Chhattisgarh: जब अचानक नक्सलियों ने जवानों को घेरा, जानिए पवन ने किस बहादुरी से बचाई अपने साथियों की जान
Chhattisgarh News: 30 जनवरी को सुकमा के टेकुलगुडेम में हुए नक्सली हमले में जो तीन जवान शहीद हुए, उनमें पवन भदौरिया भी शामिल थे. 31 जनवरी को जब ग्वालियर में उनका अंतिम संस्कार हो रहा था तो पूरा देश गमगीन था. उस वक्त टेकुलगुडेम के उसी जंगल में शहीद पवन के साथी उनकी बहादुरी के किस्से सुना रहे थे.
टेकुलगुडेम मुठभेड़ में शहीद पवन भदौरिया की कहानी
दरअसल 30 जनवरी को जवानों ने नक्सलियों के गढ़ में घुसकर एक नया कैंप स्थापित कर दिया. ऐसे इलाकों में जब कैंप स्थापित किया जाता है तो उसकी सुरक्षा के लिए 3 से 4 घेरों में जवान तैनात रहते हैं. सबसे बाहरी घेरे में पवन अपने बाकि साथियों के साथ डटे थे. नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ में पुलिस कैंप खुलने से नक्सली बौखलाए हुए थे. ग्रामीण महिलाओं की आड़ लेकर नक्सली कैंप के करीब पहुंच गए. नक्सलियों ने जवानों पर फायरिंग शुरू कर दी. नक्सलियों ने जवानों पर हमला करने में अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी. नक्सलियों की सबसे खूंखार लड़कों की बटालियन नंबर 1, कंपनी नंबर 2 और आसपास के सभी एरिया कमिटी के नक्सली इस हमले के लिए इकट्ठा हो गए थे. 400 से अधिक नक्सलियों ने जवानों पर हमला किया. नक्सली आधुनिक हथियारों से लैस थे.
जवान पवन ने कैसे बचाई अपने साथियों की जान
पवन के साथी बताते हैं कि कुछ नक्सली पेड़ों की आड़ लेकर लगातार जवानों पर फायरिंग कर रहे थे. इन नक्सलियों को ढेर करने के लिए पवन अपने मोर्चे से कुछ ऊपर उठे और निशाना लगाकर दो नक्सलियों को ढेर कर दिया. लेकिन इसी मौके का फायदा उठाकर जंगल के अंदर छिपे नक्सलियों के स्नाइपर ने पवन पर गोली दाग दी. गोली सीधे पवन के माथे पर लगी. पवन की मदद करने उनका एक साथी आगे बढ़ा. नक्सल स्नाइपर ने जवान के सीने पर गोली मार दी. तीसरा जवान जो आगे बढ़ा उसे नक्सली स्नाइपर ने पैर में गोली मार दी. इसके बाद जवानों ने अपनी पूरी ताकत के साथ नक्सलियों पर धावा बोल दिया. अपने सबसे मजबूत गढ़ में ही अब नक्सली कमजोर पड़ रहे थे. इसके बाद जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली भाग खड़े हुए.
टेकुलगुडेम हमले में 3 जवान शहीद
इस मुठभेड़ में पवन सहित 3 जवान शहीद हुए और 15 जवान घायल हुए. लेकिन अब जवानों ने 40 सालों से नक्सलियों के सबसे सुरक्षित पनाहगाह में ही अपना एक कैंप स्थापित कर लिया है. दो साल पहले जब 3 अप्रैल 2021 को जवान इस इलाके में पहुंचे थे तो नक्सली हमले में 22 जवान शहीद हुए थे. लेकिन ये पवन और उन जैसे जवानों की बहादुरी का ही नतीजा है कि अब नक्सलियों के सबसे मजबूत गढ़ में जवानों का एक कैंप स्थापित हो चुका है.