CGPSC घोटाला मामले में टामन सिंह सोनवानी का साला और उसकी पत्नी गिरफ्तार, करोड़ों रुपये की ठगी का आरोप
देवेंद्र जोशी और उसकी पत्नी झगीता जोशी
CGPSC Scam: सीजीपीएससी घोटाला मामले में एक बड़ा अपडेट सामने आया है. रायपुर पुलिस ने जेल में बंद पीएससी के पूर्व अध्यक्ष टामन सिंह सोनवानी के साले देवेंद्र जोशी और उसकी पत्नी झगीता जोशी को गिरफ्तार किया गया है.
टामन सिंह सोनवानी का साला और उसकी पत्नी गिरफ्तार
CGPSC घोटाला मामले के आरोपी टामन सिंह सोनवानी का साला देवेंद्र जोशी और उसकी पत्नी झंगीता जोशी को गिरफ्तार किया गया है. दोनों पर अलग-अलग विभागों में नौकरी लगाने का झांसा देकर करोड़ो रूपये की ठगी करने का आरोप है.
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नौकरी का झांसा देकर की करोड़ों की ठगी
नौकरी लगाने का झांसा देकर आधा दर्जन से अधिक बेरोजगारों को अपना शिकार बनाया है. बड़े अधिकारियों से परिचय होना बताकर लोगो को अपने झांसे में लेते थे. विशेष अनुशंसा के तहत नियुक्ति होना बताकर फर्जी नियुक्ति प्रमाण देकर रकम ठगते थे. आरोपियों द्वारा रिश्तेदारों समेत अबतक कई पीड़ितों से करोड़ रूपये की ठगी कर चुके है. फूड इंस्पेक्टर, लेक्चरर समेत पटवारी की नौकरी लगाने का झांसा देकर 9 पीड़ितों से रकम ली गई.
जानिए कैसे हुआ घोटाला
- 2 जून 2020 को टामन सिंह सोनवानी, जो तत्कालीन CGPSC के चेयरमैन के तौर पर जॉइनिंग लेते हैं.
- जुलाई 2020 में टामन सोनवानी और तत्कालीन परीक्षा नियंत्रक आरती वासनिक दोनों अरुण कुमार द्विवेदी नाम के व्यक्ति के साथ मीटिंग करते हैं. अरुण कुमार द्विवेदी M/S AKD Pvt ltd कोलकाता की कंपनी का आदमी है और उसे पेपर छापने की जिम्मेदारी देते हैं.
- इसके बाद दिसंबर 2020 ललित गणवीर को बतौर डिप्टी एग्जाम कंटोलर के तौर पर नियुक्ति दी जाती है और परीक्षा संचालन से लेकर रिजल्ट तक की शक्तियां उसे सौंपी जाती हैं.
- इसके बाद टामन सोनवानी तत्कालीन PSC सचिव जीवन किशोर ध्रुव के जरिए Family शब्द से Relative शब्द में PSC के नियमों में बदलाव करते हैं ताकि आगे वो आसानी से नितेश सोनवानी के इंटरव्यू में बैठ सकें.
- ये सब कुछ होता है फिर बारी आती है नोटिफिकेशन की. नवंबर 2021 में परीक्षा का नोटिफिकेशन जारी किया जाता है. टामन 1 साल से अधिक समय में पूरी फील्डिंग जमा चुके थे.
परीक्षा का नोटिफिकेशन आता है. आरती वासनिक अपने काम में लग जाती हैं. कोलकाता के अरुण कुमार द्विवेदी नाम के व्यक्ति को फोन लगाकर पेपर बनाने की प्रक्रिया शुरू की जाती है क्योंकि अरुण की कंपनी M/S AKD Pvt ltd कोलकाता में ही प्रिंट होने थे. - अरुण प्रश्नों के सैंपल भेजते हैं, जिन्हें सील बंद लिफाफे में महेश दास नाम का आदमी लेकर आता है. अरुण के द्वारा भेजे गए कई प्रश्नों में कुछ प्रश्नों को सिलेक्ट करके सीलबंद लिफाफे में आरती वासनिक द्वारा वापस भेजा जाना था.
- आरती वासनिक अरुण के द्वारा भेजे गए आदमी यानी महेश दास को वापस भेज देती है. इसके कुछ दिन बाद वापस अरुण को फोन करके उनके द्वारा भेजे गए आदमी को बुलाया जाता है. वो आदमी नया रायपुर के सेक्टर 17 में सील बंद लिफाफे में चुने गए सवालों के पेपर लेने पहुंचा, लेकिन वो वहां देखता है कि टामन सिंह सोनवानी वहां मौजूद थे, जिन्हें नहीं होना चाहिए क्योंकि CGPSC के परीक्षा नियंत्रक के अधिकार क्षेत्र में वे पेपर बनाने की प्रक्रिया का अधिकार शामिल नहीं है.
- यहीं पता चलता है कि पेपरों की नकल बना ली गई है और टामन को पता है कि आखिर क्या प्रश्न पूछे जाने हैं. इसके बाद टामन सिंह सोनवानी और भ्रष्टाचार में उनसे जुड़े लोगों तक प्रश्न पत्र पहुंचा देते हैं और इस तरीके से CGPSC घोटाला होता है.