Saiyaara Movie Review: न कोई बड़ा ट्विस्ट,न ज्यादा ड्रामा; फिर भी अहान-अनीत की जोड़ी के सच्चाई वाले प्यार ने दिल जीत लिया

Saiyaara Movie Review: अहान पांडे ने कृष के किरदार को अच्छे से निभाया है. शुरुआत में थोड़े रुखे लगते हैं, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उनकी आंखों और हावभाव से इमोशंस झलकने लगते हैं
Saiyaara (representative image)

सैयारा (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Saiyaara Movie Review: जब मोहित सूरी कोई फिल्म बनाते हैं तो आपकी उनसे क्या Expectation रहती है ? यही की एक लव स्टोरी होगी, नए चेहरे होंगे, प्यार होगा, रोमांस होगा , शानदार गाने होंगे और हीरो-हीरोइन का प्यार परवान चढ़ ही रहा होगा तभी एक विलन आएगा और फिर आएगा ढेर सारा सस्पेंस और आखिर में कोई न कोई मर जायेगा. एक दुखद अंत के साथ लेकिन सैयारा के साथ ऐसा बिलकुल नहीं है. सैयारा की रिलीज के पहले ऐसा माहौल बनाया जा रहा था कि पता नहीं क्या कर देगी ये फिल्म. इस वजह से इससे उम्मीदें जरूरत से ज्यादा हो गई थी और इसका फायदा एडवांस बुकिंग में मिला भी. ये फिल्म अच्छी है, एक्टर्स की एक्टिंग कमाल है, कहानी ठीक-ठाक है, लेकिन क्या ये वाकई उम्मीदों पर खरी उतरती है ?

क्या कहती है फिल्म की कहानी?

‘सैयारा’ एक लव स्टोरी है. कृष कपूर यानी अहान पांडे को सिंगर बनना है. वाणी यानी अनीत पड्ढा को जर्नलिस्ट बनना है, दोनों कुछ अजीब हालात में मिलते हैं और फिर इनकी लव स्टोरी आगे बढ़ती है. जिसमें दो टूटे हुए दिल एक-दूसरे की आवाज बनते हैं. वाणी बत्रा (अनीत पड्डा) को कविताएं लिखना बेहद पसंद है, लेकिन वह ये बात दुनिया से छुपाकर रखती है. शादी के दिन उसका मंगेतर उसे छोड़ जाता है, जिससे वह अंदर से टूट जाती है और लिखना भी छोड़ देती है, और उसे भूलने की बीमारी हो जाती है.

छह महीने बाद वाणी को पत्रकार की नौकरी मिलती है, जहां उसकी मुलाकात होती है, कृष कपूर (आहान पांडे) से और सिंगर बनने की कोशिश में लगा गुस्सैल और अकेला लड़का. जब कृष वाणी की एक पुरानी कविता पढ़ता है, तो वह उस पर गीत लिखने के लिए कहता है. काम के दौरान दोनों एक-दूसरे के करीब आते हैं और उनके बीच एक अनकहा रिश्ता बनने लगता है और कृष अपना करियर छोड़-छाड़ के वाणी को उसकी याददाश्त वापस लाने में मदद करने लगता है. अब कृष, वाणी की याददाश्त वापस कैसे लाएगा ? कैसे एक दिल टूटा आशिक अपना प्यार वापस पायेगा ? ये सब जानने के लिए आपको सिनेमाघर जाना होगा.

दमदार एक्टिंग ने फिल्म को बनाया शानदार

अहान पांडे ने कृष के किरदार को अच्छे से निभाया है. शुरुआत में थोड़े रुखे लगते हैं, लेकिन जैसे-जैसे कहानी आगे बढ़ती है, उनकी आंखों और हावभाव से इमोशंस झलकने लगते हैं. उनका किरदार बाहर से सख्त लेकिन अंदर से बेहद भावुक है. उनके चेहरे में एक सीरियस लुक है, रणबीर कपूर जब शुरूआत में आये थे तो उनके पास भी थे. ये चीज यहां के करियर में आगे काम आएगी. अनीत पड्डा ने वाणी के किरदार को बहुत ही सच्चाई और मासूमियत से निभाया है.

