Chhattisgarh: बिलासपुर में शुद्ध पानी के नाम पर 2 करोड़ बर्बाद, कबाड़ में तब्दील हुए पनघर, वाटर प्लांट भी खराब
Chhattisgarh News: बिलासपुर में लाखों लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध कराने के नाम पर नगर निगम ने दो करोड़ रुपए बर्बाद कर दिया हैं. चौक चौराहे अस्पताल और स्कूलों में सिक्के डालकर शुद्ध पानी प्राप्त करने की योजना पूरी तरह फेल हो चुकी है. लगभग 6 साल पहले नगर निगम के अधिकारियों ने नेहरू चौक, सिम्स, जिला अस्पताल और गौड़पारा समेत तमाम इलाकों में पनघर की स्थापना करवाई गई थी ताकि लोगों को शुद्ध पानी मिल सके लेकिन यह पनघर पूरी तरह कबाड़ में बदल गया है.
कबाड़ में तब्दील हो गए पनघर
मेंटेनेंस के अभाव और मॉनिटरिंग की दिक्कत के कारण ऐसा हुआ है. लोगों का कहना है कि उन्हें कभी भी नगर निगम की बनाई इस योजना का लाभ नहीं मिला और यही कारण है कि बिलासपुर के अलावा जिले में गंदा पानी पीकर लोग डायरिया और संक्रामक बीमारियों के शिकार हो रहे हैं. अस्पतालों में उल्टी दस्त की शिकायतें आम हो चुकी है. शुद्ध पानी का संघर्ष आज तक जारी है. बिलासपुर के लोगों का कहना है कि नगर निगम को जब उस योजना को ठीक तरह से चलाना नहीं था तो आखिर चौक चौराहों पर पन घर वॉटर प्लांट और वॉटर प्यूरीफायर जैसी चीज लगवानी नहीं थी और लगवाए तो इसका मेंटेनेंस भी करवाना चाहिए. कुल मिलाकर स्थिति ठीक नहीं है और ना तो शुद्ध पानी मिल पा रहा है और ना तो लोगों को इसका कोई लाभ यही वजह है कि लोग निगम की इस योजना पर सवाल खड़े करते हुए कह रहे हैं कि यह सिर्फ पैसों की बर्बादी के अलावा कुछ नहीं है जिसमें नगर निगम के अधिकारियों ने दो करोड रुपए लगा दिए हैं.
70 लाख रुपए फिर खर्च करने की तैयारी
सबसे बड़ी बात यह है कि बिलासपुर में नगर निगम के अधिकारियों ने शुद्ध पानी के लिए 10 से अधिक चौक चौराहों पर अलग-अलग तरह के वाटर प्लांट लगाए तो है लेकिन यह बेकाम हो चुके हैं. इसके बावजूद उन्होंने 70 अलग-अलग जगह पर एक-एक लाख रुपए खर्च कर फिर से वॉटर प्यूरीफायर लगाने की योजना तैयार की है और उनका कहना है कि कई जगह यह लग भी गया है. 70 लाख रुपए इस योजना पर खर्च किए जा रहे हैं और secl के csr मद से यह पैसा मिल रहा है. लोगों का कहना है कि एक बार फिर नगर निगम के अधिकारी बिलासपुर में पानी के नाम पर 70 लाख रुपए खर्च करने वाले हैं और यह भी आने वाले दिनों में पूरी तरह बर्बाद हो जाएगा.
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गंदा पानी पीने से फैला डायरिया-हैजा
बिलासपुर जिले में डायरिया और हैजा पूरी तरह फैल चुका है. जून और जुलाई के महीने में इसके 1000 से ज्यादा मरीज सामने आ चुके हैं. पांच से अधिक मौतें हो चुकी हैं लोगों का कहना है कि यदि नगर निगम की यह योजना ठीक चलती तो लोगों को शुद्ध पानी मिलता लेकिन ना तो शुद्ध पानी के लिए लाई गई इस योजना का ठीक तरह से क्रियान्वयन किया गया और ना ही पनघर को ठीक तरह से चला रहे. कुल मिलाकर स्थिति अच्छी नहीं है और इसके चलते ही बीमारी और मरीज लगातार सामने आ रहे हैं. लोगों ने मांग की है कि नगर निगम या तो पनघर, वाटर प्लांटर आरो जैसी व्यवस्था को सुधरवाएं या फिर बिलासपुर में पानी की दिक्कतों को दूर करें तब ही यहां के लोगों का गुजारा होगा नहीं तो बीमारियां और मौतें आने वाले दिनों में तय है.
मामले में हाई कोर्ट ने लिया संज्ञान
बिलासपुर में डायरिया मलेरिया फैलाव को लेकर हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस ने इसके लिए अलग बेंच बनाकर सुनवाई करने की बात कही हैं. शासन से मामले में जवाब मांगा जा रहा है कुल मिलाकर देश की सबसे बड़ी न्याय एजेंसी भी इस मामले में गंभीर है लेकिन नगर निगम के अधिकारी बिलासपुर के लोगों को शुद्ध पानी उपलब्ध नहीं करवा रहे हैं और यही कारण है कि बिलासपुर के लोगों का संघर्ष आज भी जारी है.
पुराने पनघर को करेंगे दुरुस्त – नगर निगम उपायुक्त
बिलासपुर में कबाड़ होते पानगढ़ और वाटर प्लांट को लेकर नगर निगम के उप आयुक्त खजांची कुमार का कहना है कि वह जल्द इसका मेंटेनेंस कराएंगे इसके अलावा बिलासपुर में शुद्ध पानी को लेकर 70 अलग-अलग जगह में वॉटर प्यूरीफायर लगवाए जा रहे हैं, यह पूछने पर की आखिर इनका मेंटेनेंस कैसे होगा उनका कहना है इसका भी मेंटेनेंस कराएंगे और पुराने जो पनघर है उन्हें भी दुरुस्त करेंगे.