लश्कर और जैश पर सख्त कार्रवाई की मांग, भारत और अमेरिका का संयुक्त बयान, कहा- समर्थकों के हथियार से लेकर संपत्ति पर लगे बैन

दोनों देशों के संयुक्त बयान में कहा गया कि केवल इन संगठनों के नामों पर ही कार्रवाई काफी नहीं है. आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वालों, प्रायोजकों, समर्थकों और नेटवर्क तक की पहचान और कार्रवाई जरूरी है.
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सांकेतिक तस्वीर.

India-US on Terrorism: भारत और अमेरिका ने एक बार फिर आतंकी संगठनों पर कार्रवाई की बात को दोहराया है. दोनों देशों के संयुक्त बयान में श्कर-ए-तैयबा(Lashkar-e-Taiba), जैश-ए-मोहम्मद(Jaish-e-Mohammed) और उनकी प्रॉक्सी संगठनों-समर्थकों के खिलाफ वैश्विक प्रतिबंध की मांग की गई है. आतंकी संगठनों को समर्थन करने वालों के संपत्ति से लेकर हथियारों को सीज करने की कार्रवाई की बात कही गई है.

भारत और अमेरिका का संयुक्त बयान

भारत और अमेरिका की संयुक्त ‘counter-terrorism’ कामकाजी टीम (Joint Working Group) की बैठक में इस बात पर जोर दिया गया कि आतंकवाद और उससे जुड़ी फाइनेंसिंग को रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के UN Security Council के 1267 प्रतिबंध (sanctions) रेजीम के अंतर्गत LeT, JeM और उनके प्रॉक्सी-समर्थकों को शामिल किया जाए. प्रस्तावित कदमों में उनकी सम्पत्तियों को जमा करना (asset freeze), यात्रा प्रतिबंध (travel ban) और हथियारों पर रोक (arms embargo) शामिल है.

आतंकी संगठनों की फंडिंग करने वालों पर भी हो कार्रवाई

दोनों देशों के संयुक्त बयान में कहा गया कि केवल इन संगठनों के नामों पर ही कार्रवाई काफी नहीं है. आतंकी संगठनों को फंडिंग करने वालों, प्रायोजकों, समर्थकों और नेटवर्क तक की पहचान और कार्रवाई जरूरी है. दोनों देशों ने इस संयुक्त प्रयास को आतंकवाद के खिलाफ दीर्घकालिक और समेकित मुहिम बताया गया है.

आतंकवाद का स्वरूप बदल रहा है

बैठक में आतंकवाद के बदलते स्वरूप और आधुनिक खतरों को लेकर चर्चा की गई. खासकर आतंकवादियों द्वारा ड्रोन (drones / UAVs), कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और अन्य तकनीकों के उपयोग को लेकर बात की गई. भारत-अमेरिका ने कहा कि आतंकवाद का स्वरूप बदल रहा है, इसलिए मुकाबला भी समेकित, बहु-स्तरीय और तकनीकी होना चाहिए.

दोनों पक्षों ने यह स्पष्ट किया कि वित्तीय संस्थाओं, खुफिया साझेदारी, साइबर सुरक्षा, कानून प्रवर्तन (law enforcement) और न्यायिक सहयोग (judicial cooperation), सभी स्तरों पर तालमेल बढ़ाया जाएगा, ताकि आतंकवाद के वित्तीय और लॉजिस्टिक नेटवर्क को बेदखल किया जा सके.

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