5 अगस्त की तारीख और अमित शाह पर सभी की नजरें… क्या बड़े फैसले का आ गया है ‘सही वक्त’?
गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू
Jammu and Kashmir: 5 अगस्त की तारीख मोदी सरकार के लिए बेहद खास रही है. 5 अगस्त, 2019 को ही जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाया गया था और राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटा गया था. इसके बाद लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश के तौर पर अलग पहचान मिली थी. वहीं हाल-फिलहाल के घटनाक्रमों को देखकर लगता है कि मोदी सरकार 5 अगस्त को एक बार फिर कोई बड़ा फैसला लेने की तैयारी कर रही है. चर्चा है कि मोदी सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने जा रही है और इसकी घोषणा गृह मंत्री अमित शाह कल यानी 5 अगस्त को कर सकते हैं. इसके अलावा, अमित शाह के नाम और एक और रिकॉर्ड जुड़ने जा रहा है.
अमित शाह के साथ जुड़ा खास रिकॉर्ड
अमित शाह देश के सबसे लंबे वक्त तक गृह मंत्री बने रहने का रिकॉर्ड अपने नाम करने जा रहे हैं. इसके पहले, लालकृष्ण आडवाणी 2,256 दिनों तक (19 मार्च, 1998 से 22 मई, 2004) देश के गृह मंत्री रहे. वहीं अमित शाह 30 मई, 2019 से गृह मंत्री की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं और 4 अगस्त, 2025 की तारीख तक इस पर 2,258 दिनों से बने हुए हैं.
क्या हो सकता है?
अब बात उन चर्चाओं की, जिसमें कहा जा रहा है कि 5 अगस्त को क्या बड़ा होने जा रहा है. इन चर्चाओं के पीछे बड़ी वजह अमित शाह की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात को माना जा रहा है, क्योंकि शाह की राष्ट्रपति से मुलाकात के कुछ घंटों पहले ही पीएम मोदी ने भी राष्ट्रपति से मुलाकात की थी. पीएम के बाद जैसे ही शाह राष्ट्रपति भवन पहुंचे, सियासी गलियारों में इस बात की चर्चा शुरू हो गई कि क्या 5 अगस्त को कुछ बड़ा होने वाला है.
5 अगस्त ही क्यों?
कल यानी मंगलवार को 5 अगस्त है और मोदी सरकार ने 6 साल पहले 5 अगस्त, 2019 को न केवल जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 समाप्त किया था, बल्कि अयोध्या में राम मंदिर का शिलान्यास भी इसी तारीख को हुआ था. ऐसे में इन चर्चाओं को इसलिए भी बल मिल रहा है कि 6 साल पूरे होने पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल सकता है. अगर ऐसा होता है तो अमित शाह ही इसका भी ऐलान करेंगे.
आर्टिकल 370 के खात्मे के बाद से ही उठती रही है मांग
हालांकि, ये ऐसा मुद्दा नहीं रहा है कि सरकार ने लगातार इस मांग को खारिज किया हो और अब अचानक पूर्ण राज्य का दर्जा देने पर विचार करने की खबरें आने लगी हों. 2019 में जब सदन में अमित शाह ने आर्टिकल 370 और 35ए के खात्मे की बात कही थी, उसी वक्त ये कहा था कि सही समय पर जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाएगा.
10 साल बाद हुए विधानसभा चुनाव
जम्मू-कश्मीर में पिछले साल 2024 में विधानसभा चुनाव हुए और अब वहां एक चुनी हुई सरकार का शासन है. हालांकि, इस सरकार की शक्तियां अभी भी सीमित हैं. 10 सालों के बाद हुए विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद एनसी नेता उमर अब्दुल्ला मुख्यमंत्री बने. वे भी केंद्र सरकार से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग उठाते रहे हैं. चुनावों में अब्दुल्ला के मुख्य एजेंडे में यह शामिल रहा था और अब जीत के बाद वे खुद कई दफे सार्वजनिक मंच से जम्मू-कश्मीर को पूर्ण दोबारा दिए जाने की मांग कर चुके हैं.
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पीएम मोदी-शाह का क्या कहना है?
पीडीपी प्रमुख और पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती से लेकर फारूक अब्दुल्ला तक के सुर इस मसले पर एक ही रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए. पूर्व में, इसको लेकर महीनों तक सियासत राजनीति गरमाई रही है. इन मांगों पर पीएम मोदी और अमित शाह ने भी ये बात दोहराई है कि उचित समय आने पर जम्मू-कश्मीर के पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल कर दिया जाएगा. लेकिन, जब तक ये ऐलान नहीं होता, तब तक इसको लेकर सियासी बयानबाजी रुकती नहीं दिख रही है.
कैसे मिलेगा पूर्ण राज्य का दर्जा?
मोदी सरकार की तरफ से 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन कानून संसद में पारित कराकर जम्मू-कश्मीर को केंद्रशासित प्रदेश का दर्जा दिया गया था. ऐसे में अगर अब सरकार जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा देना चाहती है तो उसे संसद के दोनों सदनों में संशोधन विधेयक लाकर उसे पारित कराना होगा. इसके बाद इस पर राष्ट्रपति के हस्ताक्षर होंगे और नोटिफिकेशन जारी होगा. तत्पश्चात, जम्मू-कश्मीर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल जाएगा. माना जा रहा है कि ऐसे ही किसी संभावित प्रस्ताव के बारे में राष्ट्रपति को अवगत कराने के लिए पीएम मोदी और गृह मंत्री ने राष्ट्रपति से मुलाकात की थी.