Chhattisgarh: विधायक जी…ध्यान दीजिए, जान जोखिम में डालकर जर्जर स्कूलों में पढ़ रहे हजारों बच्चे, छात्राएं शर्म के मारे नहीं जातीं शौचालय

Chhattisgarh News: साल 2019-20 में जिला प्रशासन ने स्कूल शिक्षा विभाग से सूची लेकर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को जर्जर स्कूलों को सुधारने का जिम्मा सौंपा था.
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बिलासपुर का स्कूल

Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ के बिलासपुर से 40 किलोमीटर दूरी पर करमा गांव स्थित है. यह गांव बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में 970 लोगों की आबादी वाला गांव है. यहां की स्कूल में बच्चों के लिए शौचालय नहीं है. साथ ही पढ़ने के लिए कमरे भी नहीं है. गंभीर बात ये है कि जहां पहली से आठवीं तक की क्लास लग रही है वहां के भवन जर्जर, बदहाल हैं. स्कूल की बच्चियां शर्म के मारे शौचालय नहीं जाती हैं.

बदहाली के लिए शासन-प्रशासन जिम्मेदार

विस्तार न्यूज़ ने जब मौके का जायजा लिया तब यहां के छात्रों ने खुलकर अपनी समस्या बताई. स्कूल की प्राचार्य संध्या सोनी ने बताया कि उन्होंने पंचायत के जरिए यहां की समस्या शिक्षा अफसर के सामने रख दी है, जिनका निराकरण करना बाकी है. इधर, छात्रों ने स्पष्ट कहा कि इसके लिए शासन- प्रशासन जिम्मेदार है. स्कूल प्रबंधन ने भी इस तरह की समस्याएं स्कूल शिक्षा विभाग और बाकी ओहदेदारों के सामने रखी है. लेकिन अभी तक उनकी समस्याएं यथावत हैं.

50 से अधिक स्कूल बदहाल

एक के बाद एक जिन गांवों में भी प्राइमरी और मिडिल स्कूल दिखते हैं, उनकी स्थिति भी कुछ अच्छी नहीं है. कहीं बारिश में छत टपक रही है तो कहीं पानी की कमी है. कहीं शौचालय नहीं है तो कहीं कुछ और समस्याएं बनी हुई हैं. लेकिन अभी तक उनकी समस्याएं नहीं सुनी गई हैं.

150 स्कूलों को तोड़ने की बात लेकिन अमल नहीं

बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग के आदेश के मुताबिक बिल्हा समेत जिन विकास खंड के विद्यालय जर्जर हो चुके हैं, उन्हें तोड़कर नया बनाने या उनके आसपास की स्कूल में उस कक्षा को मर्ज करने की बात कही गई थी. लेकिन आज तक इस निर्देश को अमल में नहीं लाया जा सका है, यही वजह है कि ऐसे 150 स्कूल जर्जर स्थिति में संचालित हो रहे हैं. मामले में जिला शिक्षा अधिकारी का कहना है कि वह ऐसे स्कूलों की सूची तैयार करवाएंगे और बच्चों को किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो इस पर अपने बड़े अफसरों से बात करेंगे.

आरईएस के पास फंड नहीं!

साल 2019-20 में जिला प्रशासन ने स्कूल शिक्षा विभाग से सूची लेकर ग्रामीण यांत्रिकी विभाग को जर्जर स्कूलों को सुधारने का जिम्मा सौंपा था. इनमें कुछ स्कूलों के काम डीएमएफ में फंड से भी करवाए गए थे. इसके बाद पैसों के अभाव में विभागीय अधिकारियों ने जर्जर स्कूलों की मरम्मत का काम बंद करवा दिया और यही वजह है कि आज भी ऐसे स्कूल संचालित हो रहे हैं.

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