लोकसभा चुनाव से पहले पायलट के हाथ में कांग्रेस की ‘कमान’, जानिए राजस्थान और छत्तीसगढ़ के लिए क्या है ‘गेम प्लान’

Chhattisgarh: विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को हटा दिया है.
Sachin pilot n chhattisgarh

सचिन पायलट अन्य कांग्रेस नेताओं के साथ

Chhattisgarh: कांग्रेस ने लोकसभा चुनावों से पहले बड़ा बदलाव किया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में हार के बाद कांग्रेस ने प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को हटा दिया है. इसके बाद राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी बनाया गया है. अब सचिन पायलट की प्रदेश कांग्रेस को संभालने की बड़ी जिम्मेदारी है. सचिन पायलट को राजस्थान से हटाकर छत्तीसगढ़ भेजना कांग्रेस की बड़ी रणनीति मानी जा रही है. छत्तीसगढ़ में पायलट को प्रभारी बनाकर कांग्रेस एक तीर से कई निशाने साध रही है. आगामी लोकसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस का ये बदलाव कितना असरदार साबित होगा? ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा. 

पायलट को क्यों मिली छत्तीसगढ़ की कमान?

छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद ये तय माना जा रहा था की संगठन में बड़ा बदलाव होगा. चूंकि कुछ ही महीनों में लोकसभा चुनाव होना है, ऐसे में कांग्रेस एक्टिव मोड में आ गई है. दिसंबर में संपन्न हुए 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस ने संगठन में बड़ा फेरबदल करते हुए सचिन पायलट को पहली बार पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव बनाया. इतना ही नहीं, राष्ट्रीय महासचिव बनाने के साथ ही पायलट को छत्तीसगढ़ प्रभारी के रूप में जिम्मेदारी दे दी गई.

वहीं तत्कालीन छत्तीसगढ़ प्रदेश प्रभारी कुमारी शैलजा को पार्टी ने उत्तराखंड का प्रभारी बनाकर प्रदेश से बाहर भेज दिया. सचिन पायलट को प्रभारी बनाने के पीछे सबसे बड़ा कारण विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद किसी नए चेहरे को आगे लाना है. सचिन पायलट देश में कांग्रेस के बड़े युवा चेहरों में से एक हैं. पार्टी ने पायलट को प्रभारी बनाकर लोगों में संदेश देने की कोशिश की है कि पार्टी परिवर्तन कर युवा चेहरों को मौका दे रही है. उन्हें छत्तीसगढ़ में लोकसभा चुनाव में 11 की 11 सीटें जीतने के लक्ष्य के साथ भेजा गया है. 

कांग्रेस का ये है गेम-प्लान

दरअसल, सचिन पायलट कांग्रेस में साफ-सुथरी छवि के नेता हैं. कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाकर बड़ा गेम खेला है. छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस में हमेशा गुटबाजी देखने को मिलती रही है. पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच की तल्खियां किसी से छिपी हुई नहीं हैं. साथ ही विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद कुछ विधायकों ने पूर्व मुख्यमंत्री पर पॉवर केंद्रित करने और प्रदेश प्रभारी कुमारी सैलजा पर टिकट की खरीद-फ़रोख्त के गंभीर आरोप लगाए थें. इसके बाद अब कांग्रेस की कोशिश है कि पायलट को प्रभारी बनाकर लोकसभा चुनाव से पहले पार्टी के सभी धड़ों को साधकर एकजुट किया जाए और पार्टी के अंदर चल रहे सभी विवादों को समय रहते सुलझा लिया जाए. साफ छवि होने के नाते सचिन पायलट सभी गुटों को साधने में बेहतर साबित हो सकते हैं.

क्या कहते हैं जानकार?

सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाए जाने पर राजनीतिक जानकार बताते हैं कि कांग्रेस चाहती है कि पायलट राजस्थान की राजनीति से दूर रहें, ताकि राजस्थान कांग्रेस में जो दो गुट होने के कारण ऊहापोह की स्थिति बनी रहती है, उससे निजात मिले. साथ ही कांग्रेस राजस्थान में अशोक गहलोत को फ्री हैंड देना चाहती है, जिससे वहां विपक्ष में बैठी कांग्रेस पार्टी लोकसभा की तैयारी मजबूती से कर सके.

छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार बाबूलाल शर्मा कहते हैं, “सचिन पायलट को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाने का सबसे बड़ा कारण युवाओं और कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार करना है. साथ ही राजस्थान की राजनीति में कोई बखेड़ा खड़ा न हो, इसलिए पायलट को प्रभारी बनाया गया है. अब देखने वाली बात ये होगी कि पायलट लोकसभा चुनाव से पहले छत्तीसगढ़ में क्या कदम उठाते हैं. 

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