Chhattisgarh: बलरामपुर में एक भी रेत घाट को नहीं मिला लाइसेंस, माफिया धड़ल्ले से कर रहे खनन
Chhattisgarh News: बलरामपुर जिले में 50 से अधिक रेत घाट अलग-अलग नदियों में हैं जिसमें से 19 रेत घाट के लिए छह माह से रेत खनन के लिए आवेदन खनिज विभाग में लगा हुआ है लेकिन इन आवेदन पर अब तक कार्यवाही नहीं की गई है. यही वजह है कि जिले में एक भी वैध रेत घाट नहीं है और माफिया नियम क़ानून को ताक पर रखकर नदियों से बालू निकाल रहें हैं लेकिन जिम्मेदार अफसर न मफियाओ पर कार्यवाही कर रहें हैं और न ही आवेदनो पर रेत घाट के लिए लाइसेंस जारी कर रहें हैं. इससे माफिया का मनोबल बढ़ा हुआ है और यहां से रेत यूपी और झारखण्ड पहुंच रहा है.
महानदी में रेत माफियाओं ने जमाया कब्जा
बलरामपुर जिले के पंगान नदी, कन्हर नदी, राजपुर क्षेत्र में महानदी में दर्जनो जगह पर माफिया ने अपना कब्जा जमाया हुआ है और दूसरी तरफ छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद एलान किया गया कि प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बनने वाले मकानों के लिए मुफ्त में रेत दिया जायेगा इसके बाद से माफिया अब इसकी आड़ में रेत का ट्रांसपोर्ट और परिवहन कर रहें हैं. रेत घाटो में ट्रेक्टर ट्राली में रेत भरकर अंबिकापुर भी भेजा जा रहा है. राजपुर इलाके के परसवारकला और छिंदियाडांड स्थित रेत घाट से हर रोज 50-60 ट्राली रेत निकल रहा है, और टीपर सहित अन्य वाहनों में भी यहां से अंबिकापुर भेजा जा रहा है, जहां महंगे दाम में रेत बिक रहा है.
ये भी पढ़ें- अब शराब की दुकानों में होगा कैशलेस पेमेंट, तय कीमतों से अधिक नहीं ले सकेंगे दुकानदार
खतरे में नदियों का अस्तित्व
नदियों में रेत के अवैध खनन की वजह से नदियों का अस्तित्व जहां खतरे में है वहीं अब नदियां अप्रैल महीने में ही सूख जा रही हैं. कन्हर नदीकी हालत तो ऐसी हो गई है कि ज़ब पूरा नदी सूख जा रहा है तो पानी के लिए नदी को पोकलेन मशीन लगाकर खोदना पड़ रहा है ताकि उसके बाद जमा होने वाले पानी को पीने के लिए फ़िल्टर प्लांट में सप्लाई किया जा सके. ऐसा ही हाल जिले की दूसरी बड़ी नदियों का है लेकिन ब्लाक और जिला स्तर के अफ़सर रेत मफियाओ के खिलाफ कार्यक्रम करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहें हैं.
अफसर नहीं दे रहे ध्यान
दूसरी तरफ रेत घाटों के लिए सुस्त गति से कार्यवाही होने के कारण सरकार को राजस्व का बड़ा नुकसान हो रहा है, जबकि अगर 19 रेत घाट चालू हो जाते तो कम से हर साल रायल्टी से ही करीब 50 लाख का टैक्स मिलता जिससे डीएमएफ के तरह कई विकास कार्य हो सकते थे तो नदियों में भी बेतरतीब रेत का अवैध खनन नहीं होता. बता दें कि बलरामपुर जिले का दुर्भाग्य रहा है कि यहां के माइनिंग अफ़सर ड्यूटी से हमेशा लापता रहते हैं यहां तक की कलेक्टर ने उन्हें नोटिस जारी किया हुआ है, खनिज अधिकारी कलेक्टर की बैठकों तक में नहीं जाते हैं. ऐसी ही लापरवाही की वजह से खनिज विभाग रेत के अवैध खनन पर कार्यवाही नहीं कर रहा है और न ही रेत घाट के लिए लाइसेंस जारी हो रहा है.