Chhattisgarh: राष्ट्रपति पदक से सम्मानित अंबिकापुर के ऑफिसर का हुआ शवदान, परिजनों ने कायम की मिसाल, पत्नी से प्रेरणा लेकर जताई थी इच्छा

Chhattisgarh: बेटे के मुताबिक जब मां का निधन हुआ, तब उनके ऑर्गन्स को दिल्ली एम्स के लिए डोनेट किया गया था.
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डॉ भागीरथी गौरहा

Chhattisgarh: रक्तदान की तरह ही शवदान भी किसी की जिंदगी को बचाने के लिए जरूरी होता है. अंबिकापुर में शवदान की अच्छी पहल की गई है. राष्ट्रपति पदक से सम्मानित शिक्षक और NCC ऑफिसर रेडक्रॉस के पूर्व सचिव डॉ भागीरथी गौरहा का मरणोपरांत उनके परिवार ने मेडिकल कॉलेज में शवदान किया है. उन्होंने मरने से पहले शरीर दान करने की इच्छा जताई थी. उनकी अंतिम इच्छानुसार मेडिकल कालेज अंबिकापुर को देहदान किया गया.

बेटे ने बताया पिता का संकल्प

डॉ भागीरथी गौरहा के शरीर दान करने के पीछे की वजह उनके बेटे ने बताई. बेटे के मुताबिक जब मां का निधन हुआ, तब उनके ऑर्गन्स को दिल्ली एम्स के लिए डोनेट किया गया था. मां के निधन के बाद पिता समाज सेवा से जुड़े रहे और उन्होंने भी मौत के बाद ऑर्गन्स डोनेट करने की ठानी थी. उनके संकल्प को परिवार द्वारा पूरा किया गया है. बेटे ने बताया कि उन्होंने कहा था कि शरीर को मौत के बाद नष्ट करने से अच्छा है कि मौत के बाद भी मेरा शरीर काम में आए.

समाजसेवी डॉ गौरहा का जीवन

बता दें कि डॉ भागीरथी गौरहा सरगुजा के प्रसिद्ध समाजसेवी राष्ट्रपति पुरस्कृत प्रधानाचार्य, गजानन माधव मुक्तिबोध पुरस्कृत सहित कई सम्मान प्राप्त करने वाले और गुरुजी के नाम से प्रसिद्ध रहे. डॉ गौरहा ने वर्ष 1961 से अम्बिकापुर में एक शिक्षक के तौर पर अपनी सेवाएं दीं. डॉ गौरहा एनसीसी अधिकारी, अग्निशमन अधिकारी, रेडक्रास काउन्सलर एवं सचिव, आस्था निकुंज वृद्धाश्रम के फाउन्डर सहित पौराणिक, भागवताचार्य, ज्योतिषाचार्य और संस्कृत भाषा के प्रकाण्ड विद्वान थे.

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