एक फिल्म, तीन मौतें और 23 साल…’Love and God’ की कहानी जो दिल को छू जाए!
Love And God Film: यह कहानी एक ऐसी फिल्म की है, जिसको बनाने की यात्रा न केवल असामान्य और रहस्यमय पथ पर चली, बल्कि अपने समय की सबसे दिलचस्प और त्रासदी भरी कहानी भी बन गई. इस फिल्म को बनाने में करीब 23 सालों का वक्त लगा, और इस दौरान जितनी घटनाएं घटीं, वे सिनेमा की दुनिया को हिला देने के लिए काफी थीं. उस फिल्म का नाम है–Love and God.
1963 में जब सब कुछ शुरू हुआ
यह कहानी 1963 की है, जब प्रसिद्ध फिल्म निर्माता के.आसिफ ने एक अनोखी और गहरी प्रेम कहानी को पर्दे पर उतारने का फैसला किया. यह कहानी थी लैला और कैस की, दो अरबी प्रेमियों की, जो एक-दूसरे से दूर होते हुए भी अपने प्यार की ताकत से एक-दूसरे से जुड़े रहते हैं. के. आसिफ के दिमाग में इस फिल्म के लिए बहुत कुछ चल रहा था, और उन्होंने इसके लिए भारतीय सिनेमा के महान अभिनेता गुरुदत्त को कैस के किरदार के लिए चुना.
लेकिन, जैसे ही शूटिंग शुरू हुई, कुछ ऐसा हुआ, जिसने सब को हैरान कर दिया. फिल्म में लैला का किरदार निभाने वाली निम्मी निर्माण के पहले कुछ सालों तक शूटिंग में व्यस्त रही. लेकिन क्या किसी ने सोचा था कि गुरुदत्त के साथ एक अप्रत्याशित मोड़ आने वाला था?
गुरुदत्त की मौत
फिल्म की शूटिंग के दौरान ही 1964 में एक दिन गुरुदत्त अपने अपार्टमेंट में मृत पाए गए. उनके निधन के बाद सिनेमा जगत में कई सवाल उठे. क्या यह आत्महत्या थी या फिर कुछ और? गुरुदत्त की मौत के बाद फिल्म निर्माण में एक ठहराव आ गया. उनकी अनुपस्थिति के कारण, के. आसिफ को फिल्म के लिए नया अभिनेता ढूंढने की जरूरत पड़ी, और उन्होंने संजीव कुमार को गुरुदत्त के स्थान पर साइन किया.
यहां से Love and God का सफर और भी दिलचस्प हो गया. के आसिफ ने फिल्म की शूटिंग फिर से शुरू की, लेकिन न जाने क्या था, कि इस फिल्म के निर्माण में एक और दुखद मोड़ आया.
एक और झटका
सिर्फ अभिनेता नहीं, अब निर्माता और निर्देशक भी इस फिल्म के चक्रव्यूह में फंसे हुए थे. 1971 में जब फिल्म का निर्माण फिर से चालू हुआ, तब एक और दुखद घटना घटी. के. आसिफ का निधन हो गया. सिनेमा की दुनिया में यह एक और बड़ा झटका था. यह फिल्म अब अधूरी थी, और इसके निर्माण के सभी प्रयास जैसे एक अनचाहा सपना बन गए थे. फिल्म की शूटिंग बंद हो गई, और Love and God की कहानी वहीं बीच में रुक गई.
अख्तर बेगम का संकल्प
लेकिन यहां पर एक नया मोड़ आया. के. आसिफ की चौथी पत्नी अख्तर बेगम ने इस फिल्म को पूरा करने का संकल्प लिया. अख्तर बेगम दिलीप कुमार की बहन थीं. अख्तर बेगम ने न केवल फिल्म को पूरा करने का कार्य संभाला, बल्कि यह काम करते हुए उन्होंने खुद ही कई बाधाओं को पार किया. उन्होंने पुराने स्टूडियो से फिल्म के अधूरे हिस्से निकाले, और फिर उसे जोड़ने के लिए कट-पेस्ट तकनीक का इस्तेमाल किया.
वो जानती थीं कि एक अद्भुत कृति को पूरा करने के लिए समर्पण की आवश्यकता होती है, और उन्होंने पूरी मेहनत और धैर्य के साथ इसे पूरा किया. अख्तर बेगम ने इस फिल्म को 1986 में रिलीज़ करने के लिए तैयार किया. लेकिन, जब फिल्म रिलीज़ हुई, तब तक संजीव कुमार का भी 1985 में निधन हो चुका था. इसके अलावा, फिल्म के अन्य अभिनेता जयंत भी चल बसे थे.
27 मई 1986 को Love and God सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई, लेकिन इसका स्वागत किसी उत्सव की तरह नहीं हुआ. यह फिल्म एक दुख और संघर्ष की कहानी को दर्शाती थी, जिसमें कला और समर्पण की अनगिनत परतें थीं. अख्तर बेगम की कोशिश और संकल्प ने उस फिल्म को जिंदा रखा, जो अनगिनत दुखों, त्रासदियों, और मौतों के बीच भी अधूरी नहीं रही.
जब यह फिल्म आखिरकार स्क्रीन पर आई, तो यह किसी रचनात्मक सफर के पूरा होने की तरह थी. यह एक ऐसी फिल्म थी, जिसे बनाने में 23 साल का वक्त लगा, और इस दौरान कई लोगों की मौत हो गई, लेकिन इसका निर्माण कभी नहीं रुका.
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सिनेमा की रहस्यमयी कृति
Love and God सिर्फ एक फिल्म नहीं थी, यह एक गहरी कहानी थी उस जुनून, समर्पण, और संघर्ष की, जो सिनेमा की दुनिया में हर कलाकार और निर्माता के दिल में होता है. यह फिल्म इस बात का प्रतीक बन गई कि कला कभी रुकती नहीं, और यदि किसी को अपने काम से सच्चा प्यार हो, तो वह किसी भी कठिनाई को पार कर सकता है.
आज, यह फिल्म भारतीय सिनेमा की इतिहासिक धरोहर बन चुकी है, और इसके निर्माण की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि कभी-कभी, सफलता और कला पाने के लिए सबसे कठिन रास्ते तय करने पड़ते हैं, और वही रास्ते अंत में हमें हमारे सपनों तक ले जाते हैं.