Chhattisgarh: कांकेर में सिस्टम से हारे गांव वालों ने बांस-बल्लियों से बनाया इकोफ्रेंडली पुल

Chhattisgarh News: 15 सालो की मांग के बाद भी जब किसी ने नहीं सुना तो ग्रामीणों ने खुद ही कुल्हाड़ी उठा ली. तीन गांव खड़का, भुरका और जलहुर के ग्रामीणों ने ठान लिया कि वह खुद के लिए पुल तैयार करेंगे. सभी ने मिलकर बांस-बल्लियों का इंतजाम किया और श्रमदान कर कच्चा पुल तैयार किया.
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गाँव वालों ने बनवाया पुल

Chhattisgarh News: कांकेर में अभी भी कई ऐसे इलाके है. जहाँ आज तक विकास के पुल तैयार नहीं हो पाये है. इन्ही ग्रामों में है ग्राम परवी और खड़का. इन दोनों गांवो के बीच मंघर्रा नाला पड़ता है. ग्रामीण 15 सालों से इस नाले पर पुल की मांग करते आ रहे है. वर्ष 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रहे डॉक्टर रमन सिंह से ग्रामीणों ने पुल निर्माण की मांग की थी. आश्वासन दिया गया पर पुल नहीं बना. वर्ष 2019 में सरकार बदल गई. कांग्रेस शासन काल में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने पुल निर्माण की घोषणा भी की. पर पुल फिर भी नहीं बन सका.

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इकोफ्रेंडली पुल ऐसे बनकर हुआ तैयार

15 सालो की मांग के बाद भी जब किसी ने नहीं सुना तो ग्रामीणों ने खुद ही कुल्हाड़ी उठा ली. तीन गांव खड़का, भुरका और जलहुर के ग्रामीणों ने ठान लिया कि वह खुद के लिए पुल तैयार करेंगे. सभी ने मिलकर बांस-बल्लियों का इंतजाम किया और श्रमदान कर कच्चा पुल तैयार किया. इस कच्चे पुल को बनाने में दो दिनो का वक्त लगा. पहले दिन पुल की मजबूती के लिए 4 पिल्हर तैयार किये. लकड़ियों को अंदर तक मजबूती से फसकर बांस का गोलघेरा बनाया गया. जिसमें काफी संख्या में बड़े-छोटे पत्थरों को डालकर मजबूत किया गया. फिर ऊपर मोटी लकड़ियां, पेड़ के पत्तो की डंगालिया, तार और बांस के टूकड़ो से पुल बनाकर तैयार किया. ताकि बाइक सहित लोग आना जाना कर सके. ग्रामीणों के इस देशी जुगाड़ का पुल, इंजीनियरिंग की अलग ही परिभाषा बतलाने के लिए काफी है.

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