बिना टैटू के यहां नहीं होती लड़कियों की शादी! मेले में लड़कों के साथ लड़कियां भी बनवा रहीं Tattoo

Chhattisgarh News: अब गांव की लड़कियां टैटू बनवा ही नहीं रही हैं, बल्कि इसकी दीवानी हो गई हैं. 
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टैटू बनवाती लड़कियां

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के सरगुजा संभाग में आदिवासी समुदाय में बिना गोदना के लड़कियों की शादी नहीं होती है. लेकिन अब गोदना की जगह लड़कियां यहां टैटू बनवा रहीं हैं. अब यहां पारंपरिक गोदना की जगह टैटू ने ले लिया है. यही वजह है कि अब गांव की लड़कियां टैटू बनवा ही नहीं रही, बल्कि इसकी दीवानी हो गई हैं. समय के साथ गोदना छोड़ टैटू का प्रचलन बढ़ता जा रहा है.

मेले में टैटू बनवाने वालों की भीड़

सरगुजा के मैनपाट में इन दिनों मैनपाट महोत्सव का आयोजन किया गया है, जिसमें लगे मेले में कई दुकान लगे हैं. लेकिन यहां टैटू बनवाने वालों के दुकानों में भीड़ ज्यादा है. इसके पीछे की वजह बताया टैटू बनवा रहे माझी जनजाति के राजेश नाम के युवक ने. उन्होंने बताया कि ज़ब गजनी फ़िल्म आई उसके बाद टैटू गांव-गांव तक पहुंच गया. टैटू से पहले महिलाएं और लड़कियां शादी से पहले पारंपरिक रूप से बनवाए जाने वाले गोदना अपने शरीर में बनवाती थीं. लेकिन अब टैटू उससे आकर्षक और अलग-अलग डिजाइन में बनने के कारण लड़कियां टैटू बनवाती हैं. टैटू बनवाने के पीछे एक कारण ये भी है कि गोदना से इसमें कम दर्द होता है.

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आदिवासी समाज में ये है परंपरा

टैटू बना रहे अमित कुशवाहा ने बताया कि मेला में आठ दस टैटू के दुकान हैं. उसका घर कापू गांव में है. उसने टैटू बनाने की ट्रेनिंग कलकत्ता में जाकर लिया है और उसने यह ट्रेनिंग इसलिए लिया क्योंकि अब गोदना की जगह यहां के लोग टैटू बनवाते हैं और लड़कियां सबसे अधिक क्योंकि इसके बिना आदिवासी समाज में आज भी लड़कियों की शादी नहीं होती है.

क्या होता है गोदना?

बता दें कि गोदना गोदने वाले सुई से त्वचा को एक ही जगह और उसके आसपास को बार-बार गोदते हैं और इसके बाद त्वचा पर मिट्टी तेल या पानी डालते हैं. इसके बाद किसी दीए के धुआं से निकलने वाले कलिख या काजल को उसके ऊपर लगा देते हैं, जिसके बाद वह गोदे हुए त्वचा के अंदर चला जाता है. इस काम को करने वाले लोग पहले हर गांव में होते थे. लेकिन अब टैटू प्रचालन में आने के बाद इनकी संख्या कम हो गई है.

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