दिल्ली जल बोर्ड मामले में ED ने दायर की पहली चार्जशीट, जांच एजेंसी ने कहा- ठेका देने में हुआ भ्रष्टाचार

ED: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़ी धनशोधन की जांच के सिलसिले में अपना पहला आरोप पत्र दाखिल कर दिया है.
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दिल्ली जल बोर्ड मामले में ईडी ने दाखिल किया आरोप पत्र

ED: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने दिल्ली जल बोर्ड में कथित अनियमितताओं से जुड़ी धनशोधन की जांच के सिलसिले में अपना पहला आरोप पत्र दाखिल कर दिया है. आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को को बताया कि केंद्रीय एजेंसी ने 28 मार्च को दिल्ली में एक विशेष पीएमएलए (धनशोधन रोकथाम कानून) अदालत में शिकायत दर्ज करायी थी. आरोप पत्र में चार व्यक्तियों तथा एक कंपनी को नामजद किया गया है, जिसमें बोर्ड के पूर्व मुख्य इंजीनियर जगदीश कुमार अरोड़ा, ठेकेदार अनिल कुमार अग्रवाल, एनबीसीसी के पूर्व महाप्रबंधक डी के मित्तल, तेजिंदर सिंह और एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड शामिल हैं.

ईडी ने आरोप लगाया कि डीजेबी द्वारा दिए गए एक ठेके में भ्रष्टाचार के माध्यम से प्राप्त धन दिल्ली की सत्तारूढ़आम आदमी पार्टी को कथित तौर पर चुनावी फंड के रूप में भेजा गया था. जांच एजेंसी ने इस मामले में पूछताछ के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को भी समन भेजा था लेकिन वह उसके समक्ष पेश नहीं हुए थे. ईडी ने आबकारी नीति में कथित अनियमितताओं से जुड़े धन शोधन के एक अन्य मामले में 21 मार्च को केजरीवाल को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद से वह ईडी के हिरासत में हैं.

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38 करोड़ रुपये के ठेके में अनियमितताओं का आरोप

बताते चलें कि ईडी ने फरवरी में जांच के सिलसिले में केजरीवाल के निजी सहायक बिभव कुमार, आप के राज्यसभा सांसद तथा कोषाध्यक्ष एन डी गुप्ता, पूर्व डीजेबी सदस्य शलभ कुमार, चार्टर्ड अकाउंटेंट पंकज मंगल और कुछ अन्य के परिसरों की तलाशी ली थी. ईडी का मामला केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की प्राथमिकी पर आधारित है, जिसमें तकनीकी पात्रता मानदंड पूरे नहीं करने पर भी डीजेबी की ओर से एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड कंपनी को दिए गए 38 करोड़ रुपये के ठेके में अनियमितताओं का आरोप है.

ईडी ने किया था गिरफ्तार

गौरतलब है कि इस मामले में ईडी ने 31 जनवरी को अरोड़ा और अग्रवाल को गिरफ्तार किया था. जांच एजेंसी ने दावा किया कि एनकेजी इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने नकली दस्तावेज के आधार पर ठेका हासिल किया और अरोड़ा को इस तथ्य की जानकारी थी कि कंपनी तकनीकी पात्रता पूरी नहीं करती है.

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