Chhattisgarh: घोटाले और गड़बड़ी के आरोप पर सूरजपुर के मां महामाया शक़्कर कारखाना के निर्वाचित बोर्ड को किया गया भंग

Chhattisgarh News: सूरजपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने बताया है कि कारखाना के बोर्ड को भंग किया गया है. इसका आदेश मिल गया है. वहीं कारखाना के प्रबंधक मति मिंज ने कहा कि बोर्ड को भंग कर दिया गया है, इसके आदेश की कॉपी हमें नहीं मिली है लेकिन कलेक्टर के पास पहुंच गया है.
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मां महामाया शक्कर कारखाना

Chhattisgarh News:सूरजपुर जिले में स्थित मां महामाया शक़्कर कारखाना के निर्वाचित बोर्ड को सहकारिता विभाग के पंजीयक ने भंग कर दिया है. शक्कर कारखाना के निर्वाचित बोर्ड पर कर्मचारियों की नियुक्ति और खरीदी बिक्री में गड़बड़ी और घोटाला का आरोप लगा था, इसकी शिकायत भी हुई थी, इस पर नोटिस भी जारी किया गया था और जवाब से असंतुष्ट सहकारिता विभाग ने यह कार्यवाही की है.

मां महामाया शक़्कर कारखाना के निर्वाचित बोर्ड को किया गया भंग

मां महामाया शक़्कर कारखाना में कांग्रेस समर्थन वाली निर्वाचित बॉडी थी, वहीं अफसरों व यहां के निर्वाचित बॉडी पर भाजपा कार्यकर्ताओ द्वारा गड़बड़ी के कई आरोप लगाए गए थे, इसके बाद ज़ब सरकार बदली तो उम्मीद किया जा रहा था कि इस पर बड़ी कार्यवाही होगी और इसी कार्यवाही के तहत सहकारिता विभाग के पंजीयक ने शक्कर कारखाना के बोर्ड को नोटिस जारी किया और इस पर बोर्ड ने जवाब दिया लेकिन जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, इसके बाद पंजीयक ने बोर्ड को अब भंग कर दिया है. वहीं अब कलेक्टर सूरजपुर को कारखाना संचालन की जिम्मेदारी दी गई है, इस पर कारखाना के पूर्व अध्यक्ष विद्या सागर सिंह ने इस कार्यवाही को राजनैतिक बताया है और कहा है कि यह अन्याय है. हमने नोटिस का जवाब दिया था और गड़बड़ी के आरोप बिलकुल गलत है.

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कलेक्टर रोहित व्यास ने दी जानकारी

सूरजपुर कलेक्टर रोहित व्यास ने बताया है कि कारखाना के बोर्ड को भंग किया गया है. इसका आदेश मिल गया है. वहीं कारखाना के प्रबंधक मति मिंज ने कहा कि बोर्ड को भंग कर दिया गया है, इसके आदेश की कॉपी हमें नहीं मिली है लेकिन कलेक्टर के पास पहुंच गया है.

शक़्कर कारखाना में 15 हजार किसान गन्ना बेचते हैं. किसानों को इस साल अब तक गन्ना का 48 करोड़ रुपये भुगतान किया गया है. वहीं 28 करोड़ का भुगतान अब तक बकाया है, जबकि कारखाना में करीब 36 करोड़ का शक्कर जाम है, जो केंद्र सरकार के कोटा सिस्टम में टेंडर होकर बेचा जा रहा है लेकिन हर माह केंद्र से कोटा मिलता है और जितना शक़्कर बेचने का आदेश कोटा में मिलता है उतना ही शक्कर कारखाना बेच पाता है, इसके कारण कारखाना प्रबंधन जाम शक्कर को नहीं बेच पा रहा है. इससे कारखाना को पैसे नहीं मिल रहें हैं, और इससे किसानों को गन्ना का भुगतान नहीं किया जा सका है.

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