‘रंग नहीं चमक बरकरार रहनी चाहिए…’ विदेश तक चमके छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैड डायमंड’, ऐसे थे पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे
अलविदा डॉ. सुरेंद्र दुबे
Padma Shree Surendra Dubey Passed Away: छत्तीसगढ़ के ‘ब्लैक डायमंड’ पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे ने 72 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया. 26 जून 2025 को हार्ट अटैक से रायपुर में इलाज के दौरान उनका निधन हो गया. छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री सुरेंद्र दुबे ने हास्य और व्यंग्य से अपनी एक अलग पहचान बनाई थी. वह विदेश में आयोजित कई कवि सम्मेलनों में भी शामिल हुए थे. विस्तार न्यूज के ‘गेस्ट इन द न्यूज रूम’ में शामिल होने के लिए जब पद्मश्री सुरेंद्र दुबे पहुंचे थे तो उन्होंने कहा था-‘रंग नहीं चमक बरकरार रहनी चाहिए…’ जानिए कैसे थे पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे…
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे का जन्म 8 जनवरी 1953 को बेमेतरा (तत्कालीन दुर्ग) में हुआ था. वह एक आयुर्वेदिक चिकित्सक थे. उनके हास्य और व्यंग्य ने उन्हें न सिर्फ देश बल्कि दुनिया में अलग पहचान दिलाई. वह अपन हास्य और व्यंग्य कविताओं से हमेशा सबके हंसाते और गुदगुदाते रहते थे.
छत्तीसगढ़ी को अलग पहचान
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे की बोलने की शैली इतनी अलग थी, जिस कारण छत्तीसगढ़ी भाषा को पूरी दुनिया में एक नई ऊंचाई मिली. उनकी कविताओं और शैली के कारण छत्तीसगढ़ी क्षेत्रीय भाषा और छत्तीसगढ़ को पूरे देश में पहचान मिली. उन्होंने सिर्फ कवि सम्मेलन ही नहीं बल्कि दूरदर्शन और कई TV शो पर अपनी कविताओं से लोगों को हंसाया.
डॉ. सुरेंद्र दुबे को पद्मश्री और हास्य रत्न पुरस्कार
डॉ. सुरेंद्र दुबे को साल 2010 में भारत सरकार द्वारा देश का चौथा सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म श्री प्रदान किया गया था. इससे पहले साल 2008 में उन्हें काका हाथरसी हास्य रत्न पुरस्कार से भी पुरस्कृत किया गया था. उन्होंने पाँच पुस्तकें लिखीं, जो हास्य-व्यंग्य साहित्य में मील का पत्थर मानी जाती हैं.
कोरोना काल में भी लोगों को गुदगुदाया
पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे ने कोरोना काल में लोगों की उदासी दूर की और उन्हें गुदगुदाया. उन्होंने अपनी एक रचना में लिखा- ‘हम हंसते हैं लोगों को हंसाते हैं इम्यूनिटी बढ़ाते हैं, चलिए एंटीबॉडी बनाते हैं, घिसे-पिटे चुटकलों में भी हंसो, कोरोना के आंकड़ों में मत फंसो, नदी के बाढ़ का धीरे-धीरे पानी घट जाता है, कुत्तों को भौंकने के लिए आदमी नहीं मिल रहे, चोरों को चोरी करने खाली घर नहीं मिल रहे, सुबह-शाम टहलने वाले अब कद्दू की तरह फूल रहे, स्कूल बंद हैं, बच्चे मां-बाप के सिर पर झूल रहे, दूध-बादाम-मुनक्का-विटामिन सी खाओ, कोरोना का दुखद समाचार मत सुनाओ, अब भी वक्त है तीसरी लहर में संभल जाओ हंसो-हंसाओ और एंटीबॉडी बनाओ.’
‘रंग नहीं चमक बरकरार रहनी चाहिए…’
साल 2025 की शुरुआत हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे ने विस्तार न्यूज के जरिए लोगों को हंसी-ठिठोली के साथ कराई. विस्तार न्यूज के ‘गेस्ट इन द न्यूज रूम’ शो में पहुंचे डॉ. सुरेंद्र दुबे ने सबको खूब हंसाया. अपने रंग को लेकर उन्होंने कहा था- ‘रंग नहीं चमक बरकरार रहनी चाहिए…’ और सच में सुरेंद्र दुबे के जाने के बाद भी छत्तीसगढ़ के ब्लैक डायमंड की चमक हमेशा बरकरार रहेगी… देखें पूरा वीडियो-