Chhattisgarh: मनेंद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर में स्टाप डैम बनाने के नाम पर लाखों का घोटाला! डैम में नहीं रुक रहा पानी

Chhattisgarh News: मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में वन विभाग के अधिकारी बड़ा फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. यहां जंगलों में जल संरक्षण और जंगली जानवरों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपए की लागत से कुछ महीने पहले स्टाप डेम का निर्माण कराया गया, लेकिन अब स्टाप डेम के घटिया निर्माण की कलई खुल गई है और पहले ही बारिश में स्टाप डेम में पानी नहीं रुक रहा है, और बड़े पैमाने पर पानी का रिसाव होना शुरू हो गया है.
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वन विभाग का बनाया गया डेम

Chhattisgarh News: मनेद्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर जिले में वन विभाग के अधिकारी बड़ा फर्जीवाड़ा कर रहे हैं. यहां जंगलों में जल संरक्षण और जंगली जानवरों को पीने का पानी उपलब्ध कराने के लिए लाखों रुपए की लागत से कुछ महीने पहले स्टाप डेम का निर्माण कराया गया, लेकिन अब स्टाप डेम के घटिया निर्माण की कलई खुल गई है और पहले ही बारिश में स्टाप डेम में पानी नहीं रुक रहा है, और बड़े पैमाने पर पानी का रिसाव होना शुरू हो गया है. वहीं वन विभाग के जिम्मेदार अफसर निर्माण स्थल पर निर्माण से संबंधित कोई भी सूचना पटेल नहीं लगाए हैं ताकि आम लोगों को इस निर्माण के बारे में पता नहीं चल सके.

डेम बनाने के नाम पर हुआ लाखों का घोटाला

एमसीबी जिले के कुंवारपुर वन परिक्षेत्र स्थित कुदरा बीट के जंगल में वन विभाग के अधिकारियों के द्वारा स्टाफ डेम का निर्माण कराया गया, लेकिन निर्माण में जंगल में मिलने वाले पत्थर का उपयोग किया गया, जबकि इस निर्माण में उच्च गुणवत्ता वाले पत्थर का उपयोग करना था. अधिकारियों ने पैसा बचाने के चक्कर में नियमों को ताक पर रखकर जंगल से मजदूरों के माध्यम से घटिया पत्थर इकट्ठा करवाया और उसी पत्थर को इस निर्माण कार्य में लगा दिया जबकि इसके निर्माण से संबंधित बिल और वाउचर में क्रेशर से पत्थर खरीदना बताया गया है. स्थानीय ग्रामीणों का कहना है, कि विभाग के अधिकारियों के द्वारा जानबूझकर घटिया निर्माण कार्य कराया गया है क्योंकि जंगल के भीतर होने वाले निर्माण कार्यों को देखने के लिए अधिकारी नहीं पहुंच पाते हैं और इस वन परिक्षेत्र में कई निर्माण कार्य जंगलों में किए गए हैं. जो बेहद घटिया किस्म के हैं. इस स्टाप डेम का निर्माण इसलिए किया गया था ताकि बरसात के दिनों में बहने वाले पानी को जंगली जानवरों के पीने के लिए बरसात के दिनों के लिए सुरक्षित रखा जा सके और साथ ही साथ भूजल स्तर पर भी इसका अच्छा प्रभाव पड़े, लेकिन निर्माण इतना घटिया कराया गया कि यहां बरसात का पानी नहीं रख रहा है और बड़ी तेजी के साथ रिसाव होना शुरू हो गया है जबकि अभी इस मानसून की पहली बारिश हुई है. ऐसे में माना जा रहा है कि आने वाले कुछ महीनो के भीतर तेज बारिश होने पर यह स्टाफ डेम ध्वस्त हो सकता है.

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वन विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों की चल रही मिलीभगत

बता दे की वन विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों के बीच तगड़ी सेटिंग है. इसके कारण उच्च स्तर के अधिकारी भी ऐसे निर्माण कार्यों का जायजा लेने के लिए मौके पर नहीं जाते हैं. बताया तो यह भी जाता है कि वन विभाग में सबसे अधिक कमीशन खोरी है. यहां निर्माण कार्यों में 50% से कम राशि लगाया जाता है और आधी राशि को आपस में अधिकारी कर्मचारी बांट लेते हैं. वहीं वन विभाग के एसडीओ एस एल कंवर का कहना है कि उन्हें इस मामले की जानकारी नहीं है, कि निर्माण में गड़बड़ी की गई है. अगर ऐसा है तो वे इसकी जांच करेंगे.

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