Chhattisgarh: सरकार ने नक्सलियों को लेकर फोर्स को किया फ्री हैंड, अब आर या पार की लड़ाई लड़ेगी सरकार
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ और इससे लगे राज्य कई दशकों से नक्सल समस्या से ग्रस्त है, और लगातार इस समस्या से निजात पाने का प्रयास कर रही है, लेकिन सरकार अब तक कामयाब नहीं हो पाई है, लेकिन बीते कुछ समय से सरकार ने तय कर लिया है कि अब “आर या पार” की लड़ाई होगी.
सरकार ने नक्सलियों को लेकर फोर्स को दिया फ्री हैंड
नक्सलवाद जो की एक विचारधारा की लड़ाई थी, अब वह देश के आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ी चिंता और चुनौती बन गई है, माओवादियों ने पहले धीरे-धीरे गांव में काम करते हुए अपनी पकड़ बनाई वैचारिक संघर्ष कब सशस्त्र संघर्ष में बदल गया पता ही नहीं चला . “नक्सली मुक्त भारत मिशन” को लेकर केंद्र और राज्य सरकार बहुत ज्यादा गंभीर है और लगातार चल रहे एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए सरकार ने फोर्स को फ्री हैंड दे दिया है. जंगलों में घुसो और नक्सलियों को खत्म करो. सिर्फ यही नहीं सरकार ने जहां एक तरफ जवानों को फ्री हैंड दिया है, तो वहीं नक्सलियों से लगातार यही अपील कर रही है कि आप आत्मसमर्पण करके मुख्य धारा में वापस लौट आओ. नक्सलियों का सबसे ज्यादा पप्रभावित स्थान छत्तीसगढ़ माना जाता है . छत्तीसगढ़ से लगे राज्य महाराष्ट्र, उड़ीसा, झारखंड, और आंध्रप्रदेश व तेलंगाना जैसे राज्य भी इससे प्रभावित है.
छत्तीसगढ़ के 18 जिलों में नक्सल समस्या
जितनी बड़ी समस्या छत्तीसगढ़ में है, उतनी बाकी राज्य में नहीं है. छत्तीसगढ़ के 18 जिले नक्सल प्रभावित हैं जिसमें सुकमा,बीजापुर,दंतेवाड़ा,नारायणपुर समेत 7 जिले अति नक्सल प्रभावित क्षेत्र मे शामिल है . इसलिए केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ पर ज्यादा फोकस किया है और छत्तीसगढ़ को लगातार संसाधन व सुविधा दे रही है, ताकि यहां से भी नक्सली समस्या को समाप्त किया जाए. इन प्रयासों का परिणाम स्वरूप यह देखने को मिल रहा है कि, पहली बार बारिश के मौसम में भी फोर्स ऑपरेशन कर रही है सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि लगातार सफल भी हो रही है, इसका कारण ये भी है की जहां फोर्स ने अपनी प्लानिंग पे काम किया है वही सरकार ने भी नीतियाँ बनाने में सावधानी बरती है.
जहां एक तरफ नक्सली, दूसरी तरफ सरकार, बीच में ग्रामीण परेशान
सरकार ने अब नक्सलियों से लड़ाई के लिए डीआरजी पर ज्यादा ध्यान दिया है और हजारों स्थानीय युवाओं को इस फोर्स मे शामिल किया है, स्थानीय युवाओं के होने के कारण अब वहाँ की परिस्थितियों को समझने और मौसम के विपरीत जाकर ऑपरेशन करने में सहूलियत हो रही है, इसलिए नक्सली के खिलाफ डीआरजी के साथ लगभग 65 हजार जवान तैनात है परिणाम स्वरूप फोर्स पहले की अपेक्षा ज्यादा सफल हो रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 1500 से ज्यादा सक्रिय नक्सली छत्तीसगढ़ में है और अपनी एक अलग सरकार चला रहे हैं. नक्सलियों के मदद के लिए कई मददगार हैं, भले ही वह मददगार ग्रामीण हों, ग्रामीणों अपने मजबूरी व अपने जान के डर उनकी मदद करते है. यदि वह नक्सलियों की बात नहीं मानेंगे तो उन्हें जान का खतरा होगा. जहां एक तरफ नक्सली है तो दूसरी तरफ सरकार है, जो लगातार विकास करने के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को नक्सल मुक्त करना चाहती है,जिसके लिए वह भी ग्रामीणों की मदद चाहते हैं क्योंकि ग्रामीणों के सहयोग के बिना कोई भी काम संभव नहीं है.
नक्सल मुक्त क्षेत्र में दी जा रही कई सुविधाएं
नक्सल मुक्त क्षेत्र में स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र, राशन की दुकान, खोली जा रही है, और ग्रामीणों को भी कई सुविधाएं दी जा रही है. कई अंदरुनी गांव में मोबाइल नेटवर्क और इंटरनेट की सुविधाओं को पहुंचाया गया है, सड़क- पुल इत्यादि का काम भी जोरों पर है, जिस राशन के लिए कई-कई किलोमीटर दूर सफर तय करना पड़ता था, अब वो राशन उन्हें गांव पर ही मिल रहा है, जहां बारिश में नदियों के जलस्तर बढ़ने के कारण आवन जावन की स्थिति पूरी तरह बंद हो जाती थी, लोग जान जोखिम में डालकर नदिया पार किया करते थे, अब उन नदियों पर पुल की सुविधा मिल रही है. विकास के इन सभी कार्यों के साथ-साथ सरकार ने पुलिस को अब सीधे निर्देश दे दिया हैं कि, जंगल में घुसो और नक्सलियों को खत्म करो, ऐसे में अब जब पुलिस नक्सलियों के गढ़ कहे जाने वाले अबूझमाड़ जैसे क्षेत्रों में ऑपरेशन लॉन्च कर रही है, और नक्सलियों को नुकसान पहुंचा रही है तो नक्सली पलायन कर रहे हैं और सीमा पार कर रहे हैं, लेकिन अब केंद्र की सरकार कमर कस चुकी है और सभी राज्यों के फोर्स को खुली छूट दी है.
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जल्द नक्सल मुक्त होगा छत्तीसगढ़
इसका परिणाम यह है कि जब नक्सली छत्तीसगढ़ से दूसरे राज्य में जा रहे हैं तो, वहां की पुलिस उन्हें मार रही है. अभी गढ़चिरौली में हुआ मुठभेड़ इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. तो अब नक्सली चारों तरफ से घिर गए हैं और सरकार उन पर बुरी तरह टूट पड़ी है. सरकार अब केवल एक ही लक्ष्य लेकर आगे बढ़ रही है वो है नक्सलियों का खात्मा. अब नक्सली सरेंडर करें या खात्मे के लिए तैयार रहें. इस अभियान के तहत पिछले कुछ ही महीने में लगभग 150 नक्सली मारे गए हैं, 520 से ज्यादा नक्सलियों ने सरेंडर किया है, और वही 600 से ज्यादा नक्सलियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. पिछले कई दशक में यह सशस्त्र बल की सबसे बड़ी सफलता है और अब जवानों का मनोबल बहुत ज्यादा बढ़ा हुआ है, क्योंकि अब नए प्लानिंग और सुविधाओं के साथ जवान लगातार सफलता हासिल कर रहे हैं. ऐसे में अब देखना होगा कि क्या सच में यह लड़ाई निर्णायक होने वाली है और छत्तीसगढ़ भी नक्सल मुक्त होगा या फिर यह अनवरत संघर्ष ऐसे ही जारी रहेगा.