चीन बॉर्डर के पास भारतीय सेना ने बनाई विश्व की सबसे ऊंची सैन्य मोनो रेल सिस्टम, 16000 फुट की ऊंचाई पर करेगा काम

Monorail System: समस्याओं को देखते हुए बिना किसी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किए भारतीय सेना के गजराज (IV) कोर ने देसी मॉडल में 'हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम' तैयार किया है. बता दें कि यह सिस्टम एक बार में 300 किलो से ज्यादा सामान ले जा सकता है.
Monorail System

भारतीय सेना ने बनाई मोनो रेल सिस्टम

Monorail System: भारतीय सेना ने ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनाती को और भी मजबूत करने के लिए एक नई तकनीकी पहल की शुरुआत की है. सेना ने देसी तकनीकी से बना हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम तैयार किया है, जो दुर्गम इलाकों में सैनिकों और सामग्रियों की आवाजाही को सरल और सुरक्षित बनाएगा. यह सिस्टम हिमालय की कामेंग घाटी में 16,000 फुट की ऊंचाई पर काम कर रहा है. इस अनोखे तकनीकी के बनने से भारतीय सेना की ताकत और रणनीतिक क्षमता और भी मजबूत होगी.

सैनिकों को कामेंग घाटी में काम करना चुनौतीपूर्ण

अरुणाचल प्रदेश के हिमालय की कामेंग घाटी में 16000 फुट की ऊंचाई पर काम करना सैनिकों के लिए बेहद चुनौती पूर्ण होता है. यहां बर्फीले तूफान और खड़ी चट्टानों के कारण आपूर्ति लाइनें टूट जाती हैं, जिससे इन चौकियों तक पहुंचना सेनाओं के लिए बहुत मुश्किल हो जाता है. इन इलाकों में पैदल या खच्चर से भी जाना संभव नहीं है.

सैनिकों ने मोनो रेल सिस्टम’ तैयार किया

इन्हीं समस्याओं को देखते हुए बिना किसी आधुनिक तकनीकी का इस्तेमाल किए भारतीय सेना के गजराज (IV) कोर ने देसी मॉडल में ‘हाई एल्टीट्यूड मोनो रेल सिस्टम’ तैयार किया है. बता दें कि यह सिस्टम एक बार में 300 किलो से ज्यादा सामान ले जा सकता है. इसके अलावा अब दूर-दराज में बने चौकियों तक आसानी से पहुंचा जा सकता है. वहीं यह सिस्टम बर्फ से ढकी चोटियां और खतरनाक ढलान में आसानी से चलेगा.

क्या है मोनो रेल सिस्टम ?

देसी तकनीकी से बना मोनो रेल की बात करें तो यह साधारण सा दिखने वाला सिस्टम बहुत ही मजबूती से बना है. यह ट्रैक जैसा सिस्टम है, जो ऊंची चट्टानों और ढलानों पर आसानी से चलता है. इसमें एक ट्राली दिया गया है, जिसमें एक बार में गोला-बारूद, राशन, ईंधन, इंजीनियरिंग सामान और भारी-भरकम सामान ले जाया जा सकता है. इसके अलावा जो चीजें पैदल, खच्चर, या हेलिकॉप्टर से नहीं पहुंच पाती थी, वह अब मोनो रेल के जरिए आसानी से पहुंच रही है.

‘यह सिस्टम सप्लाई चेन को मजबूत किया’

इस सिस्टम को बिना गार्ड के भी चलाया जा सकता है. आंधी, तूफान, ओले बरसें या बर्फ गिरे इस पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा और यह दिन-रात बराबर काम करेगा. वहीं सेना के अधिकारियों का कहना है कि इस सिस्टम ने हमारी सप्लाई चेन को मजबूत कर दिया. जिससे अब चौकियां पर राशन सामग्री और हथियार समय- समय पर आसानी से पहुंचाए जा सकेंगे.

घायल सैनिकों को बचाने में करेगा मदद

यह सिस्टम सामान पहुंचाने के अलावा घायल सैनिकों को तेजी से निकालने में मदद करेगा. ऊंचाइयों पर हेलिकॉप्टर को उड़ना बहुत मुश्किल हो जाता है और पैदल पहुंचना भी जोखिम भरा होता है. लेकिन अब मोनो रेल सिस्टम से सुरक्षित और तेज तरीके से घायल सैनिकों को पीछे के कैंप पहुंचाया जा सकता है, जिससे उनका डॉक्टर समय से उपचार कर सकेंगे.

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‘आने वाले समय में दूसरे कोर भी अपना सकते हैं

गजराज कोर टीम की यह अनोखी खोज उनके अथक प्रयास और लगातार मेहनत से तैयार किया गया है. ऊंचाई और चुनौतीपूर्ण स्थानों पर रहने के बाद भी उन्होंने बिना किसी विदेशी और आधुनिक मदद से यह सिस्टम तैयार किया. वहीं सेनाओं का कहना है कि मुश्किल समस्याओं को व्यावहारिक तरीके से समाधान करना हमारा मंत्र है. यह न सिर्फ लॉजिस्टिक्स को आसान बनाता है, बल्कि सैनिकों की जिंदगी बचाता है.

बता दें कि कामेंग हिमालय सीमा पर भारत का चीन के साथ तनाव रहता है.ऐसे में यह सिस्टम रणनीतिक बढ़त देगा. वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि सेना की इन खोजों से देश की सुरक्षा और भी मजबूत हो रही है. आने वाले समय में दूसरे कोर भी इसे अपना सकते हैं.

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