‘अहंकारी युवराज’ से ‘जननायक’ तक…तेजस्वी को लेकर पप्पू यादव के बदलते सुर क्या बिहार में महागठबंधन की वापसी करा पाएंगे?

Bihar News: बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले कहते हैं कि लालू पप्पू यादव को माफ नहीं कर सकते हैं. यही वजह रही कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीट होते हुए भी पूर्णिया से अपना उम्मीदवार उतार दिया
Tejashwi Yadav and Pappu Yadav (file photo)

तेजस्वी यादव और पप्पू यादव (फाइल तस्वीर)

Bihar News: ‘इस जन्म में उस मंच पर नहीं चढ़ेंगे, जहां पर कोई युवराज अहंकारी हो…’, ये कहने वाले पप्पू यादव ‘वोटर अधिकार यात्रा’ में तेजस्वी यादव को जननायक और अपना भाई कहते नजर आए. खुले तौर पर न सही लेकिन सियासी गलियारों में देखा जाए तो वो अहंकारी युवराज और कोई नहीं लालू यादव के छोटे पुत्र तेजस्वी यादव ही हैं। लेकिन अचानक पप्पू यादव के यू-टर्न ने बिहार की सियासत में हलचल पैदा कर दी है, जिसके बाद से यह सवाल उठने लगा है कि क्या पप्पू यादव राहुल गांधी के साथ-साथ तेजस्वी के साथ मंच साझा करेंगे? अगर पप्पू यादव तेजस्वी के साथ मंच शेयर करते हैं तो इसका बिहार चुनाव पर प्रभाव कितना होगा? क्या पप्पू यादव सब कुछ भूलकर लालू परिवार से हाथ मिला लेंगे?

राहुल के लिए पप्पू यादव का समर्पण

एक इंटरव्यू में पप्पू यादव ने कहा कि कांग्रेस को पप्पू यादव आज तक बिहार में पसंद नहीं आया. लेकिन जब पूछा गया कि ऐसा क्यों? तब उनका कहना था, ‘हम तो रंक हैं, वो राजा हैं… हम तो पागल है कांग्रेस के प्यार में, राहुल गांधी के प्यार में.” यह दर्शाता है कि पप्पू यादव को कांग्रेस उतनी तवज्जों भले ही न दे, लेकिन वे समय-समय पर कांग्रेस के प्रति अपनी वफादारी और समर्पण की भावना व्यक्त करते रहते हैं.

तेजस्वी पर पप्पू का यू-टर्न

लालू परिवार से पप्पू यादव का संबंध जगजाहिर है. सियासी पंडितों की मानें तो लालू यादव कभी नहीं चाहते कि पप्पू कांग्रेस ज्वाइन करें. लालू नहीं चाहते कि बिहार में तेजस्वी यादव के लिए कोई सहयोगियों में ऐसा नेता हो जो बेटे के लिए चुनौती बन सके. खैर, कल तक जो पप्पू यादव तेजस्वी की टांग खींचने में कोई कसर बाकी नहीं रखते थे, वो अब तेजस्वी को जननायक की संज्ञा देते दिखे. 2015 के विधानसभा चुनाव के बाद पप्पू यादव ने तेजस्वी को अनुभवहीन नेता बताया था. 2019 लोकसभा चुनाव हारने के बाद तेजस्वी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाए थे. 2017 में नीतीश कुमार और राजद जब अलग-अलग हुए, उस वक्त पप्पू यादव ने कहा था कि तेजस्वी ने ईमानदारी से अपनी भूमिका नहीं निभाई.

तेजस्वी को भी पप्पू यादव पसंद नहीं

ऐसी बात नहीं है कि सिर्फ पप्पू यादव को तेजस्वी पसंद नहीं है, बल्कि तेजस्वी को भी पप्पू पसंद नहीं हैं. लोकसभा चुनाव 2024 के मद्देनजर, बिहार में इंडिया ब्लॉक में जब सीट बंटवारे की बात चल रही थी, पप्पू यादव ने उस समय अपनी पार्टी का विलय कांग्रेस में कर दिया था और पूर्णिया से अपनी दावेदारी ठोक रहे थे. हालांकि, वह तेजस्वी को यह कतई मंजूर नहीं था और यह सीट राजद के खाते में चली गई.

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इसके बाद पप्पू यादव पूर्णिया से निर्दलीय मैदान में उतरे और जीतकर संसद भी पहुंचे. लेकिन चुनाव प्रचार के दौरान तेजस्वी और पप्पू यादव के बीच जमकर जुबानी हमले देखने को मिले. एक जनसभा के दौरान तेजस्वी यादव ने उनका विरोध करते हुए कहा था कि यहां दो गठबंधन चुनाव लड़ रहे हैं. हमें नहीं वोट करना है तो दूसरे गठबंधन को वोट कर दें. इशारा साफ था कि अगर महागठबंधन को वोट नहीं कर रहे हैं तो एनडीए को वोट कर दें, लेकिन पप्पू को वोट न दें.

लालू यादव तेजस्वी के सामने किसी को उभरते नहीं देखना चाहते!

पप्पू यादव कभी राजद का हिस्सा हुआ करते थे, लेकिन बाद में लालू से अलग होकर उन्होंने अपनी पार्टी बनाई और हमेशा तेजस्वी और तेज प्रताप को कोसते रहे हैं. लेकिन जब पप्पू महागठबंधन में शामिल हुए तो लालू और तेजस्वी से मिले. बिहार की राजनीति को करीब से देखने वाले कहते हैं कि लालू पप्पू यादव को माफ नहीं कर सकते हैं. यही वजह रही कि 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की सीट होते हुए भी पूर्णिया से अपना उम्मीदवार उतार दिया.

