पुरानी रणनीति को और पुख्ता कर रहे नीतीश कुमार, जीविका दीदी और 10 हजार रुपये बनेंगे गेमचेंजर!

बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 3.41 करोड़ है और उनमें से लगभग 1.36 करोड़ जीविका दीदियां हैं. यानी कि कुल मिलाकर आंकड़े बताते हैं कि लगभग 40% महिला मतदाता जीविका दीदियों से जुड़े हुए हैं.
CM Nitish Kumar

सीएम नीतीश कुमार

Bihar Election 2025: चुनावी राजनीति में सेंटिमेंट, हवा और माहौल के साथ-साथ धरातल में असल माइंडसेट को परखना बहुत ज़रूरी होता है. बिहार के सियासी माहौल को लेकर जानकारी त्रिकोणीय टक्कर की भविष्यवाणी कर रहे हैं. लेकिन, तमाम कोणों में नीतीश कुमार का कोना किसी अविजित दुर्ग की तरह खड़ा दिखाई दे रहा है. कारण- नीतीश कुमार की ख़ुद की छवि और महिला वोटरों में उनकी पैठ.

आंकड़े बताते हैं कि जातिगत सियासत की धरती पर नीतीश कुमार जाति के बंधनों को लांघकर अपना अलग वोट बैंक बनाए हुए हैं और वो हैं गरीब तबके की महिलाएं. 2005 विधानसभा चुनाव से लेकर आज तक नीतीश की पॉलिटिक्स को महिलाओं से ही ताक़त मिलती रही है. अब इस कड़ी में महिला रोज़गार योजना एक बड़ी चुनावी सौग़ात साबित हो सकती है.

महिला रोज़गार योजना से जुड़ी 75 लाख महिलाएं

प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी ने नीतीश कुमार की रणनीति में अपना भी योगदान दे दिया. शुक्रवार को पीएम मोदी ने वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के ज़रिए मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना लॉन्च किया. इस मौक़े पर पीएम मोदी ने ख़ास तौर पर नीतीश कुमार के इस सोच का लोहा माना. उन्होंने कहा, “जब यह प्रक्रिया चल रही थी, तब मैं सोच रहा था कि नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार की बहन-बेटियों के लिए कितना बड़ा और अहम कदम उठाया है. जब कोई बहन या बेटी स्वरोज़गार या रोज़गार करती है, तो उसके सपनों को पंख लग जाते हैं और समाज में उसका मान-सम्मान भी बढ़ जाता है.”

ग़ौरतलब है कि इस योजना से 75 लाख महिलाएं जुड़ चुकी हैं और पीएम मोदी के मुताबिक़ सभी के खातों में 10-10 हज़ार रुपये भेजे जा चुके हैं. इसके अलावा ‘जीविका दीदी’ के रूप में बिहार की तकरीबन 1.36 लाख महिला शक्ति मौजूद है. ऐसे में अगर देखा जाए तो जीविका दीदी और अब बैंक अकाउंट में 75 लाख महिलाओं 10-10 हज़ार रुपये, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र की तरह गेमचेंजर बन सकते हैं. खास बात ये है कि मुख्यमंत्री महिला रोज़गार योजना का फ़ायदा लेन के लिए जीविका से जुड़ना ज़रूरी है.

महिला शक्ति, वोट का बड़ा आधार

बिहार में महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 3.41 करोड़ है और उनमें से लगभग 1.36 करोड़ जीविका दीदियां हैं. यानी कि कुल मिलाकर आंकड़े बताते हैं कि लगभग 40% महिला मतदाता जीविका दीदियों से जुड़े हुए हैं. इनमें से अधिकांश महिलाएँ नीतीश कुमार के साथ जुड़ी हुई हैं और वर्तमान में बाग-बगीचे, मोहल्ला, घर में जा जाकर चुनाव प्रचार में अहम भूमिका निभा रही हैं. कहा जा सकता है कि बिहार में महिलाओं का एक समूह बड़े स्तर पर ड्राइंग रूम पॉलिटिक्स में अपना योगदान दे रहा है. ऐसे में अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि 40 में से काफ़ी महिलाएँ लोन या क़र्ज़ से परेशान भी हो सकती हैं, लेकिन अधिकांश रूप से इनका सेंटिमेंट नीतीश कुमार के साथ ही है और ये नीतीश के हक़ में एक मज़बूत समीकरण है.

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जीविका दीदियां गांवों में सक्रिय हैं, स्वयं-सहायता समूहों (SHGs), स्वास्थ्य जागरूकता, सामाजिक अभियानों आदि में भाग लेती हैं. इस तरह की ग्रासरूट स्थिति उन्हें समुदाय में भरोसा दिलाती है और वे अपने प्रभावित क्षेत्र में दूसरों पर इमोशनल और सामाजिक रूप से प्रभाव डाल सकती हैं.

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माई बहिन बनाम 10 हज़ार रुपये

कैश के खेल को कांग्रेस भी बाखूबी समझती है. हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में इसी कैश ऑफ़र के ज़रिए उसने भी सत्ता का सिंहासन हासिल किया. लिहाज़ा, बिहार में भी आरजेडी और कांग्रेस की इंडिया ब्लॉक ने माई-बहिन योजना के तहत 2500 रुपये दिए जाने की घोषणा की है. लेकिन, यहां एक का वादा है और दूसरे का वादा खाते में जमा हो रहा है. यह ठीक उसी तरह है, जैसे मध्य प्रदेश में चुनाव से ठीक पहले महिलाओं के खाते में पैसे आने लगे थे और नतीजा सभी ने देखा था.

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