Vistaar NEWS

ड्रैगन संग रिश्तों पर जमी बर्फ पिघली? 20 दिनों में भारत के तीन बड़े नेताओं का चीन दौरा

India China Relation

पीएम मोदी

India China Relation: चीन के साथ भारत के रिश्ते क्या वाकई सुधर रहे हैं? पिछले 20 दिनों में हुई ताबड़तोड़ तीन हाई-प्रोफाइल यात्राओं ने इस सवाल को हवा दे दी है. पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, फिर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अब विदेश मंत्री एस. जयशंकर चीन दौरे की तैयारी में हैं. ये तीनों दौरे शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की बैठकों के लिए हुए हैं, जिसकी अध्यक्षता इस समय चीन कर रहा है. लेकिन, क्या ये सिर्फ SCO की औपचारिकता है या फिर ड्रैगन के साथ हमारे संबंधों की जमी बर्फ सच में पिघल रही है?

गलवान के घाव से दोस्ती की नई राह?

2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर हुए सैन्य गतिरोध, खासकर गलवान घाटी की हिंसक झड़प ने भारत-चीन संबंधों को बुरी तरह चोट पहुंचाई थी. उस घटना के बाद से यह एस. जयशंकर की पहली चीन यात्रा होगी. जयशंकर 13 जुलाई के आसपास SCO की बैठक में भाग लेने जा रहे हैं.

हालांकि, रिश्ते सुधारने की कवायद इससे पहले ही शुरू हो चुकी थी. दिसंबर 2024 और जून 2025 में अजीत डोभाल ने बीजिंग का दौरा किया था, जहां उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी के साथ सीमा विवाद पर विशेष प्रतिनिधि (SR) वार्ता की. इसके बाद जून 2025 में राजनाथ सिंह ने किंगदाओ में SCO रक्षा मंत्रियों की बैठक में हिस्सा लिया. करीब 20 दिनों के भीतर हुए ये तीन हाई-प्रोफाइल दौरे भारत-चीन संबंधों में गर्माहट का संकेत देते हैं.

यह भी पढ़ें: मराठी अस्मिता या खिसकती सियासी जमीन बचाने की चुनौती…20 साल बाद क्यों एक साथ आ रहे हैं उद्धव और राज ठाकरे?

सुलह की तरफ बढ़ते कदम

21 अक्टूबर 2024 को डेमचोक और देपसांग में चीनी सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी होने के बाद गतिरोध का अंत हुआ. इसके दो दिन बाद, 23 अक्टूबर 2024 को रूस के कजान में पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई, जिसमें SR तंत्र और संवाद के अन्य चैनलों को फिर से बहाल करने का फैसला लिया गया.

पिछले कुछ महीनों में दोनों देशों ने संबंधों को सामान्य करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इनमें पांच साल बाद कैलाश मानसरोवर यात्रा की बहाली शामिल है. व्यापार और लोगों के बीच संपर्क को सामान्य करने की दिशा में भी लगातार प्रयास हो रहे हैं.

एस. जयशंकर बीजिंग में वांग यी के साथ द्विपक्षीय वार्ता करेंगे और फिर 14-15 जुलाई को तियानजिन में SCO विदेश मंत्रियों की बैठक में शामिल होंगे. संभावना है कि चीनी विदेश मंत्री वांग यी भी इस महीने भारत आ सकते हैं, जिससे सीमा विवाद पर SR वार्ता को और गति मिल सकेगी.

हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि ये हालिया कदम सकारात्मक हैं, लेकिन भारत-चीन संबंधों में कुछ गहरी संरचनात्मक मुद्दे अभी भी बने हुए हैं. भारत की अमेरिका के साथ बढ़ती नज़दीकी और चीन की बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) पर भारत का कड़ा विरोध इनमें से प्रमुख हैं. जयशंकर ने पहले BRI को ‘राष्ट्रीय संप्रभुता पर चोट’ बताते हुए इसका विरोध किया था. इसके अलावा, दक्षिण चीन सागर में चीन की आक्रामकता और तिब्बत से जुड़े मुद्दों पर भारत की मुखरता ने भी बीजिंग को असहज किया है.

Exit mobile version