Chhattisgarh Liquor Scam: क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला? जिस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार कर चुकी है ED, 2000 करोड़ के भ्रष्टाचार के मिले थे सबूत

Chhattisgarh Liquor Scam: ईडी ने दावा किया था कि मार्च महीने में एक साथ कई जगहों पर तलाशी ली थी. इस तलाशी में 2 हजार करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के सबूत मिले थे. जांच से पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था.
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फाइल फोटो

Chhattisgarh Liquor Scam: लोकसभा चुनाव को कुछ ही दिन बचे है, ऐसे में एक बार फिर छत्तीसगढ़ के शराब घोटाले की चर्चा शुरू हो गई है. ईडी इस मामले में लगातार कार्रवाई कर रही है. वहीं इस मामले में सुप्रीम कोर्ट से रिटायर्ड आईएएस अनिल टुटेजा और उनके बेटे को राहत मिलने के बाद उनपर ईडी ने एक नई FIR दर्ज की है. इसके अलावा ईडी की FIR में 70 लोगों का नाम भी शामिल है. लेकिन ये शराब घोटाला क्या है? जिसमें तत्कालीन सरकार के मंत्री और प्रशासन के बड़े-बड़े अधिकारियों का नाम है. जिनपर ईडी कार्रवाई कर रही है.

क्या है छत्तीसगढ़ का शराब घोटाला?

छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव 2023 के ठीक पहले यह कथित शराब घोटाला सामने आया था. जिसे लेकर ईडी ने दावा किया था कि यह घोटाला पूरे 2000 करोड़ रुपए का है. साथ ही इस घोटाले में छत्तीसगढ़ के कई बड़े नेता और अफसरों के शामिल होने की भी बात की थी. वहीं इस मामले में मुख्य आरोपी अनवर ढेबर की गिरफ़्तारी भी की गई थी.

ईडी को मिले थे 2 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी के सबूत

दरअसल ईडी ने दावा किया था कि मार्च महीने में एक साथ कई जगहों पर तलाशी ली थी. इस तलाशी में 2 हजार करोड़ रुपए के भ्रष्टाचार और मनी लांड्रिंग के सबूत मिले थे. जांच से पता चला कि अनवर ढेबर के नेतृत्व में एक संगठित आपराधिक सिंडिकेट छत्तीसगढ़ राज्य में काम कर रहा था. अनवर ढेबर एक प्राइवेट कारोबारी है, लेकिन बड़े राजनेता और अधिकारियों के लिए काम कर रहा था. शराब से अवैध कमाई के लिए एक बड़ी साजिश रची और घोटाले को अंजाम देने के लिए व्यक्तियों/संस्थाओं का एक बड़ा नेटवर्क तैयार किया ताकि छत्तीसगढ़ राज्य में बेची जाने वाली शराब की प्रत्येक बोतल से अवैध रूप से पैसा जुटाया जा सके.

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राज्य में प्राइवेट शराब दुकान संचालन की अनुमति नहीं

ईडी ने दावा किया है कि अनवर ढेबर शराब खरीदी से लेकर खुदरा बिक्री और उपभोक्ता तक शराब बेचने के सभी पहलुओं को नियंत्रित करता था. आपको बता दें की राज्य में किसी निजी शराब दुकान की अनुमति नहीं है. सभी 800 शराब दुकान राज्य सरकार द्वारा संचालित की जाती है. इसके लिए छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड से शराब की खरीदी की जाती है. छत्तीसगढ़ राज्य विपणन निगम लिमिटेड टेंडर जारी कर शराब दुकान चलाए जाते है और बोतल निर्माताओं और होलोग्राम निर्माताओं का चयन करते हैं.

कथित शराब घोटाले में बड़े नेता और अफसरों के नाम

बता दें कि ईडी 2019 से 2022 के बीच चले शराब घोटाले की जांच कर रही है. मनी लॉन्ड्रिंग का मामला 2022 के आयकर विभाग के आरोप पत्र से सामने आया था. ED ने आरोप लगाया था कि CSMCL (शराब की खरीद और बिक्री के लिए राज्य निकाय) से खरीदे गए शराब मामले के आधार पर राज्य में डिस्टिलर्स से रिश्वत ली गई थी. ईडी ने दर्ज एफआईआर में विस्तृत ब्यौरा दिया है. इस ब्यौरे के अनुसार अनिल टूटेजा ने अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के साथ सिंडिकेट के रुप में काम किया.

अनवर ढेबर के सहयोगी विकास अग्रवाल उर्फ सुब्बू, अरविंद सिंह, संजय दीवान, देसी शराब डिस्टलर और विभिन्न जिलों में पदस्थ आबकारी अधिकारियों के साथ मिलकर राज्य में शराब की बिक्री में अवैध कमीशन की वसूली और बगैर हिसाब के शराब, शराब की सरकारी दुकानों के जरिए सप्लाई की गई. छत्तीसगढ़ सरकार के करीबी अफसर IAS अनिल टुटेजा, उनके बेटे यश टुटेजा और CM सचिवालय की तत्कालीन उपसचिव सौम्या चौरसिया के खिलाफ आयकर विभाग ने दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में 11 मई, 2022 को याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि छत्तीसगढ़ में रिश्वत, अवैध दलाली के बेहिसाब पैसे का खेल चल रहा है, दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में दायर याचिका के आधार पर ED ने 18 नवंबर, 2022 को PMLA Act के तहत मामला दर्ज किया था.

शराब घोटाले में ईडी की चार्टशीट

ED ने अपनी चार्जशीट में 3 स्तर का घोटाला बताते हुए इसे भाग A, B, C में बांटा. भाग A के तहत CSMCL के MD अरुणपति त्रिपाठी को अपने पसंद के डिस्टिलर की शराब को परमिट करना था, जो रिश्वत-कमीशन को लेकर सिंडिकेट का हिस्सा हो गए थे. देशी शराब के एक केस पर 75 रुपये कमीशन दिया जाना था, जिसे त्रिपाठी डिस्टिलर और सप्लायर से कमीशन लेकर एक्सेलशीट तैयार करते, किससे कितना कमीशन आया, उसे अनवर ढेबर को दिया जाता था. भाग B के तहत अनवर ढेबर और अरुणपति त्रिपाठी के सिंडिकेट ने देशी शराब और अंग्रेजी शराब ब्रांड के होलोग्राम बनाकर बेहिसाब शराब CSMCL की दुकानों में बेचीं, जिससे सीधे तौर से राजस्व की राज्य को हानि हुई. भाग C में डिस्टिलर और ट्रांसपोर्टर से एनुअल कमीशन शामिल है. आपराधिक सिंडिकेट के ज़रिये CSMCL की दुकानों में सिर्फ तीन ग्रुप की शराब बेची जाती थीं, जिनमें केडिया ग्रुप की शराब 52 प्रतिशत, भाटिया ग्रुप की 30 प्रतिशत और वेलकम ग्रुप की 18 प्रतिशत हिस्सा शामिल है.

मामले में 5 लोगों की हुई गिरफ़्तारी

ED ने छत्तीसगढ़ के कथित शराब घोटाले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया. कारोबारी भाई अनवर ढेबर, CSMCL के MD रहे अरुणपति त्रिपाठी, शराब कारोबारी त्रिलोक ढिल्लन, नितेश पुरोहित और अरविन्द सिंह को गिरफ़्तार किया गया है, जो जेल में हैं.

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