विदेशी फंडिंग के आरोप को पवन खेड़ा की पत्नी नीलिमा ने किया खारिज, बोलीं- ये झूठ है, केस करेंगे
लेखिका कोटा नीलिमा
Kota Neelima On Foreign Funding: कांग्रेस के सीनियर नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा की पत्नी एवं लेखिका कोटा नीलिमा ने उन पर लगाए गए विदेश फंडिंग के आरोपों को नकारा और इसे सिरे से खारिज कर दिया है. उन्होंने इस मामले को झूठा बताया है और कानूनी कार्रवाई करने की बात कही है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, सोशल मीडिया पर कांग्रेस पार्टी, विदेशी फंडिंग और मीडिया नेटवर्क के गठजोड़ का दावा किया जा रहा है. इस वजह से राजनीतिक मामला गहरा गया है. इसमें कांग्रेस नेता पवन खेड़ा की पत्नी कोटा नीलिमा को इस पूरे मामले का चेहरा बताया जा रहा है. सोशल मीडिया पोस्ट में दावा किया जा रहा है कि नीलिमा PROTO नाम के संगठन से जुड़ी हैं जो दिल्ली में स्थित है.
I am shocked at this defamatory rant masquerading as investigation in this thread. It is a deliberate lie, published with intent to injure my reputation. Every material assertion is false and malicious. Civil and criminal proceedings are being initiated without delay against the… https://t.co/SZQCaf16og
— Kota Neelima కోట నీలిమ (@KotaNeelima) December 20, 2025
इसके मुताबिक ये ऑर्गेनाइजेशन अमेरिकी लिंक वाले जर्नलिज्म प्रोग्राम्स के जरिए ये तय करने की भूमिका निभाता है कि विदेशी फंडिंग किन भारतीय पत्रकारों को मिले. पोस्ट में कोटा नीलिमा को कांग्रेस वर्किंग कमेटी की सदस्य और तेलंगाना राज्य कांग्रेस की पूर्व उपाध्यक्ष बताया गया है.
सोशल मीडिया पर किए गए दावे
सोशल मीडिया साइट एक्स पोस्ट में ये आरोप लगाए गए हैं कि PROTO की स्थापना साल 2018 में अमेरिका स्थित इंटरनेशनल सेंटर फॉर जर्नलिस्ट्स (ICFJ) से जुड़े फेलोज द्वारा की गई थी. इसके बाद ये साउथ एशिया में ICFJ के कार्यक्रमों का प्रमुख साझेदार बना. पोस्ट में दावा किया गया है कि ICFJ पश्चिमी सरकारों, फाउंडेशनों और मीडिया संस्थानों से मिलने वाली विदेशी फंडिंग को भारत में जर्नलिज्म प्रोजेक्ट्स के जरिए चैनल करता है. इन पहलों के जरिए केंद्र की बीजेपी सरकार के खिलाफ कथित रूप से नैरेटिव गढ़े जाते हैं.
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इस सोशल मीडिया पोस्ट के थ्रेड में ये भी दावा किया गया है कि नीलिमा ने साल 2017 के बाद कई मीडिया और सिविल सोसाइटी प्लेटफॉर्म शुरू किए या उनसे जुड़ीं. इनमें इंस्टीट्यूट ऑफ परसेप्शन स्टडीज (IPS), रेट द डिबेट, हक्कू इनिशिएटिव और स्टूडियोअड्डा (HIS) जैसे नाम शामिल हैं. आरोप लगाए गए हैं कि इन्हीं के जरिए BJP सरकार की आलोचना करने वाले जर्नलिस्ट को जगह दी गई और प्रभावित करने के लिए विदेशी फंडिंग दी गई.