिले में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बात चाहे सड़कों की हो या फिर पुल-पुलिया निर्माण की सभी जगह ठेकेदार मनमानी से काम कर रहे हैं. इसे लेकर लगातार शिकायतें हो रहीं हैं लेकिन इन पर अंकुश लगाने के बजाय अधिकारी-इंजीनियर इन्हें संरक्षण दिए हुए हैं.
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9 साल से अधूरा पूल

Chhattisgarh News: सक्ती जिले में लोक निर्माण विभाग के अंतर्गत बात चाहे सड़कों की हो या फिर पुल-पुलिया निर्माण की सभी जगह ठेकेदार मनमानी से काम कर रहे हैं. इसे लेकर लगातार शिकायतें हो रहीं हैं लेकिन इन पर अंकुश लगाने के बजाय अधिकारी-इंजीनियर इन्हें संरक्षण दिए हुए हैं. आज हम बात कर रहे है हसौद से होकर गुजरी सोननदी में भनेतरा से धमनी (हसौद) के बीच बन रहे निर्माणाधीन पुल की, जिसका निर्माण आज से 9 साल पहले शुरू हुआ था लेकिन 9 साल बाद भी ठेकेदार ने 135 मीटर लंबा बन रहे इस पुल का निर्माण पूरा नही किया है. जिसके कारण भनेतरा, लालमाटी, पिसौद, बरेकेल खुर्द सहित दर्जन भर गांवों के लोगो को तहसील, थाना, हास्पिटल सहित बच्चों को स्कूल जाने के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ रही हैं.

सक्ती में टेंडर पास होने के बाद भी 9 साल में नहीं बना पुल

जिला मुख्यालय सक्ती से करीब 30 किमी दूर स्थित भनेतरा गांव में सोननदी पर 135 मीटर लंबा पुल वर्ष 2015-16 में स्वीकृत किया गया था. इसकी अनुमानित लागत 2 करोड़ 10 लाख रुपये निर्धारित की गई थी. इसका बाकायदा टेंडर भी हुआ ठेकेदार ने निर्माण कार्य शुरू किया नदी के दोनों छोर से पुल का निर्माण भी पूरा हो गया, लेकिन बीच मे करीब 50 मीटर लंबा पुल का निर्माण अधूरा छोड़ दिया गया हैं. ठेकेदार एवं अधिकारियों के लापरवाही के कारण इस पुल के निर्माण में देरी होती रही. लगातार बढ़ती समय सीमा के बीच लोगों की समस्या भी बढ़ती जा रही है यहां लोगों को एक किलोमीटर की सफर तय करने के लिए 8 से 10 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ती हैं. कायदे से इस पुल को वर्ष 2019-20 तक तैयार हो जाना था, जो कि नहीं हो सका, जबकि उसे टेंडर शर्तों के अनुसार पुल के ऊपर 135 मीटर लंबा पुल बनाना था, जो कि ठेकेदार ने नहीं बनाई और पुल का निर्माण अधूरा छोड़कर अपना डेरा समेट लिया. इस मामले को लेकर स्थानीय ग्रामीणों ने कई बार जिला प्रशासन, से लेकर लोक निर्माण के सेतु विभाग को सूचित कर शिकायतें की गईं लेकिन बिना शिकायतकर्ताओं से संपर्क किए अधिकारियों ने मनमाना जवाब लगाकर शिकायतों को बंद करा दिया. इससे ग्रामीणों में रोष देखने को मिल रहा है.

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कलेक्टर को जानकारी तक नहीं

पुल अब तक अधूरा हैं. इस समूचे मामले में अधिकारी ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उल्टा उसके खिलाफ हो रहीं शिकायतों को दबवाने की दिशा में अधिक कार्यरत नजर आ रहे हैं. इधर ग्रामीण पिछले 8-9 सालों से परेशानी झेल रहे है तो उधर जिले के कलेक्टर को मामले की जानकारी ही नही हैं. लोक निर्माण विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, कलेक्टर को इस मामले की जानकारी देना भी जरूरी नही समझ रहे है. इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि विभागीय अधिकारी और ठेकेदार के बीच किस तरह की सेटिंग जमी हुई हैं. यही कारण है कि 9 साल बाद भी विभाग द्वारा ठेकेदार पर किसी तरह की कोई कार्रवाही नही की जा रही है.

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