Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में साहू बनाते हैं सरकार! जानिए लोकसभा चुनाव में कितना अहम है इनकी भूमिका

Chhattisgarh Politics: छत्तीसगढ़ में साहू समाज 6 प्रकार के होते हैं. इसके तहत पहले नंबर पर झरिया साहू समाज आता है.
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साहू समाज के कार्यक्रम में सीएम विष्णुदेव साय

Chhattisgarh politics: छत्तीसगढ़ में विधानसभा चुनाव के बाद अब लोकसभा की तैयारियों में पार्टियां जुट गई हैं. ये सभी अलग-अलग समाज को साधने में लगी हुई हैं. चुनाव में अलग-अलग समाज निर्णायक भूमिका निभाता है. लेकिन सबसे बड़ी भूमिका राज्य का ओबीसी वर्ग निभाता है. विधानसभा चुनाव में भी सभी राजनीतिक पार्टियों ने पूरी ताकत ओबीसी वर्ग को साधने में झोंक दी थी.

छत्तीसगढ़ की राजनीति में ओबीसी वर्ग की भूमिका क्या है?

दरअसल छत्तीसगढ़ की राजनीति में सबसे बड़ा वोट बैंक ओबीसी समाज का है. प्रदेश की कुल जनसंख्या का 52 प्रतिशत ओबीसी हैं. इसमें सबसे  ज्यादा साहू समाज का 22 प्रतिशत हैं. कोई भी चुनाव हो, साहू समाज प्रदेश में निर्णायक भूमिका निभाता रहा है. रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग में समाज का बड़ा दखल माना जाता है. विधानसभा के आदिवासी सीटों को छोड़कर बाकी सभी सीटों पर ओबीसी वोटरों का दबदबा रहा है. इसलिए लोकसभा चुनाव में भी साहू समाज का दबदबा ज्यादा रहता है.

प्रदेश की कितने सीटों पर है प्रभाव

छत्तीसगढ़ में बहुत सा ऐसी विधानसभा सीट हैं जिस पर सीधा प्रभाव साहू समाज का दिखाई पड़ता है. प्रदेश की लगभग 20 सीटें ऐसी हैं, जहां सीधे साहू समाज के वोटर हार-जीत तय करते हैं. इनमें कसडोल,राजनांदगांव, बालोद, गुंडरदेही, अभनपुर, राजिम, दुर्ग ग्रामीण, कुरूद, धमतरी,बेमेतरा जैसी सीटें शामिल हैं. रायपुर जिले की अभनपुर ऐसी सीट है, जहां पिछले 45 साल से साहू समाज से विधायक चुने जाते हैं. 2023 के विधानसभा चुनाव में करीब 32 ओबीसी विधायक चुन कर आए है,. जिसमें सबसे ज्यादा 12 साहू समाज के हैं. कांग्रेस और भाजपा ने कुल 20 साहू प्रत्‍याशी मैदान में उतारे थे. इनमें भाजपा के 11 और कांग्रेस की तरफ से 9 थे. दोनों में 6-6 साहू विधायक बने हैं.

कितना है प्रतिनिधित्व

बता दें कि 1992 से लेकर 2019 तक सात सदस्यों ने लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया है. वहीं 2023 तक विधानसभा की बात की जाए तो 52 लोग साहू समाज से चुनकर सामने आए हैं. 2023 विधानसभा चुनाव की बात की जाए, तो इस समाज स प्रदेश में 12 विधायक चुनकर आए हैं. इसमें बीजेपी से 6 विधायक और कांग्रेस से 6 विधायक जीते हैं. बीजेपी ने साहू समाज के ही अरुण साव को उप-मुख्यमंत्री भी बनाया है.

भक्त कर्मा माता से साहू समाज का कनेक्शन

छत्तीसगढ़ में 22 प्रतिशत साहू समाज के लोग निवास करते हैं और भक्त कर्मा माता साहू समाज की आराध्य देवी हैं. हर साल 7 जनवरी को साहू समाज के लोग राजिम में भव्य कार्यक्रम करते हैं. भक्त माता कर्मा का जन्म सन् 1017 ई को उत्तर प्रदेश राज्य के झांसी नगर नामक स्थान पर हुआ था. साहू समाज ने सामाजिक रूप से भी काफी महत्वपूर्ण भूमिका समाज के लिए निभाई है. इस समाज ने अलग-अलग सामाजिक बुराई को दूर करने का काम भी किया है. इस समाज द्वारा नशा मुक्ति अभियान, सभी समाज को जोड़ने के लिए सद्भावना यात्रा, कम खर्चे पर जोर देने के लिए आदर्श विवाह, मृत्यु भोज जैसी कुप्रथा को बंद करने का काम किया.

कितने प्रकार के हैं साहू

छत्तीसगढ़ में साहू समाज 6 प्रकार के हैं. इसके तहत पहले नंबर पर झरिया साहू समाज आता है. सबसे ज्यादा जनसंख्या झरिया साहू समाज की ही है और ये ज्यादातर किसान होते हैं. दूसरे नंबर में हरदिहा साहू समाज आता है, ये रायपुर,दुर्ग,धमतरी,धमधा के आसपास निवास करते हैं. तीसरे राठौर साहू समाज ,चौथा रंगहा तेली होते हैं. पांचवें स्थान पर वैश्य साहू और फिर तरहाने तेली साहू आते हैं.

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