Chhattisgarh: कवर्धा के साधराम हत्याकांड मामले में NIA की जांच जारी, कई अहम सबूत मिले
Chhattisgarh News: कवर्धा के साधराम हत्याकांड मामले में पुलिस ने एक नाबालिग समेत 6 लोगो को गिरफ़्तार कर लिया है वही इस पूरे मामले में यूएपीए की धारा भी लगा दी गई है लेकिन यूएपीए को स्थापित करने के मामले में सबूत को लेकर पुलिस उतनी मजबूत नहीं है. गौरतलब यह भी है कि चालान जमा करने की अंतिम मियाद (17 जुलाई) के पहले पुलिस को प्रमुख अभियुक्त अय्याज के करीब पाँच साल पुराने मोबाइल से सनसनीखेज़ डाटा हाथ लगा है लेकिन यह डाटा भी कोर्ट में पुलिस के पक्ष को कितना मजबूती देगा इस पर संशय बना हुआ है.
जानिए क्या है साधराम हत्याकांड का मामला?
छत्तीसगढ़ के कबीरधाम के कवर्धा कोतवाली थाना क्षेत्र के लालपुर कला गांव में बीते 21 जनवरी की सुबह पचास वर्षीय साधराम यादव नामक व्यक्ति का शव मिला था वही साधराम यादव चरवाहा का काम करता था पुलिस ने पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया जिसमें एक नाबालिग शामिल है. वही इन आरोपियों ने बताया शनिवार-रविवार की दरमियानी रात के समय घटनास्थल पर साधराम यादव व इन आरोपियों के बीच विवाद हुआ था हत्या इसी विवाद की परिणति थी.
साधराम यादव की हत्या गला रेत कर की गई थी हत्या के सभी आरोपी मुस्लिम थे जहां गला रेत कर हत्या के तरीके ने पुलिस का शक और भी बढ़ा दिया है वही पुलिस को प्रमुख आरोपी अय्याज खान के चार मोबाईल मिले जिनकी जाँच में यह परिलक्षित हुआ कि अय्याज मुस्लिम आतंकियों से अंदर तक प्रभावित था वही पुलिस ने डाटा एनालिसिस से यह पाया कि वह कश्मीर भी लगातार गया था और उसके कश्मीर में संदिग्ध लोगों से संवाद था साधराम हत्याकांड के ठीक अगले दिन 22 जनवरी को अयोध्या में रामलला मंदिर पूजन था. इन सभी बिंदुओं को दृष्टिगत रखते हुए पुलिस ने 17 फरवरी को यूएपीए की धारा 16 को मामले में जोड़ दिया.
NIA जांच का ऐलान, लेकिन NIA ने साधी चुप्पी
साधराम हत्याकांड मामले में कवर्धा पुलिस ने मोबाइल में मिले कुछ डाटा के आधार पर यूएपीए की धारा जोड़ी है. वही 28 फरवरी को साधराम यादव के परिजनों ने क्षेत्रीय विधायक सह गृहमंत्री विजय शर्मा के साथ मुख्यमंत्री विष्णु देव साय से 28 फरवरी को मुलाक़ात की तथा परिजनों ने उच्च स्तरीय जांच की मांग की जिस पर सीएम विष्णुदेव साय ने मामले की जाँच NIA को सौंपने का एलान कर दिया लेकिन इस समाचार की पंक्तियों के लिखे जाने तक NIA ने इस केस को अपने हाथ में नहीं लिया. NIA की ओर से लिखित में ऐसा कोई अभिमत नहीं आया है. जिससे यह माना जाए कि NIA ने यह मामला विवेचना के लिए तैयार कर लिया है.
17 जुलाई को चालान की तारीख, पर अभियोजन ने यूएपीए मे साक्ष्य को लेकर उठाए सवाल
पुलिस को किसी मामले में आरोपी को गिरफ़्तार करने के 90 दिन के भीतर कोर्ट में चालान पेश करना होता है लेकिन यूएपीए मामलों में यह अवधि 180 दिनों की होती है यूएपीए के प्रकरणों में अभियोजन की स्वीकृति सीधे गृह विभाग (राज्य) से मिलती है वही सूत्र बताते हैं कि पुलिस जिस आधार पर यूएपीए लगा चुकी थी इसे लेकर अभियोजन सहमत नहीं था साधराम हत्याकांड मामले में अभियोजन के ही यूएपीए की धारा के लिए साक्ष्य पर सहमति नहीं होने से हड़कंप मच गया वही जबकि यूएपीए के लिए पुलिस के संकलित साक्ष्यों को लेकर गृह विभाग ने सवाल खड़े किए तो सबके होश उड़ गए ज़ाहिर है जिस मामले को आतंकी या मुस्लिम आतंकवाद का एंगल देख यूएपीए लगाया गया हो यदि उसी के चालान की स्वीकृति नहीं मिलती तो कोर्ट में पुलिस की बुरी गत बननी ही थी पुलिस जबकि और ठोस साक्ष्य तलाश रही थी तब अधिकारियों का ध्यान उस लिफ़ाफ़े पर गया जो अप्रैल से टेबल पर पड़ा हुआ था यह लिफ़ाफ़ा पुलिस के लिए कम से कम अभियोजन की स्वीकृति हासिल करने में संजीवनी की हैसियत रखता था इस लिफ़ाफ़े में आरोपी अय्याज खान के मोबाइल का डाटा एनालिसिस था वही सूत्रों के अनुसार इस लिफ़ाफ़े में जो डाटा एनालिसिस है वह एक लाख डाटा प्वाइंट रखता है साथ ही कथित रूप से इस डाटा में कई आपत्तिजनक वीडियो कश्मीर के संदिग्ध अतिवादियों से बातचीत की ऑडियो रिकार्डिंग मौजूद है. यह डाटा एनालिसिस यूएपीए की धारा को सही ठहराने के लिए हलाकान पुलिस के लिए बेहद मजबूत सहारा बन गई है. जिसके आधार पर पुलिस को भरोसा है कि अब अभियोजन स्वीकृति हासिल हो जाएगी.
पुलिस के बंद लिफाफे में किसका डीटेल?
इस लिफाफे में फ़ॉरेंसिंक ने जो डाटा एनालिसिस किया था. वह मोबाईल अय्याज खान का था पुलिस ने प्रारंभिक तौर पर चार मोबाइल बरामद किए थे. इसके बाद पुलिस ने अय्याज खान के घर से एक और मोबाईल बरामद किया है यह अय्याज खान का पुराना मोबाईल था. जिसे वह 2018 तक उपयोग करता था, लेकिन यह बुरी तरह टूटा हुआ था. वही सूत्र से मिली जानकारी के अनुसार शुरुआत में फ़ॉरेंसिंक ने इस मोबाइल से डाटा रिकवरी को लेकर हाथ खड़े कर दिए थे लेकिन फिर किसी तरह से डाटा रिकवर हो गए वही सूत्र बताते हैं कि इस फ़ोन के डाटा एनालिसिस की रिपोर्ट अप्रैल में ही आ गई थी लेकिन किसी का ध्यान ही नहीं गया कि लिफाफे को खोलकर देखते पुलिस इसलिए भी निश्चिंत थी कि चार मोबाईल से जो भी डाटा मिला है उस आधार पर लगाई गई. यूएपीए की धारा को अभियोजन की स्वीकृति मिल जाएगी लेकिन अभियोजन ने यदि असहजता नहीं दिखाई होती तो पुलिस का ध्यान इस बंद लिफाफे पर नहीं जाता.