Chhattisgarh: बेमेतरा की ‘मौत की फैक्ट्री’ पर आखिर क्यों प्रशासन है मेहरबान?जानिए ब्लास्ट और फैक्ट्री की असल सच्चाई

Chhattisgarh News: सरकार ने 5 लाख मुआवजा दे दिया, वहीं प्रबंधन की तरफ से मृतक परिवार के लोगों को 5 लाख मुआवजा देने की बात कही गई है, खुद तहसीलदार इसका चेक लेकर पहुंच रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से अभी किसी को चेक नहीं दिया गया है. क्या प्रशासन और प्रबंधन मिली भगत में कोई खेल हो रहा है?
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बेमेतरा ब्लास्ट

Chhattisgarh News: अब बात करते है, बेमेतरा के इस बारूद फैक्ट्री की. जहां सुरक्षा मानकों का प्रयोग नहीं किया गया था और न ही किसी भी मजदूरों के पास हेलमेट और सेफ्टी शूज थे, ना ही कोई ड्रेस कोड. इस फैक्ट्री में सिर्फ एक पानी की टंकी है, जबकि नियम के तहत हर बारूद यूनिट के पास एक बड़ी पानी की टंकी होनी चाहिए. जिस तरह से यहां पर बारूद फैक्ट्री में काम चल रहा था. उस हिसाब से यहां पर दो बड़े खुद के फायर स्टेशन होने चाहिए थे. अगर अचानक कोई हादसा हो जाए तो उसके लिए यहां पर खुद की फायर ब्रिगेड और मशीनरी होनी चाहिए, लेकिन यहां पर हादसे के बाद दूसरी जगह से फायर ब्रिगेड और चैन माउंटेन मशीन मंगाई गई. बारूद फैक्ट्री में किसी भी तरह का कोई स्टॉक मेंटेन नहीं हो रहा था, कि कितना अमोनियम नाइट्रेट किस यूनिट में है, इसके साथ ही सोडियम फास्फेट का भी.

फैक्ट्री के जहरीले कैमिकल से आसपास का पानी हुआ दूषित

इस बारूद फैक्ट्री को बंद करने के लिए गांव के लोग कई बार प्रशासन को आवेदन दे चुके थे, लेकिन लगातार प्रशासन की तरफ से एनओसी जारी करती गई. बिना किसी जांच के एनओसी जारी करना बताता है कि प्रशासन और प्रबंधन के बीच कही न कही मिलीभगत रही होगी. बारूद फैक्ट्री में उसे होने वाले जहरीले कैमिकल से आसपास के इलाके में पानी पूरी तरह से दूषित हो गया है, जो पीने लायक नहीं है. यहां के मजदूर खुद ही यहां के पानी को नहीं पीते, इस पानी का उपयोग करने से शरीर में कई तरह की बीमारियां हो जाती है, और इस पानी को अगर जो पीता है धीरे-धीरे गंभीर बीमारी से पीड़ित हो जाता है. इसके बावजूद कलेक्टर प्रशासन की तरफ से इस पर कोई कार्रवाई नहीं की गई.

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8 लोगों की मौत के बाद भी FIR दर्ज नहीं

इस बारूद फैक्ट्री में ब्लास्ट के बाद एक मौत हो गई और 8 लोग अब भी लापता है, लेकिन घटना के तीसरे दिन भी अभी तक किसी भी तरह की कोई एफआईआर दर्ज नहीं की गई, ना ही कंपनी प्रबंधन और डायरेक्टर को हिरासत में लेकर पूछताछ की गई. इस बारूद फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूरों को किसी भी तरह की कोई ट्रेनिंग नहीं दी जाती थी, ना ही उन्हें सुरक्षा प्रयोग के बारे में बताया जाता था. 12 घंटे मजदूरों से काम कराया जाता था.

क्या प्रशासन और प्रबंधन मिलीभगत से चल रहा खेल?

सरकार ने 5 लाख मुआवजा दे दिया, वहीं प्रबंधन की तरफ से मृतक परिवार के लोगों को 5 लाख मुआवजा देने की बात कही गई है, खुद तहसीलदार इसका चेक लेकर पहुंच रहे हैं, जबकि सरकार की तरफ से अभी किसी को चेक नहीं दिया गया है. क्या प्रशासन और प्रबंधन मिली भगत में कोई खेल हो रहा है. क्या कंपनी का चेक लेकर तहसीलदार पीड़ितों के घर पहुंच रहे हैं क्या यही नियम है.

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