ये भी पढ़ें: MP में अब गांवों की बदलेगी तस्वीर, लागू होगा मास्टरप्लान, बेसिक इंफ्रा से लेकर पर्यटन और रोजगार पर होगा फोकस

वाणी की जिंदगी में एक ऐसा मोड़ आता है जो ऑडियंस को झकझोर देता है. स्क्रीन पर उनका डर, स्ट्रगल और फिर भी मुस्कराते रहना, ये सब बहुत असरदार लगता है. उनकी मासूमियत और इमोशंस स्क्रीन पर पूरी तरह महसूस होते हैं और इस बात में कोई दो राय नहीं कि आहान और अनीत की जोड़ी में एक फ्रेशनेस और ईमानदारी है, जो आजकल के कई नए कलाकारों में नहीं दिखती. फिल्म के बाकी कलाकार शाद रंधावा, आलम खान वगैरह का काम भी बढ़िया है जो आपको फिल्म से बांधे रखेगा.

मोहित सूरी के डायरेक्शन ने बनाया जानदार

मोहित सूरी, जिन्होंने ‘आशिकी 2’, ‘एक विलेन’, ‘वो लम्हे’ जैसी इमोशनल फिल्में बनाई हैं, उन्होंने ‘सैयारा’ में भी वही दर्द और गहराई दिखाने की कोशिश की है. कुछ हिस्से थोड़े लंबे जरूर लगते हैं, लेकिन उनका इमोशनल ट्रीटमेंट ऑडियंस को बांधे रखता है. मोहित ने पहली बार यशराज फिल्म्स के साथ काम करते हुए अपने अंदाज में एक नई जोड़ी को पेश किया है और उन्होंने इसे एक कभी ना भूलने वाला अनुभव बना दिया है. कुछ सीन जरूरत से ज्यादा वक्त लेते हैं और थोड़ा प्रिडिक्टेबल भी हैं. लेकिन फिल्म की इमोशनल ग्रैविटी उसे बैलेंस कर देती है. दूसरे हाफ में वाणी और कृष के बीच के इमोशनल मोमेंट्स दिल को छू जाते हैं. बिना कुछ कहे भी बहुत कुछ कह जाते हैं.

म्यूजिक इसकी आत्मा है

फिल्म का म्यूजिक इसकी आत्मा है. टाइटल ट्रैक ‘सैयारा’ दिल छू जाता है और खत्म होने के बाद भी आप लगातार गुनगुनाते रहेंगे. बाकी गाने उतने असरदार नहीं लेकिन बैकग्राउंड स्कोर हर इमोशनल सीन को और गहराई देता है. मिथुन, फहीम अब्दुल्ला, विशाल मिश्रा, सचेत-परंपरा और तनिष्क बागची की टीम ने कहानी के इमोशंस को संगीत से खूबसूरती से जोड़ा है.

ये भी पढ़ें: MP News: एमपी में 159 करोड़ की लागत से बनाए जाएंगे विधायकों के लिए आधुनिक विश्रामगृह, 3 स्टार होटल की होंगे फ्लैट्स

ओवरऑल कैसी है फिल्म ?

अहान पांडे को लेकर कहा जा रहा था कि ये नेपो किड हैं और बेकार काम करेंगे लेकिन यहां वो थ्योरी गलत साबित हुई. अब हलवाई का बेटा हलवाई बन रहा है तो दिक्कत क्या है ? बस रसगुल्ले में चाशनी डाले नमक नहीं, वही काम अहान पांडे ने किया है सिर्फ एक्टिंग पे ध्यान दिया है जिससे ‘सैयारा’ एक सीधी-सादी लेकिन असरदार प्रेम कहानी बन गयी है, जो ऑडियंस के दिल में उतर जाती है. ये फिल्म सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं, बल्कि रिश्तों की गहराई और सच्चे प्यार की ताकत को दिखाती है. अगर आप इमोशनल, सच्ची एक्टिंग और खूबसूरत म्यूजिक वाली फिल्में पसंद करते हैं, तो ‘सैयारा’ जरूर देखें.

बस थिएटर में रोना धोना, कपडे फाड़के नाचना, जो वीडियोस आ रही हैं, ये हरकतें ना करें सिर्फ फिल्म को एन्जॉय करें ये फिल्म आपको इमोशंस की उस दुनिया में ले जाएगी, जहां हर सीन कुछ महसूस कराता है. मेरी तरफ से फिल्म को 5 में से 3. 5 स्टार्स.

ज़रूर पढ़ें