बताइये भला! घर की खेती समझ लिए हैं ये तो…

गजब बेइज्जती है, भई ... दमांद बाबू के वचन सुनकर तो आंखों से आंसू आ गए. खैर, चर्चाएं जोरों से हैं कि शुक्ला जी अब फिर से माननीय के निर्देशों का हवाला देकर अपनी मनमर्जी करने वाले हैं.
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