Delhi Pollution: दिल्ली की हवाएं अब भी ‘बहुत खराब’ श्रेणी में, कब तक जहरीली हवा में सांस लेंगे दिल्लीवासी
Delhi Pollution: दिल्ली के लोगों के लिए खुली हवा में सांस लेना मानो एक सपना सा बन गया है. यहां का AQI ‘अच्छा’ रहना तो दूर ‘संतोषजनक’ भी होता नहीं दिख रहा. दिल्ली में AQI लगातार ‘बहुत खराब’ श्रेणी में बना हुआ है. दिल्ली वासियों को एक तरफ जहां बढ़ती ठंड सता रही है, तो वहीं दूसरी ओर दुर्गा पूजा के बाद से खराब हो रही हवा अभी तक ठीक नहीं हुई है.
सोमवार सुबह 8 बजे दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी AQI 330 तक दर्ज किया गया. इस बीच, राष्ट्रीय राजधानी के कुछ हिस्सों में धुंध की मोटी परत भी देखने को मिल रही है. जिस कारण विजिबिलिटी कम हो गई है. साथ ही, यमुना नदी पर जहरीला झाग अब तक बरकरार है. जिससे पानी प्रदूषित हो गया.
सरकार के प्रतिबंधों का असर
दिल्ली सरकार ने दिल्ली-NCR में GRAP-4 लागू किया है. जिसके तहत दिल्ली-NCR में कई तरह के प्रतिबंधन लगाए गए हैं. इसमें बाहर की रजिस्टर्ड गाड़ियों का दिल्ली में प्रवेश बंद कर दिया गया है. डीजल से चलने वाली कई गाड़ियों पर भी प्रतिबंध है. CNG और Electronic गाड़ियों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए हैं. GRAP-4के तहत दिल्ली-NCR में कई अन्य प्रतिबंध लगे हैं.
इन प्रतिबंधों के कारण दिल्ली की हवा ‘गंभीर’ श्रेणी से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच गई है. नवंबर महीने में दिल्ली के कई इलाकों में AQI 1000 के पार पहुंच गया था. GRAP-4 लागू होने के बाद से काफी धीरे-धीरे दिल्ली-NCR की AQI में बदलाव दिख रहे हैं.
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पराली जलाने के मामले कम, फिर भी कम नहीं प्रदूषण
दिल्ली में बढ़े प्रदूषण पर सुप्रीम कोर्ट की दखल के बाद राष्ट्रीय राजधानी से सटे राज्यों में पराली जलाने के मामलों में कमी आई है. पंजाब, मध्यप्रदेश उत्तर प्रदेश और हरियाणा में किसानों द्वारा खेत में जलने वाली पराली के कारण दिल्ली में प्रदूषण अपने चरम पर पहुंच चूका था. सुप्रीम कोर्ट से लगातार राज्य सरकारों को हिदायत देने के बाद इन मामलो में कमी आई है.
दिल्ली में प्रदूषण के अहम कारणों में से एक पराली जलाने के मामले कम तो हुए हैं, लेकिन राष्ट्रीय राजधानी के कई इलाकों में हवा की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ है. पुणे IITM के मुताबिक, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 5 प्रतिशत से कम हो गया है. भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के आंकड़ों से पता चलता है कि पड़ोसी राज्यों पंजाब और हरियाणा में पराली जलाना न्यूनतम है.
इससे यह सवाल उठता है कि पराली जलाने में कमी के बावजूद दिल्ली में हवा प्रदूषित क्यों है? इसका जवाब है स्थानीय प्रदूषक, विशेष रूप से वाहनों से होने वाला उत्सर्जन, जो शहर के 25 प्रतिशत से अधिक प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है.
बहुत सख्ती की जरूरत
दिल्ली-NCR में ठंड के बढ़ने के साथ प्रदूषण में कमी देखने को नहीं मिलेगी. दिल्ली-NCR की हवाओं को स्वच्छ बनाने के लिए साल भर सख्ती करनी पड़ेगी. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट में रिसर्च एंड एडवोकेसी की कार्यकारी निदेशक अनुमिता रॉयचौधरी ने बताया, ‘यह चिंता का विषय है कि अब सर्दियों के महीनों में PM2.5 का स्तर बढ़ रहा है. भले ही मौसम एक भूमिका निभाता है, यह आकलन करना जरूरी है कि स्थानीय और क्षेत्रीय उत्सर्जन कैसे बढ़ रहे हैं, जिससे सर्दियों में प्रदूषण और बढ़ जाता है. इसके लिए न केवल दिल्ली में, बल्कि पूरे NCR और उससे आगे भी, साल भर बहुत सख्ती की जरूरत है.’