कुछ इसी तरह, 2019 लोकसभा चुनाव में कन्हैया कुमार के खिलाफ बेगूसराय से अपना उम्मीदवार उतार दिया था. लालू नहीं चाहते कि तेजस्वी के लिए आज या भविष्य में कोई चुनौती रहे. जब राहुल के ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से पहले कन्हैया कुमार ने बिहार में ‘पलायन रोको-नौकरी दो यात्रा’ निकाली, खुद राहुल गांधी भी इस यात्रा में शामिल हुए. लेकिन अचानक यह यात्रा खत्म हो गई और कन्हैया कुमार को वापस दिल्ली बुला लिया गया.

हाल ही में विपक्ष के बिहार बंद के दौरान एक वीडियो खूब वायरल हुआ था, जिसमें तेजस्वी-राहुल की गाड़ी पर कन्हैया कुमार और पप्पू यादव को सवार नहीं होने दिया गया. इन सारी घटनाओं की गहराई में जाएंगे तो एक ही बात निकलकर आती है कि लालू तेजस्वी यादव के लिए बिहार में कोई भी चुनौती नहीं चाहते हैं.

तेजस्वी को पप्पू यादव ने क्या-क्या कहा

पप्पू यादव अक्सर तेजस्वी पर तीखे हमले करते रहे हैं. पूर्व में उन्होंने कई ऐसे बयान दिए, जिसके बाद दोनों नेताओं के बीच तल्खियां बढ़ती चली गईं. पप्पू ने एक बार कहा था, ‘बिच्छू का काम काटना है, साधु का काम है माफ करना. हमें किसी से माल नहीं चाहिए. उन्हें अपने पिता लालू प्रसाद यादव से सीखना चाहिए. तेजस्वी योद्धा हैं और राजा भी हैं, हम रंक हैं और रंक के मुंह से राजा के बारे में कुछ भी कहना उचित नहीं होगा.’

तेजस्वी को लेकर पप्पू ने कहा था, “‘राहुल गांधी देशहित के लिए लड़ते हैं, जबकि तेजस्वी सिर्फ सत्ता के लिए सक्रिय हैं. तेजस्वी संविधान की परवाह नहीं करते और बीजेपी के पक्ष में काम कर रहे हैं.’

पप्पू का एक और बयान तेजस्वी को निशाना बनाते हुए दिया गया था, जिसमें उन्होंने कहा था, ‘हमाम में सब नंगे हैं, कौन बचा है? जब वह खुद (तेजस्वी यादव) सरकार में थे, तब उन्होंने भी आयोगों में नियुक्तियां की थीं. उस समय दीपक बाबू, अमृत प्रत्यय और आनंद किशोर जैसे अधिकारी उनके साथ थे, तब उन्हें कुछ गलत नहीं लगा.’ इसी तरह लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारे पर पप्पू ने कहा था, ‘अगर बिहार के युवराज के अंदर अहंकार नहीं होता तो हम 25 से अधिक सीट जीत लेते और राहुल गांधी पीएम बन जाते.’

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हालांकि, अब अचानक से वही पप्पू यादव तेजस्वी को जननायक करार देने लगे. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि पप्पू यादव का यह कदम केवल व्यक्तिगत रिश्तों को सुधारने की कोशिश नहीं है, बल्कि 2025 विधानसभा चुनाव को देखते हुए अपनी राजनीतिक पकड़ मजबूत करने की रणनीति भी है. जानकारों का मानना है कि तेजस्वी यादव से नजदीकियां बढ़ाने से विपक्ष की एकजुटता और मजबूत हो सकती है. लेकिन इन सबका फैसला तो चुनाव के नतीजे से पता चलेगा.

बिहार में पप्पू यादव कितने मजबूत?

छह बार के सांसद और एक बार विधायक रह चुके पप्पू यादव की कोसी-सीमांचल के इलाके में अच्छी पकड़ मानी जाती है. बिहार में एक कहावत है ‘रोम इज़ फ़ॉर पोप एंड मधेपुरा इज फ़ॉर गोप’ यानी रोम पोप का तो मधेपुरा गोप (यादवों) का है.’ पप्पू यादव की छवि गरीबों का मसीहा और बाहुबली नेता वाली रही है. वो गरीबों की मदद करते हैं. जबकि, बाहुबली वाली छवि की वजह से उनके रहते पूर्णिया में डॉक्टर किसी मरीज को एडमिट कर मनमाने पैसे नहीं वसूल सकता है. कोविड-19 हो या बाढ़… पप्पू यादव हमेशा मदद करते दिख जाते हैं. यही वजह है कि पप्पू यादव को यादवों के अलावा गरीबों- पिछड़ों, युवा, मुस्लिम और दलितों का भी समर्थन हासिल है. कोसी क्षेत्र में 13 विधानसभा सीट है जिसपर पप्पू यादव का सीधे प्रभाव है.

क्या पप्पू यादव और तेजस्वी यादव साथ आएंगे?

कहा जाता है कि राजनीति में कोई हमेशा दोस्त नहीं होता, ना ही दुश्मन. जिस प्रकार से पप्पू यादव हमेशा तेजस्वी को कोसते रहे हैं, लेकिन अचानक से अब जननायक बताने लगे हैं, ये इस ओर इशारा करता है कि दोनों के बीच दूरियां जल्द ही कम होती नजर आ सकती हैं. अगर ऐसा होता है तो इसका सीधा फायदा महागठबंधन को मिलेगा.

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