Dharmendra Property: क्या अवैध धर्मेंद्र-हेमा की शादी? 6 बच्चों के बीच कैसे बंटेगी प्रॉपर्टी, जानिए क्या कहता है सुप्रीम कोर्ट
धर्मेंद्र का परिवार
Dharmendra Property Distribution: बॉलीवुड के ‘ही मैन’ धर्मेंद्र इस दुनिया को अलविदा कह गए हैं. उन्होंने 89 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. इस खबर से बॉलीवुड में शोक की लहर है. इस बीच धर्मेंद्र की प्रॉपर्टी को लेकर चर्चा होने लगी है. अभिनेता धर्मेंद्र ने दो शादी की थी. उन्होंने पहली शादी प्रकाश कौर के साथ की थी, जबकि दूसरी शादी हेमा मालिनी के साथ की. इसके लिए उन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाया था और हेमा से निकाह किया था.
हिंदू मैरिज एक्ट के मुताबिक धर्मेंद्र और हेमा की शादी मान्य नहीं है, जिसके चलते अब सवाल उठ रहें है कि धर्मेंद्र के देहांत के बाद उनकी प्रॉपर्टी उनके 2 बीवियों और 6 बच्चों में कैसे बंटेंगी? आइए जानते हैं इस पूरे मामले में एडवोकेट क्या कहते हैं-
अमान्य शादी से पैदा बच्चे वैध या अवैध?
धर्मेंद्र की शादी और बच्चों के मामले में बताते हुए एडवोकेट ने साल 2023 में रेवा सिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन (2023 INSC 783) केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का जिक्र किया. उन्होंने कहा कि 1 सितंबर 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने रेवा सिद्दप्पा बनाम मल्लिकार्जुन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था, जिससे अमान्य या रद्द की गई शादी से पैदा हुए बच्चों के वारिसी हकों की कानूनी स्थिति स्पष्ट होती है.
धर्मेंद्र की दूसरी शादी हेमा मालिनी के साथ हुई थी, जिनसे उन्हें दो बेटियां ईशा देव और आहना देव हुईं. हिंदू मैरिज एक्ट (HMA) के तहत उनकी ये शादी अमान्य है. हालांकि, HMA की धारा 16(1) के तहत दूसरी शादी से हुई धर्मेंद्र की दोनों बेटियों को उनके माता-पिता के संबंध में वैध बच्चे का दर्जा मिलता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि वैधता का यह दर्जा उन्हें अपने आप हिंदू जॉइंट फैमिली में सहदायिक (कोपार्सनर) नहीं बनाता. उनके अधिकार सख्ती से सिर्फ उनके माता-पिता (धर्मेंद्र और हेमा मालिनी) की संपत्ति तक सीमित हैं, न कि माता-पिता के अलावा किसी और व्यक्ति की संपत्ति तक.
पैतृक संपत्ति में बच्चों का कितना हक?
सुप्रीम कोर्ट के 2023 के फैसले के मुताबिक अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चे भी माता-पिता की पैतृक या सहदायिक संपत्ति में हिस्से के हकदार बन सकते हैं. इसमें विशेष रूप से HMA की धारा 16(3) और हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (HSA) की धारा 6(3) के बीच तालमेल बैठाया जाता है. दरअसल, जब किसी हिंदू पुरुष सहदायिक की मृत्यु होती है तो HSA की धारा 6(3) के तहत माना जाता है कि मिताक्षरा सहदायिक संपत्ति का नोशनल पार्टीशन (काल्पनिक बंटवारा) उनकी मृत्यु से ठीक पहले हो गया था. इस काल्पनिक बंटवारे में धर्मेंद्र को जो हिस्सा मिलता, उसे उत्तराधिकार के मकसद से उनकी संपत्ति माना जाता है.
इस तरह तय हुए हिस्से का बंटवारा, बिना वसीयत के उत्तराधिकार (HSA की धारा 8 और 10 के मुताबिक) के तहत धर्मेंद्र के सभी क्लास-1 वारिसों में होता है. HMA की धारा 16(1) के तहत वैधता पाने वाले बच्चे, HSA की धारा 10 के तहत बंटवारे के लिए बेटे और बेटियां माने जाते हैं, जो वैध और धारा 16 वाले वैध बच्चों में फर्क नहीं करती. यानी काल्पनिक बंटवारे के बाद धर्मेंद्र के हिस्से में आई प्रॉपर्टी में ईशा देव और आहना देव के साथ-साथ उनके दूसरे क्लास-1 वारिसों जैसे उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर (जीवित होने पर), उनकी मां (जीवित होने पर) और पहली शादी से हुए बच्चों सनी, बॉबी, विजेता और अजीता) के साथ बराबर की हिस्सेदारी की हकदार होंगी.
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कोर्ट के फैसले को निष्कर्ष
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक अमान्य शादी से पैदा हुए बच्चों के अधिकार सिर्फ माता-पिता की स्वअर्जित संपत्ति तक ही सीमित नहीं हैं. वे माता-पिता के पैतृक संपत्ति के हिस्से में भी उनका बराबर के हकदार हैं, जिसकी गणना माता-पिता की मृत्यु से ठीक पहले हुए काल्पनिक बंटवारे के जरिए की जाती है. इसके तहत सनी और बॉबी की तरह ईशा देव और आहना देव जन्म से सहदायिक अधिकार नहीं रखतीं. इसके बावजूद उन्हें अपने पिता के तय हिस्से (स्व-अर्जित और पैतृक दोनों तरह की संपत्ति में) पर उत्तराधिकार का अधिकार है.