Chhattisgarh: रायपुर के दत्तरेंगा गांव में मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे लोग, आंगनवाड़ी में शौचालय नहीं, स्वास्थ्य केंद्र में लगा ताला
Chhattisgarh News: राजधानी रायपुर से सटे गांव दत्तरेंगा में लोग मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. दत्तरेंगा गांव में संचालित हो रही आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक 2 में शौचालय ही नहीं है. आंगनबाड़ी केंद्र जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ते-खेलते हैं. वहां शौचालय ही नहीं है. छोटे-छोटे बच्चे शौचालय के लिए बाहर जाते हैं. यह सिर्फ एक आंगनबाड़ी की बात नहीं है बल्कि इस गांव के चार आंगनबाड़ियों में से तीन आंगनबाड़ी में शौचालय ही नहीं हैं. इस बारिश के मौसम में छोटी-छोटी बच्चियां या तो आंगनबाड़ी के एक साइड में खुले में शौच कर लेती हैं या फिर शौच करने आंगनबाड़ी के सामने खुले में जाती हैं. इतना ही नहीं आंगनवाड़ी में काम करने वाली कार्यकर्ता और साहियका को भी कभी खुले में तो कभी पड़ोसियों के घर जाकर शौच करना पड़ता है.
दत्तरेंगा गांव में लोगों को नहीं मिल रही मूलभूत सुविधाएं
आंगनबाड़ी में शौचालय तो बनाया गया था लेकिन टॉयलेट खोखला पड़ा हुआ था. टॉयलेट में शीट ही नहीं था. एक छोटे से जगह में बाथरूम बनाया गया था. यह बाथरूम कोई काम का नहीं है, क्योंकि इस बाथरूम में न तो टॉयलेट सीट है, न तो दरवाजा है. खोखले पड़े टॉयलेट में गंदगी पसरा हुआ है. वहीं बाथरूम के ठीक सामने एक पतली सी जगह में बच्चे बारिश के बीच बाथरूम करने बैठते हैं. वहीं कुछ बच्चे तो आंगनबाड़ी के सामने फैले कीचड़ में टॉयलेट करने जाते हैं. आंगनबाड़ी के बाहर आवारा पशुओं का भी जमावड़ा लगा रहता है. समझिए एक तरफ कीचड़ है और एक तरफ जानवर है और बच्चे इसी जगह टॉयलेट करते हैं. कभी भी कोई भी हादसा भी हो सकता है. आंगनबाड़ी में पढ़ने गए मासूम बच्चों ने खुद बताया कि वह बाहर जाते हैं बाथरूम करने, अच्छे तरीके से और स्पष्ट नहीं बोल पाने वाले तोतले आवाज़ में यहां के छोटे छोटे बच्चों ने विस्तार न्यूज़ की टीम से कहा- बाथरूम बनवा दीजिए छोटे-छोटे बच्चे जो अभी ठीक से बोल भी नहीं पाते हैं. वो कह रहे हैं बाथरूम बनवा दीजिए बाथरूम नहीं है.
स्वास्थ्य केंद्र में लगा ताला, ना डॉक्टर ना स्टाफ
यह तो बात हो गई सिर्फ आंगनबाड़ी की, इसी गांव में लोगों के इलाज के लिए आंगनबाड़ी के बगल में उप स्वास्थ्य केंद्र बनाया है, लेकिन जब हम यहां पहुंचे तो स्वास्थ्य केंद्र पर ताला जड़ा हुआ मिला. न ही कोई डॉक्टर नजर आया न हीं कोई मेडिकल स्टाफ. गांव के लोगों का कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र कभी-कभी ही खुलता है.और खुलता भी है तो बहुत लेट से खुलता है. 24 घंटे स्वास्थ्य केंद्र के सामने गायें खड़ी रहती है. स्वास्थ्य केंद्र नहीं खुलने से लोगों को प्राइवेट अस्पताल और प्राइवेट डॉक्टर के पास जाना पड़ता है. वहीं स्वास्थ्य केंद्र के सामने गांव की सड़क पर हमेशा गायों का जमावड़ा लगा रहता है जिससे लोगों को आवाज ही में काफी दिक्कत होती है.
राजधानी से सटे एक गांव के लोग मूलभूत सुविधा के लिए संघर्ष कर रहे हैं. गांव के आंगनबाड़ी में शौचालय तक नहीं है, बच्चों को बाहर शौचालय जाना पड़ रहा है तो वहीं गांव के स्वास्थ्य केंद्र पर ताला जड़ा हुआ मिला…गांव की सड़क पर गायों का जमावड़ा लगा हुआ है, कभी भी कोई भी हादसा हो सकता है.