Chhattisgarh: आदिवासियों के ‘लाल बंगले’ को खुद भगवान लक्ष्मण ने किया था सुरक्षित! जानिए क्या है ये रहस्यमयी कहानी

Chhattisgarh News: भुंजिया जनजाति में सबसे खास बात ये है कि इनके रसोई घर इनके घर के बाहर होते हैं.
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फोटो- सोशल मीडिया

Chhattisgarh News: भारत एक ऐसा देश है जो अनेक प्रकार की बोली, भाषा, धर्म, जाति, अपनी संस्कृति और विरासत के लिए जाना जाता है. इसी भारत में एक राज्य ऐसा है जिसे आदिवासियों का गढ़ कहा जाता है. ये कोई और नहीं बल्कि सबसे पिछड़े राज्य के नाम से जाने वाला राज्य छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) है. छत्तीसगढ़ में वैसे तो कई जनजातियां हैं लेकिन आज हम आपको एक ऐसी जनजाति के बारे में बताने जा रहे हैं जो अपने रसोई घर को लाल बंगला (Lal Bangla) कहते हैं. इस जनजाति का नाम है भुंजिया जनजाति (Bhunjiya Tribals). भुंजिया जनजाति को राज्य सरकार ने विशेष रूप से पिछड़ी जनजाति का दर्जा दिया है.

क्या है लाल बंगले की कहानी?

भुंजिया जनजाति में सबसे खास बात ये है कि इनके रसोई घर इनके घर के बाहर होते हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उसे साफ रखा जा सके और इसी रसोई घर को वे ‘लाल बंगला’ कहते हैं.

अपने ही लाल बंगले क्यों तोड़ देते हैं भुंजिया जनजाति के लोग?

भारत में ऐसी कई पौराणिक कथाएं और मान्यताएं है जिसमें लोगों की जाति के वजह से उनको कई चीजों से वंचित रखा जाता है. समाज में आज भी भेदभाव व्याप्त है. ठीक वैसे भुंजिया जनजाति के लोग भी भेदभाव और छुआ-छूत में विश्वास रखते हैं. दरअसल बात ये है कि अगर कोई अन्य परिवार, दूसरे गोत्र का या इनकी जनजाति के बाहर का व्यक्ति इनके लाल बंगले को गलती से भी छू दे…तो ये अपने बंगले को तुरंत तोड़ देते हैं. भुंजिया जनजाति के लोगों को लगता है कि उनका रसोई घर अपवित्र हो गया है.

जब लाल बंगले की सुरक्षा के लिए खुद पहुंचे लक्ष्मण

भुंजिया जनजाति की कहानी त्रेता युग से जुड़ी हुई है. दरअसल जब भगवान राम और माता सीता 14 साल के वनवास के लिए गए थे और माता सीता का अपहरण हुआ था तब लक्ष्मण जी ने माता सीता की सुरक्षा के लिए लक्ष्मण रेखा खींची थी. लेकिन रेखा से बाहर निकलने के कारण माता सीता का अपहरण हो गया.

जब श्रीराम और लक्ष्मण माता सीता को ढूंढते हुए भुंजिया जनजाति के लोगों के पास पहुंचे और उनसे घटना का जिक्र किया, तब लोगों में भी डर पैदा हो गया. ऐसे में उन्होंने लक्ष्मण से अपनी इच्छा जताई कि उनकी सुरक्षा के लिए भी लकीर खींच दें. तब लक्ष्मण ने भुंजिया जनजाति के लोगों से आग्रह किया कि वे एक नया घर बनाएं. उसकी सुरक्षा के लिए लक्ष्मण ने तीन लक्ष्मण रेखा खींची. उसी दिन से ये प्रथा आज तक चली आ रही है. जिस जगह पर ये घटना हुई वो जगह राजधानी रायपुर से लगे जिले गरियाबंद में है. इस इलाके के आसपास भुंजिया जनजाति के लोग भी रहते हैं.

भुंजिया जनजाति कैसे अस्तित्व में आई?

मान्यताओं के अनुसार, भुंजिया जनजाति की उत्पत्ति भगवान शिव और माता पार्वती से जुड़ी हुई है. ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव और माता पार्वती जब इलाके में आए, तब जिस झोपड़ी में वे रुके थे, वहां एक पुतला और एक पुतली रखी हुई थी. अचानक पुतला और पुतली में आग लग गई. जलने को आम भाषा में भुजना भी कहा जाता है और वहीं से इनका नाम भुंजिया जनजाति रखा गया.

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