Chhattisgarh: सुकमा में कहीं पेड़ के नीचे तो कहीं झोपड़ी में पढ़ रहे बच्चे, 5 सालों में नहीं बना पाया विभाग का स्कूल भवन

Chhattisgarh News: कोंटा विकासखंड के इंजराम पंचायत के गेडापाड़ गांव के लगभग 09 नौनिहालों को इन दिनों पेड़ के नीचे पढ़ाई करना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग ने बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए 02 शिक्षक दिया है. इन्हें मध्यान्न भोजन योजना का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन एक अदद भवन मुहैया कराने में शासन और प्रशासन लाचार और बेबस है.
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नीचे बैठ के पढ़ाई करते बच्चे

Chhattisgarh News: निर्माणधीन अधूरे स्कूल भवन, खुले आसमान के नीचे पढ़ाई, पेड़ के नीचे स्कूल, झोपड़ी में स्कूल, ये तमाम दुश्वारियां छत्तीसगढ़ राज्य के अंतिम छोर सुकमा जिले के विकासखंड कोंटा के नौनिहालों की किस्मत बन गयी है. कोंटा विकासखंड में इंजराम पंचायत के प्राथमिक शाला गेडापाड़ के 09 बच्चे पेड़ के नीचे पढ़ाई करने को मजबूर हैं तो वहीं भेजी पंचायत में प्राथमिक शाला वोंदेरपारा के 27 बच्चे लकड़ी के झोपड़ी में पढ़ाई कर रहें हैं.

शिक्षा में गुणात्मक सुधार को लेकर शासन और प्रशासन न केवल लगातार कोशिश कर रहा बल्कि स्कूल की चौखट तक बच्चों को पहुंचाने के लिए कई प्रयास भी कर रहे हैं. जिससे गांव के बच्चे बेहतर शिक्षा प्राप्त कर सके और उनका भविष्य संवर सके, लेकिन सुकमा जिला के विकासखंड कोंटा में ऐसा 17 गांव के स्कूल है जहां आदिवासी बच्चे कहीं पेड़ के नीचे तो कही झोपड़ी में रहकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं.

पेड़ के नीचे पढ़ते हैं बच्चे

कोंटा विकासखंड के इंजराम पंचायत के गेडापाड़ गांव के लगभग 09 नौनिहालों को इन दिनों पेड़ के नीचे पढ़ाई करना पड़ रहा है. शिक्षा विभाग ने बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए 02 शिक्षक दिया है. इन्हें मध्यान्न भोजन योजना का लाभ दिया जा रहा है, लेकिन एक अदद भवन मुहैया कराने में शासन और प्रशासन लाचार और बेबस है. पिछले 05 सालों से इस गांव के बच्चों को शिक्षा मुहैया कराने के लिए गांव में स्कूल निर्माण तो कई ठेकेदारों के ज़रिए किया गया, लेकिन अबतक स्कूल बन नहीं पाया हैं. अलग अलग घरों में पढ़ने के लिए बच्चों को डेरा डालना पड़ रहा था, लेकिन स्कूल भवन अबतक नहीं बनने पर ग्रामीणों ने अपना हाथ खींच लिया जिसके कारण बच्चों को पेड़ के नीचे, खुले आसमान में पढ़ना पड़ रहा है. बरसात गिरने पर पास के घर में शरण लेना पड़ता है या फिर स्कूल की छुट्टी करनी पड़ती हैं.

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झोपड़ी में संचालित स्कूल

एनएच 30 से महज़ 16 किमी दूर स्थित भेजी पंचायत के वोंदेरपारा में 27 बच्चों वाला प्राथमिक शाला एक झोपड़ी में संचालित हैं. पहली से 5वी तक बच्चे एक जगह बैठकर पढ़ते हैं. एक छोटे ब्लैकबोर्ड एक कुर्सी और दो चटाई के अलावा उस स्कूल में कुछ नहीं हैं. पिछले 03 सालों से पक्की भावन निर्माणाधीन हैं. ग्रामीणों का कहना है कि अधिकारी आते जाते हैं, लेकिन कोई देखता नहीं की बच्चे कैसे पढ़ते हैं. तेज बारिश और हवा में हमे डर लगता हैं हमारे बच्चों को कुछ हो न जाएं. जिला प्रशासन को बच्चों के शिक्षा सुधार के लिए पहले भवन निर्माण करवाना चाहिए.

बच्चों को कब मिलेगा भवन

प्राथमिक विद्यालय का संचालन कर रहे शिक्षको का आश हैं जल्द स्कूल बने और बच्चों को उनका अपना पाठशाला मिल सकें. वहीं बच्चे और उनके अभिभावक जिला प्रशासन की ओर टकटकी लगाए बैठे हैं कि इस झोपड़ीनुमा स्कूल भवन और खुले आसमान पेड़ के नीचे स्कूल पर अधिकारियों की नजर पड़ेगी और इसका कायाकल्प होगा. बच्चे विद्यालय की छत के नीचे निडर होकर पठन-पाठन कर पाएंगे. हालांकि सर्व शिक्षा अभियान के तहत पिछले 05 वर्षों से गेडापाड़ भवन निर्माण के लिए कथक प्रयास तो किया जा रहा हैं लेकिन? कब तब यह पूर्ण होगा कहा नही जा सकता जिला प्रशासन को इसपर कार्यवाही करनी चाहिए ताकि लेट लतीफ के चलते और 17 स्कूलों का कार्य शायद जल्द पूर्व हो सकें.

खण्ड शिक्षा पदाधिकारी को जानकारी नहीं

वहीं खण्ड शिक्षा पदाधिकारी पी श्रीनिवास राव का कहना है कि गेडापाड में पेड़ के नीचे स्कूल संचालन की जानकारी उन्हें नहीं थी. उन्होंने बताया कि विद्यालय भवन की जांच कराई जाएगी और वैकल्पिक व्यवस्था कराए जाएंगे. नए भवन का निर्माण सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए) और जनपद पंचायत द्वारा करवाया जा रहा है, इसको लेकर उपायुक्त महोदय का ध्यान आकृष्ट कराया जाएगा.

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