Mrs Review: मौन बलिदानों और बंधनों को तोड़ने की मार्मिक कहानी Mrs.

Mrs Review: Mrs. सिर्फ एक साधारण गृहिणी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन अनकही सच्चाइयों को उजागर करती है, जिनसे हर भारतीय महिला कभी न कभी गुज़री होती है. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे समाज में सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक सोच महिलाओं की पहचान को धीरे-धीरे मिटाती जाती है और उन्हें सिर्फ एक "आदर्श पत्नी" और "संस्कारी बहू" के रूप में सीमित कर देती है.
Mrs. Movie Review

फिल्म Mrs. प्रसिद्ध मलयालम फिल्म The Great Indian Kitchen की हिंदी रीमेक है

Mrs Review: हाल ही में ZEE5 पर रिलीज़ हुए निर्देशक आरती कादव की फिल्म Mrs. प्रसिद्ध मलयालम फिल्म The Great Indian Kitchen की हिंदी रीमेक है, जिसे ZEE5 पर स्ट्रीम किया जा सकता है. इस फिल्म की कहानी हर्मन बावेजा, अनु सिंह चौधरी और आरती कादव ने मिलकर लिखी है, और इसमें मुख्य भूमिका में सान्या मल्होत्रा नजर आती हैं.

Mrs. सिर्फ एक साधारण गृहिणी की कहानी नहीं है, बल्कि यह उन अनकही सच्चाइयों को उजागर करती है, जिनसे हर भारतीय महिला कभी न कभी गुज़री होती है. यह फिल्म दिखाती है कि कैसे समाज में सदियों से चली आ रही पितृसत्तात्मक सोच महिलाओं की पहचान को धीरे-धीरे मिटाती जाती है और उन्हें सिर्फ एक “आदर्श पत्नी” और “संस्कारी बहू” के रूप में सीमित कर देती है.

फिल्म की नायिका अपने जीवन में उन बंधनों को महसूस करती है, जो परंपराओं और रीति-रिवाजों के नाम पर उस पर थोपे गए हैं. वह दिन-रात घर के कामों में जुटी रहती है, परिवार की ज़रूरतों को पूरा करती है, लेकिन उसकी अपनी इच्छाएं, सपने और पहचान धीरे-धीरे गुम होने लगते हैं. Mrs. सिर्फ एक कहानी नहीं, बल्कि हर उस महिला की आवाज़ है, जो अपनी पहचान बचाने के लिए संघर्ष कर रही है. यह फिल्म सवाल उठाती है- क्या एक महिला का पूरा जीवन केवल दूसरों की सेवा करने में ही बीत जाना चाहिए, या उसे भी अपने सपनों को उड़ान देने का हक़ है?

कहानी: एक प्रतिभाशाली डांसर जो घरेलू बंधनों में बंध जाती है

सान्या मल्होत्रा ने ऋचा का किरदार निभाया है, जो एक प्रतिभाशाली डांसर है और अपने सपनों को साकार करना चाहती है. लेकिन शादी के बाद उसके सारे सपने घर की चारदीवारी और रसोई तक सिमटकर रह जाते हैं.

फिल्म की शुरुआत ऋचा के डांस से होती है, लेकिन जल्द ही वह एक डॉक्टर से शादी कर लेती है, जो महिलाओं के शरीर विज्ञान में विशेषज्ञ है- यह एक विडंबनात्मक विरोधाभास है, क्योंकि उसका नजरिया बहुत ही दकियानूसी है. शादी के बाद ऋचा पर परंपराओं का बोझ डाल दिया जाता है-सुबह जल्दी उठकर नाश्ता बनाना, पूरे दिन घर संभालना और अपनी इच्छाओं को त्याग देना.

उसका पति एक तरफ उसे हर दिन समय पर खाना बनाने और घर के काम को उसकी प्राथमिकता बताते हुए, नई नई नसीहत देता है, लेकिन वह मासिक धर्म के दौरान रसोई में न जाने को कहता है, तो वहीं दोस्तों के बीच खुद प्लेट उठाने और सहयोग कर यह दिखाने की कोशिश करता है कि वह उसकी परवाह करता है. यह विरोधाभास Mrs. का मुख्य संदेश है-कैसे महिलाओं को उनके ही घर में अदृश्य जंजीरों में बांध दिया जाता है, उनके सपनों को किचन और घर के चाहरदीवारी में दफन कर दिया जाता है.

