बिहार में वोटर लिस्ट रिवीजन में आई तेजी, 7.17 करोड़ फॉर्म जमा, लिस्ट से कटेंगे 35 लाख से अधिक नाम

Bihar Voter List Revision: बिहार में अब तक 35.69 लाख लोग अपने पते पर नहीं मिले हैं. जिनमें मृत, डुप्लिकेट या गलत पते वाले मतदाताओं का नाम शामिल हैं. जिनका नाम वोटरलिस्ट से हटाया जा सकता है.
Bihar Voter List Verification

वोटर लिस्ट रिवीजन पर चुनाव आयोग ने बढ़ाई तेजी

Bihar Voter List Revision: बिहार में अक्टूबर में विधानसभा चुनाव होने को है. इससे पहले प्रदेश में चुनाव आयोग द्वारा शुरू किया गया विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) तेजी से आगे बढ़ रहा है. चुनाव आयोग ने दावा किया है कि 90.84% मतदाताओं के गणना फॉर्म प्राप्त हो चुके हैं. बिहार में कुल 7.89 करोड़ पंजीकृत मतदाताओं में से अब तक लगभग 7.17 करोड़ फॉर्म जमा हो चुके हैं. आयोग ने 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की अंतिम तारीख तय की है. लेकिन उम्मीद है कि यह काम समय से पहले पूरा हो जाएगा. बाकी 10% मतदाताओं तक पहुंचने के लिए बूथ लेवल ऑफिसर (BLO) घर-घर जाकर संपर्क कर रहे हैं.

मतदाता सूची में हटाए जायेंगे लाखों नाम

चुनाव आयोग के मुताबिक, अब तक 35.69 लाख लोग अपने पते पर नहीं मिले हैं. जिनमें मृत, डुप्लिकेट या गलत पते वाले मतदाता शामिल हैं. जिनका नाम वोटरलिस्ट से हटाया जा सकता है.

विपक्ष को आशंका है कि यह संख्या 60-70 लाख तक पहुंच सकती है. आयोग ने यह भी खुलासा किया कि बिहार में नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार से अवैध रूप से आए लोगों के नाम वोटर लिस्ट में मिले हैं, जिन्हें 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित अंतिम सूची से हटाया जाएगा.

विपक्ष का विरोध और आरोप

विपक्षी दलों, खासकर RJD नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस ने इस प्रक्रिया की टाइमिंग और पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं. तेजस्वी यादव ने इसे ‘लोकतंत्र पर हमला’ और ‘चुपके से NRC लागू करने की साजिश’ करार दिया है. उनका आरोप है कि यह प्रक्रिया गरीब, दलित, और अल्पसंख्यक समुदायों को मतदाता सूची से हटाने का प्रयास है. विपक्ष का कहना है कि 2003 की वोटर लिस्ट को आधार मानकर 2.93 करोड़ मतदाताओं को अपनी नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज जमा करने पड़ रहे हैं, जो विशेष रूप से हाशिए पर रहने वाले समुदायों के लिए मुश्किल है.

सुप्रीम कोर्ट में मामला

वोटर लिस्ट रिवीजन का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा हुआ है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) और विपक्षी दलों ने इस प्रक्रिया को SC में चुनौती दी है. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. मगर SC ने चिंता जताई कि दस्तावेजों की कमी के कारण किसी का नाम वोटर लिस्ट से हटने पर उनका मताधिकार छिन सकता है.

कोर्ट ने आयोग को सुझाव दिया कि दस्तावेजी प्रक्रिया को सरल किया जाए और आधार कार्ड, वोटर आईडी या राशन कार्ड जैसे दस्तावेजों को स्वीकार किया जाए.

चुनाव आयोग का पक्ष

चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को नियमित और पारदर्शी बताया है, जिसका उद्देश्य मतदाता सूची को त्रुटिरहित और विश्वसनीय बनाना है. आयोग का कहना है कि शहरीकरण, पलायन और फर्जी वोटिंग की शिकायतों के कारण यह कवायद जरूरी है. 2003 की वोटर लिस्ट को आधार मानकर उन मतदाताओं को छूट दी गई है, जिनके नाम उस सूची में हैं (लगभग 4.96 करोड़). बाकी मतदाताओं को अपनी पात्रता साबित करने के लिए फॉर्म और दस्तावेज जमा करने होंगे. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि बिहार मॉडल को 2029 से पहले पूरे देश में लागू किया जाएगा.

राजनीतिक हलचल और बीजेपी की चिंता

विपक्ष के साथ-साथ सत्तारूढ़ बीजेपी भी इस प्रक्रिया को लेकर चिंतित दिख रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि उनके बूथ लेवल एजेंट (BLA) इस प्रक्रिया के लिए पूरी तरह तैयार नहीं थे, जबकि विपक्ष ने इस मामले में सक्रियता दिखाई है. बीजेपी ने अपने संगठन को सक्रिय करने के लिए टॉप लीडरशिप को निर्देश दिए हैं. डिप्टी सीएम विजय सिन्हा ने बीएलओ और आयोग का बचाव करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया स्वतंत्र और निष्पक्ष है.

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आगे की प्रक्रिया

1 अगस्त 2025 को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट प्रकाशित होगी, जिसके बाद मतदाता आपत्तियां दर्ज कर सकते हैं. अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को जारी होगी. जिनके नाम ड्राफ्ट सूची में नहीं होंगे, वे मतदान रजिस्ट्रेशन अधिकारी, जिला निर्वाचन अधिकारी या मुख्य निर्वाचन अधिकारी के पास अपील कर सकते हैं. आयोग ने फॉर्म जमा करने की प्रक्रिया को आसान करने के लिए https://voters.eci.gov.in और ECINET APP पर फॉर्म उपलब्ध कराए हैं.

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