UP News: सीतापुर में स्कूल मर्जर पर हाई कोर्ट ने रोक लगाई, अखिलेश यादव बोले- भाजपाइयों ने मनमानी की तो ‘PDA पाठशाला’ खोलेंगे

सीतापुर में स्कूल मर्जर को लेकर इसके पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की थी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 7 जुलाई को राज्य सरकार के स्कूल मर्जर के फैसले को सही ठहराया था. लेकिन जब डबल बेंच ने सुनवाई की तो मर्जर पर रोक लगा दी.
Lucknow Bench of Allahabad High Court(File Photo)

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ(File Photo)

School Merger News In Sitapur: उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में प्राथमिक विद्यालयों के मर्जर पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है. इसके साथ ही कोर्ट ने पुरानी स्थिति को बनाए रखने का आदेश दिया है. ये आदेश हाईकोर्ट की डबल बेंच ने दिया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि आपने बिना किसी सर्वे के इस तरह का फैसला क्यों लिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त को होगी.

सिंगल बेंच ने सरकार के फैसले को सही ठहराया था

सीतापुर में स्कूल मर्जर को लेकर इसके पहले हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने सुनवाई की थी. हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने 7 जुलाई को राज्य सरकार के स्कूल मर्जर के फैसले को सही ठहराया था. लेकिन जब डबल बेंच ने सुनवाई की तो मर्जर पर रोक लगा दी. वहीं हाईकोर्ट के इस आदेश के बाद सरकार को झटका लगा है. अब सरकार की स्कूलों के मर्जर नीति पर भी सवाल खड़े हो गए हैं.

अखिलेश यादव बोले- ‘PDA पाठशाला’ खोलेंगे

वहीं स्कूल मर्जर पर हाईकोर्ट के फैसले के बाद सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने राज्य सरकार पर हमला बोला है. अखिलेश सोशल मीडिया साइट एक्स पर ट्वीट करते हुए लिखा, ”अगर शिक्षा का महत्व ना समझने वाले भाजपाइयों ने हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ जाकर अपनी बुलडोजरी मनमर्जी चलाई और स्कूल का मर्जर किया तो हम हर उस गांव में ‘PDA पाठशाला’ खोल देंगे, जहां बच्चों से पढ़ाई का बुनियादी हक छीना जा रहा है. ये PDA समाज के खिलाफ एक बड़ी भाजपाई साजिश है. भाजपा और उनके संगी-साथी हर जगह अपने कार्यालय तो खोल रहे हैं लेकिन स्कूल बंद कर रहे हैं. भाजपा जाए तो शिक्षा आए.”

मर्जर योजना पर सरकार का क्या पक्ष है?

UP सरकार की स्कूल मर्जर योजना सीतापुर ही नहीं पूरे प्रदेश में चल रही है. राज्य सरकार का कहना है कि छात्रों की संख्या और संसाधनों की कमी वाले 2 या 2 से ज्यादा स्कूलों को मर्ज कर दिया जाए. जिससे स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा संसाधन उपलब्ध करवाए जा सकें. हालांकि स्थानीय स्तर पर टीचर्स और बच्चों के अभिभावक सरकार की योजना का विरोध कर रहे हैं.

हालांकि अब हाईकोर्ट के फैसले के बाद दूसरे जिलों में भी मर्जर के खिलाफ आवाज उठ सकती है.

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