Chhattisgarh: कोयला घोटाले मामले में निलंबित IAS रानू साहू और दीपेश टांक को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत, लंबे समय से जेल में है बंद
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ के कोयला घोटाले मामले के दो आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. सुप्रीम कोर्ट ने कोल लेवी मामले में निलंबित IAS रानू साहू और दीपेश टांक की जमानत मंजूर कर दी है. निलंबित IAS रानू साहू काफी लंबे समय से जेल में बंद हैं.
निलंबित IAS रानू साहू और दीपेश टांक को मिली जमानत
8 जुलाई 2024 को निलंबित IAS रानू साहू को बड़ी राहत मिली है. रानू साहू को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है. रानू साहू की तरफ से मुकुल रोहतगी ने पैरवी की है. रानू साहु के अलावे दीपेश टांक को भी जमानत मिल गयी है, हालांकि ये अंतरिम राहत है. दोनों की 7 अगस्त तक के लिए जमानत मंजूर की गयी है. रानू साहू की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में सुनवाई. जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुवन की बेंच में दोनों की याचिका की सुनवाई हुई. वहीं रानू के सहयोगी रहे दीपेश टांक को भी अंतरिम जमानत दी गई है, जिनपर पर घोटाले में शामिल होने के साथ आईएएस रानू साहू के परिवार वालों को जमीन बेचने का आरोप है. छत्तीसगढ़ के अंदर और बाहर जमीनों की खरीद फरोख्त और सौदे में ब्लैक मनी खपाने को लेकर दीपेश टांक की ईडी ने गिरफ्तारी की थी. जानकारी के अनुसार दीपेश टांक ने पूर्व में गिरफ्तार आरोपियों को 51 एकड़ जमीन बेची थी. इसी गड़बड़ी के आरोप पर ईडी ने दीपेश को गिरफ्तार किया है.
जमानत के बाद फिर से हो सकती है गिरफ़्तारी
बता दें कि रानू साहू को भले ही जमानत मिल गई हो लेकिन EOW और ACB की नई एफआईआर से कयास तो यही लग रहे हैं कि उन्हें जमानत मिलते ही फिर से गिरफ्तार कर लिया जाएगा, लेकिन रानू के सहयोगी दीपेश टांक को राहत मिलती हुई दिखाई दे रही है. जिसे लेकर EOW और ACB चौकन्ना हो गई है. विस्तार न्यूज की पुख्ता जानकारी यही है, तो दोनो का बाहर निकलना आसान नहीं है.
जानिए छत्तीसगढ़ में कैसे हुआ कोयला घोटाला?
दरअसल छत्तीसगढ़ में अवैध कोल लेवी वसूली का मामला ईडी की रेड में सामने आया था. छत्तीसगढ़ के चर्चित कोयला घोटाला को लेकर ED की माने तो छत्तीसगढ़ में 500 करोड़ रुपए से ज्यादा का कोयला घोटाला हुआ है. यह घोटाला साल 2020 से 2022 तक किया गया है. जिसमें पता चला कि कोल परिवहन में कोल व्यापारियों से वसूली करने के लिए ऑनलाइन मिलने वाले परमिट को ऑफलाइन कर दिया गया था. खनिज विभाग के तत्कालीन संचालक आईएएस समीर बिश्नोई ने 15 जुलाई 2020 को इसके लिए आदेश जारी किया था. इसके लिए सिंडिकेट बनाकर वसूली की जाती थी. पूरे मामले का मास्टरमाइंड किंगपिन कोल व्यापारी सूर्यकांत तिवारी को माना गया. जो व्यापारी 25 रुपए प्रति टन के हिसाब से अवैध रकम सूर्यकांत के कर्मचारियों के पास जमा करता था. उसे ही खनिज विभाग पीट पास और परिवहन पास जारी करता था. इस तरह से स्कैम कर कुल 570 करोड़ रुपए की वसूली की गई. जिसमें सौम्या चौरसिया और रानू साहू भी पूरी तरह से संलिप्त थी. प्रवर्तन निदेशालय ने अब तक इसके खुलासे के लिए सैकड़ों जगह छापेमारी करने के बाद मामले में कई लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका है. जिसमें बड़े बड़े अधिकारी भी शामिल हैं जैसा कि हम आपको बता चुके हैं. इन सभी आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद और अब जो पूरा घटनाक्रम हो रहा है, उसके बाद बड़े-बड़े काले कारनामें करने वालों की धड़कने बढ़ी हुई हैं.