Chhattisgarh: रायगढ़ में महाविद्यालय डिग्री कॉलेज का छात्रावास बना खंडहर, छात्राओं को नहीं मिल रहा लाभ
Chhattisgarh News: रायगढ़ जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय डिग्री कॉलेज में पढ़ने वाले छात्राओं के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर छात्रावास बनाया गया है, जहां बच्चे रहकर कॉलेज में पढ़ाई कर सकें, लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग कॉलेज प्रबंधन को हैंड ओवर करता उससे पहले हास्टल खंडहर में तब्दील हो गया है, हॉस्टल में लगाए गए खिड़की दरवाजे पंखे और उपयोगी सामानों पर चोरों ने हाथ साफ कर दिया है. करोड़ों की बिल्डिंग अब शोपीस बन कर रह गई है, और महंगे दामों मे रूम लेकर रहने को मजबूर हैं. जिले के सबसे बड़े महाविद्यालय जहां करीबन हर साल 4,500 बच्चे पढ़ाई करने रायगढ़ सहित आस पास के जिले से आते हैं, यहां पढ़ने वाले छात्राओं को आवासीय सुविधा मिल सके, इसके लिए 100 बिस्तर वाला छात्रावास करोड़ों की लागत से बनाया गया था, लेकिन छात्राओं के रहने से पहले ही छात्रावास खंडहर में तब्दील हो गया है और कॉलेज में पढ़ने वाले छात्राएं किराए के मकान में रहने को मजबूर है.
रायगढ़ में महाविद्यालय डिग्री कॉलेज का छात्रावास बना खंडहर
शक्ति जिले से पढ़ने की छात्रा का कहना है कि यदि हॉस्टल हमें अलॉटमेंट हो जाता तो हमें काफी सहोलियत होती आने-जाने में कम समय लगता है, सुरक्षित महसूस कर पाते नियमित रूप से पढ़ाई हो पाती, सारंगढ़ जिले से पढ़ने आई छात्रा ने कहा की समस्या बहुत हो रहा है हमको दूर से पढ़ने आना पड़ता है, पैसा भी खर्च हो रहा है, अगर छात्रावास मिल जाता है तो हमारा पैसा भी बचत हो जाएगा. मैं सरकार दर ख्वाहिश करूंगी की हमारा हॉस्टल जल्द से बना दें.
यह 100 बिस्तर वाला छात्रावास हर वर्ग के छात्राओं के लिए बनाया गया था लेकिन छात्राएं महंगे मकानों में किराए के मकान में रहने को मजबूर है कॉलेज प्रबंधन और पीडब्ल्यूडी की लेट लेतीफी छात्राओं के लिए समस्या बनी हुई है, 2018 में पूर्ण होने वाला छात्रावास अभी तक पूर्ण नहीं हो पाया है वहीं कोरोना कल में चोरों ने छात्रावास में लगे खिड़की दरवाजे और बिजली के उपकरणों पर भी हाथ साफ कर दिया है इधर पीडब्ल्यूडी विभाग का कहना है कि विभाग के अधिकारियों को पत्र लिखा गया है राशी आवंटित होने के बाद काम शुरू किया जाएगा. मामले को लेकर महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ प्रतिबाला बैस का कहना है की 100 सीटर कन्या छात्रावास है, जिसमें सभी बच्चियां प्रवेश ले सकती थी,लेकिन कुछ कमियां थी जिस एजेंसी ने निर्माण किया वहां पर पंखे नहीं लगे हुए थे, उस समय मैं प्राचार्य नहीं थी डॉक्टर एके तिवारी थे सर थे उस समय लेने का था, हमने हॉस्टल इंनचार्ज डॉ सुषमा पटेल को बनाया था, वहां पर हम जब गए तो वहां पंखे नहीं लगे हुए थे.
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इसलिए हमने हैंडोवर नहीं लिया। इधर पीडब्ल्यूडी के एसडीओ मुरारी सिंह नायक का कहना है कि, 2017 में इसके लिए स्वीकृति मिली थी, 2019 में कार्य पूर्ण हो गया था, कंप्लीट होने के बाद हमने तत्कालीन प्रचार महोदय से हैंड ओवर के लिए मिले भी लेकिन उसे समय में उनके पास फर्नीचर अलमारी के लिए फंड नहीं था इस कारण हैंडोवर हो नहीं पाया, कोराना काल आने के कारण 2 साल ऐसी स्थिति आई की बिल्डिंग हैंडोवर नहीं हो पाई, और उसमें चोरी भी हो गई, वर्तमान समय में सारे सामान चोरी हो गए हैं. बता दें कि यह जिले का सबसे बड़ा महाविद्यालय है, जहां करोड़ों रुपए की लागत से छात्रावास बना है.