Surguja में फैला मानव तस्करी का बड़ा जाल, दिल्ली-मुंबई में नौकरी का दे रहे झांसा, एक मां 12 साल से कर रही बेटी का इंतजार
Surguja: आदिवासी बाहुल्य सरगुजा जिले में मानव तस्करी की शिकार बेटियां अब तक अपने घर वापस नहीं लौटी हैं, कई बेटियों को तो 12 साल हो गए लेकिन अब तक वापस घर नहीं लौटी. बेटियों के इंतजार में अब परिवार के सदस्यों की आंखें पथरीली हो चुकी हैं आंखों का आंसू सूख चुका है और मानव तस्करी का धंधा अब भी चल रहा है. विस्तार न्यूज़ ने मानव तस्करी को लेकर ग्राउंड जीरो में पहुंचकर रिपोर्ट तैयार किया है.
सरगुजा में फैला मानव तस्करी का बड़ा जाल
सरगुजा जिले के सीतापुर इलाके में स्थित है हरदीसांड नामक गांव. इस गांव की रहने वाली अनीता मिंज पिछले 12 साल से गायब है. अनीता का परिवार आर्थिक रूप से बेहद ही कमजोर है, दो वक्त की रोटी जुटाना इस परिवार के लिए बेहद ही कठिन है और यही वजह है कि अनीता के मां-बाप मानव तस्करों के झांसे में आ गए और अनीता को दिल्ली में अच्छी जॉब मिलने की उम्मीद में मानव तस्करी करने वाले एजेंट के साथ भेज दिए लेकिन इसके बाद अनीता कभी लौट कर वापस नहीं आई और नहीं मानव तस्कर. अनीता की मां का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत थाने में दर्ज कराई पुलिस अधिकारियों के पास पहुंचकर कई बार गुहार लगाया लेकिन इसके बाद भी उसकी बेटी कि किसी ने खोज खबर नहीं ली सबसे बड़ी बात तो यह है कि अनीता की तीन और छोटी बहनें हैं जिसमें से एक की शादी हो गई है और दो बेटियां अभी भी अपना और परिवार का पेट पालने के लिए नौकरी की तलाश में मुंबई तक जा चुकी हैं लेकिन वहां भी उनके साथ दुर्व्यवहार हुआ और अब अनीता की दोनों बहने घर में है.
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नौकरी का झांसा देकर युवती की तस्करी
अनीता की बहन प्रीति कहती है कि उसके गांव की करीब 12 लड़कियां पिछले दिनों मुंबई गई थी और तब उन्हें झांसा दिया गया था कि हर महीने ₹20000 महीने में मिलेंगे लेकिन वहां कुछ दिनों तक काम करने के बाद पता चला कि यह सब झूठ है यहां तक की उनके साथ दुर्व्यवहार किया जाने लगा और अधिक काम करने का दबाव बनाया जाता था इसकी वजह से वह परेशान होकर वापस लौट आए हैं.
लेकिन सबसे बड़ी बात है कि अनीता को मानव तस्कर अपने साथ तब ले गए जब अनीता की छोटी बहन किरण और प्रीति इतनी छोटी थी कि उन्हें तब के बारे में कुछ भी नहीं पता. वे कहती है कि अनीता के बारे में घर में जब चर्चा होती है तभी उन्हें पता चलता है कि उनकी बड़ी बहन अनीता मानव तस्करों की जाल में फस गई और फिर उसका आज तक पता नहीं चल सका है लेकिन सबसे बड़ी बात है कि अनीता के अलावा हरदीसाड़ गांव की एक और पहाड़ी कोरवा लड़की भी पिछले कई सालों से लापता है उसे भी मानव तस्कर अच्छी नौकरी का झांसा देकर दिल्ली ले गए और उसके बाद वह भी वापस नहीं लौटी है. सरगुजा इलाके में मानव तस्करी के खिलाफ काम करने वाले एनजीओ पथ प्रदर्शक संस्था के संचालक सुशील सिंह का कहना है कि मानव तस्करों का बड़ा रैकेट इलाके में काम करता है और आदिवासी लड़कियों को महानगरों में ले जाकर उनके द्वारा भेज दिया जा रहा है.
डराने वाले है मानव तस्करी के मामले
जानकारी के मुताबिक सरगुजा के सीतापुर व मैनपाट इलाके में मानव तस्कर सक्रिय हैं, वहीं सीतापुर क्षेत्र से मानव तस्करो ने 18 लड़कियों को दिल्ली व मुंबई में बेच दिया है. पुलिस और NGO के लोग भी इनका सुराग नहीं लगा सकें हैं. NGO के पास मानव तस्करी करने वाले 17 दलालो के नाम हैं. दलालो में सात पुरुष और 10 महिला शामिल है, और सभी आदिवासी वर्ग के हैं. मानव तस्कर लड़कियो के उम्र व खूबसूरती के आधार पर सौदा करते हैं. 50 हजार से 80 हजार में दलाल दिल्ली व मुंबई में प्लेसमेंट एजेंसियों को बेचते हैं. NGO ने दो लड़कियों को रेड लाइट एरिया से रेस्क्यू किया है. वहीं सीतापुर इलाके की दो लड़कियां नेपाल पहुंची, लेकिन सुराग नहीं लगा.
फर्जी दस्तावेज बनाकर हो रहा काम
छत्तीसगढ़, ओड़िसा और झारखण्ड की नाबालिग लड़कियो और युवतियों की सबसे अधिक खरीद बिक्री हो रही है. अब युवकों को भी महानगरों में बेच दिया जा रहा है, गोवा, तमिलनाडु और केरल में दलाल बेच रहें हैं, वहीं नाबालिग लकड़ियों और युवतियों को दिल्ली में प्लेसमेंट एजेसियो में बेचा जाता है और प्लेसमेंट एजेंसियों में लड़कियों का फर्जी सर्टिफिकेट बनाकर उम्र अधिक दर्ज किया जाता है, परिजनों का फर्जी सहमति प्रमाण पत्र बनाया जाता है. इसके बाद लड़कियों को एग्रीमेंट कर साल दो साल के लिए घरेलू काम करने भेज दिया जाता है और जब एग्रीमेंट खत्म होता है, तो इसके बाद उन्हें देह व्यापार में धकेल दिया जाता है.