चिदंबरम के बयान, मनमोहन से लेकर नेहरू तक पर निशाना… लोकसभा में कांग्रेस पर खूब बरसे अमित शाह
गृह मंत्री अमित शाह
Amit Shah in Lok Sabha: लोकसभा में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा हो रही है. दूसरे दिन इस चर्चा की शुरुआत गृह मंत्री अमित शाह ने श्रीनगर में सोमवार को हुए एनकाउंटर के बारे में जानकारी देने के साथ की. अमित शाह ने बताया कि एनकाउंटर में मारे गए तीनों आतंकी वही थे, जो पहलगाम की बैसरन घाटी में आतंकी हमलों में शामिल थे और जिनमें 26 लोग मारे गए थे. ‘ऑपरेशन महादेव’ पर सदन को जानकारी देने के बाद शाह ने ऑपरेशन सिंदूर पर बोलते हुए कई बार कांग्रेस पर निशाना साधा. अमित शाह के निशाने पर खासतौर पर पी. चिदंबरम थे, जिन्होंने एक इंटरव्यू में सवाल उठाए थे कि ये कैसे पता कि पहलगाम हमले में शामिल आतंकी पाकिस्तानी थे. वहीं PoK और अक्साई चीन के मुद्दे पर गृह मंत्री ने पूर्व पीएम पं. नेहरू पर आरोप लगाए और कहा कि कांग्रेस को हमसे कुछ भी पूछने का हक नहीं है.
ऑपरेशन महादेव में मारे गए पहलगाम हमलावर- शाह
ऑपरेशन महादेव को लेकर जानकारी देते हुए शाह ने कहा, “एक संयुक्त ऑपरेशन महादेव में भारतीय सेना, CRPF और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने पहलगाम आतंकी हमले में शामिल तीन आतंकवादियों को मार गिराया है. तीनों आतंकवादी – सुलेमान, अफगान और जिबरान मारे गए.” शाह ने बताया कि जो लोग उन्हें खाना पहुंचाते थे, उन्हें पहले ही हिरासत में ले लिया गया था. जब इन आतंकवादियों के शव श्रीनगर लाए गए तो हमारी एजेंसियों द्वारा हिरासत में रखे गए लोगों ने उनकी पहचान की.
विपक्ष के हंगामे पर भड़के शाह
गृह मंत्री ने बताया कि सुलेमान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का कमांडर था. अफगान लश्कर-ए-तैयबा का ए-श्रेणी का आतंकवादी था और जिबरान भी ए-ग्रेड का आतंकवादी था. बैसरन घाटी में जिन्होंने हमारे नागरिकों को मारा था, वह ये तीनों आतंकवादी थे और तीनों मारे गए. अमित शाह ने जैसे ही ये जानकारी दी विपक्ष हंगामा करने लगा. इस पर शाह ने निशाना साधते हुए कहा, “मुझे अपेक्षा थी कि जब वे पहलगाम आतंकवादियों के मारे जाने की खबर सुनेंगे तो खुश होंगे, लेकिन ऐसा लगता है कि वे इससे खुश नहीं हैं.”
अमित शाह ने कहा, “पहलगाम हमले के तुरंत बाद, मैंने प्रभावित परिवारों से मुलाकात की थी. मैंने अपने सामने एक महिला को खड़ा देखा, जो अपनी शादी के 6 दिन बाद ही विधवा हो गई थी – मैं उस दृश्य को कभी नहीं भूल सकता. मैं आज सभी परिवारों को बताना चाहता हूं कि पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर के जरिए उन लोगों को भेजने वालों को मारा और आज हमारे सुरक्षा बलों ने उन लोगों को भी मारा जिन्होंने हत्याएं की थी.”
चिदंबरम के बयान को लेकर कांग्रेस को घेरा
चिदंबरम के बयान को लेकर अमित शाह ने कांग्रेस को जमकर घेरा. शाह ने कहा कि कल वे (कांग्रेस) हमसे पूछ रहे थे कि आतंकवादी कहां से आए और इसके लिए कौन जिम्मेदार है. बेशक, यह हमारी जिम्मेदारी है क्योंकि हम सत्ता में हैं. उन्होंने कहा, “मुझे बहुत दुख हुआ कि कल इस देश के पूर्व गृह मंत्री चिदंबरम ने सवाल उठाया कि क्या सबूत है कि ये आतंकी पाकिस्तान से आए थे. वे क्या कहना चाहते हैं? किसे बचाना चाहते हैं? पाकिस्तान को बचाकर आपको क्या मिलेगा?”
हमारे पास सबूत- बोले शाह
शाह ने कहा, “हमारे पास सबूत है कि ये तीनों पाकिस्तानी थे. हमारे पास उन दोनों के वोटर आईडी नंबर हैं. उनके पास से बरामद चॉकलेट पाकिस्तान में बनी हैं. इस देश के पूर्व गृह मंत्री पाकिस्तान को क्लीन चिट दे रहे हैं. अगर वे पाकिस्तानी नहीं थे, तो चिदंबरम ये सवाल भी उठा रहे हैं कि पाकिस्तान पर हमला क्यों हुआ. 130 करोड़ लोग पाकिस्तान को बचाने की उनकी साजिश देख रहे हैं.”
मनमोहन सरकार को भी घेरा
गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर के बाद, हमारे DGMO ने पाक DGMO को बताया कि भारत ने आत्मरक्षा के अपने अधिकार के तहत उनकी जमीन पर आतंकी ढांचे पर हमला किया है. यह मनमोहन सिंह की सरकार के दौरान जैसा हुआ वैसा नहीं हो सकता कि आतंकवादी आएं और हमें मार दें और हम चुपचाप बैठे रहें.”
नेहरू पर शाह ने लगाया आरोप
अमित शाह ने कहा, “कल वे (कांग्रेस) सवाल उठा रहे थे कि युद्ध क्यों नहीं किया. आज, PoK केवल जवाहरलाल नेहरू की वजह से मौजूद है…1960 में उन्होंने सिंधु नदी का 80% पानी पाकिस्तान को दे दिया. 1971 में शिमला समझौते के दौरान वे (कांग्रेस) PoK के बारे में भूल गए. अगर उन्होंने उस समय PoK ले लिया होता, तो हमें अब वहां शिविरों पर हमले नहीं करने पड़ते.”
30 हजार वर्ग किमी अक्साई चिन का हिस्सा चाइना को दे दिया
अमित शाह ने कहा, “62 के युद्ध में क्या हुआ. 30 हजार वर्ग किलोमीटर अक्साई चिन का हिस्सा चीन को दे दिया गया. उस पर सदन में नेहरू जी ने कहा था कि वहां घास का एक तिनका नहीं उगता.”
शाह ने कहा कि इंदिरा गांधी ने पाकिस्तान के दो टुकड़े किए और हम सभी इस पर गर्व करेंगे..लेकिन इसके बाद क्या हुआ, शिमला में समझौता हुआ, अगर तब पीओके मांग लेते, तो ना रहता बांस न बजती बांसुरी. पीओके तो लिया नहीं, 15 हजार वर्ग किलोमीटर की जीती हुई जमीन भी दे दी.