प्रमुख विषय: महिलाओं की न खत्म होने वाली जद्दोजहद

फिल्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी व्यापकता है. यह सिर्फ ऋचा की कहानी नहीं है, बल्कि लाखों भारतीय महिलाओं की कहानी है जो अपनी इच्छाओं को पीछे छोड़ने को मजबूर होती हैं. फिल्म कई महत्वपूर्ण विषयों पर प्रकाश डालती है:

  • भावनात्मक श्रम: ऋचा हर दिन सुबह 4 बजे उठती है और रात तक बिना किसी प्रशंसा के घर संभालती रहती है. यह सिर्फ शारीरिक श्रम नहीं बल्कि मानसिक और भावनात्मक थकावट भी है.
  • पितृसत्ता की विडंबना: पति के दोहरे मापदंड-समय पर घर का ताजा खाना चाहिए, लेकिन मासिक धर्म के दौरान पत्नी को ‘आराम’ करने की सलाह देना-एक कटु सच्चाई को उजागर करता है.
  • मौन की ताकत: फिल्म में संवाद कम हैं, लेकिन ऋचा की खामोशी ही सबसे बड़ी कहानी कहती है. हर रोज दोहराए जाने वाले कामों की नीरसता, खाली नजरें, और बिना कहे झेली गई तकलीफें फिल्म को और भी प्रभावशाली बनाती हैं.
  • महिलाओं की स्वतंत्रता और पहचान: यह फिल्म महिलाओं की स्वतंत्रता और उनकी अपनी पहचान की लड़ाई को दर्शाती है. समाज में महिलाओं को केवल घर और रसोई तक सीमित कर देने की मानसिकता पर यह फिल्म करारा प्रहार करती है.

अभिनय: सान्या मल्होत्रा का दमदार प्रदर्शन

सान्या मल्होत्रा ने इस किरदार को पूरी सजीवता के साथ निभाया है. बिना अधिक संवादों के, उनकी आंखों और हावभाव के माध्यम से वे हर भाव को सटीक रूप से व्यक्त करती हैं. उनके अभिनय में पीड़ा, गुस्सा और हताशा बखूबी झलकती है. उनके चेहरे पर झलकती चुपचाप सहे जाने वाली तकलीफ, धीरे-धीरे बढ़ती हताशा और फिर विद्रोह का विस्फोट देखने लायक है.

धीमा, लेकिन सार्थक

फिल्म की गति धीमी है, लेकिन यह जानबूझकर रखा गया है ताकि दर्शक ऋचा की बंधी-बंधाई दिनचर्या को महसूस कर सकें. फिल्म का दोहराव और बारीक विवरण दर्शकों को उस एकरसता और घुटन का अनुभव करने का मौका देता है, जो ऋचा हर दिन झेलती है. हालांकि, यदि आप तेज गति वाली कहानी की उम्मीद कर रहे हैं, तो फिल्म आपको थोड़ी उबाऊ लग सकती है.

क्लाइमेक्स: एक सुलगती हुई चिंगारी का विस्फोट

फिल्म में ऋचा का गुस्सा धीरे-धीरे पनपता है और आखिरकार एक प्रतीकात्मक विद्रोह में बदल जाता है. जब ऋचा अपने पति पर गंदे पानी की बाल्टी फेंकती है, तो यह सिर्फ एक क्रिया नहीं है-यह उन सभी भावनाओं का विस्फोट है जो उसने इतने समय तक दबा रखी थीं. यह दृश्य प्रतीकात्मक रूप से बताता है कि वह अब अपने भीतर के गुस्से और आक्रोश को रोक नहीं सकती. यह सिर्फ पानी नहीं, बल्कि समाज की दकियानूसी सोच, स्त्रियों के बलिदान और उनकी चुप्पी का विरोध है.

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अंतिम निष्कर्ष: एक जरूरी फिल्म, जो दिल और दिमाग पर असर छोड़ती है

Mrs. एक हल्की-फुल्की फिल्म नहीं है, बल्कि यह दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर देने वाली फिल्म है. यह हमारे समाज के उन मुद्दों पर रोशनी डालती है, जिनके बारे में अक्सर बात नहीं की जाती. यह फिल्म यह सवाल छोड़ जाती है-आज भी कितनी ऋचा अपने घरों की रसोई में कैद हैं, अपने सपनों को कुर्बान कर रही हैं?

अगर आप ऐसी फिल्मों को पसंद करते हैं, जो आपको असहज सवालों से टकराने के लिए मजबूर करती हैं, तो Mrs. जरूर देखें.

रेटिंग: 4/5

किसके लिए: जो धीमी गति की लेकिन विचारोत्तेजक फिल्में पसंद करते हैं.
किसके लिए नहीं:जो तेज-तर्रार और मसाला एंटरटेनमेंट की उम्मीद रखते हैं.
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