‘भारत में राष्ट्रपति केवल नाम के मुखिया’, कपिल सिब्बल बोले- SC के फैसले पर उपराष्ट्रपति धनखड़ की टिप्पणी सही नहीं

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की राष्ट्रपति को दी सलाह पर आपत्ति जताई थी. धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती हैं. जिसको लेकर अब कपिल सिब्बल ने भी जवाब दिया है.
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कपिल सिब्बल (File Photo)

Kapil Sibal: ‘भारत में राष्ट्रपति नाममात्र के मुखिया हैं. राष्ट्रपति-राज्यपाल को सरकारों की सलाह पर काम करना होता है. मैं उपराष्ट्रपति की बात सुनकर हैरान और दुखी हूं. उन्हें किसी पार्टी की तरफदारी करने वाली बात नहीं करनी चाहिए.’

ये बयान कांग्रेस के राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल ने की है. उन्होंने ये बयान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की सुप्रीम कोर्ट को लेकर दी गई टिप्पणी पर दिया है. 17 अप्रैल को उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने एक बयान दिया था कि जज राष्ट्रपति को सलाह ना दें. जिसको लेकर अब कपिल सिब्बल ने जवाब दिया है.

सिब्बल ने 1975 का जिक्र किया

कपिल सिब्बल ने 24 जून 1975 की घटना का याद दिलाई. उन्होंने कहा, ‘लोगों को याद होगा जब इंदिरा गांधी के चुनाव को लेकर फैसला आया था, तब केवल एक जज ने फैसला सुनाया था. उस वक्त इंदिरा को सांसदी गवानी पड़ी थी. तब धनखड़ जी को यह मंजूर था. लेकिन अब सरकार के खिलाफ दो जजों की बेंच के फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं.’

सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद विवाद शुरू हुआ

सुप्रीम कोर्ट ने 8 अप्रैल को तमिलनाडु गवर्नर और राज्य सरकार के केस में गवर्नर के अधिकार की सीमा तय कर दी थी. जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने कहा था कि राज्यपाल के पास कोई वीटो पावर नहीं है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने सरकार के 10 जरूरी बिलों को राज्यपाल की ओर से रोके जाने को भी अवैध बताया था.

इसी फैसले के दौरान अदालत ने राज्यपालों की ओर से राष्ट्रपति को भेजे गए बिल पर भी स्थिति स्पष्ट की थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि राज्यपाल की तरफ से भेजे गए बिल पर राष्ट्रपति को 3 महीने के अंदर फैसला लेना होगा.

वहीं मामले पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह पर आपत्ति जताई थी. धनखड़ ने कहा था कि अदालतें राष्ट्रपति को आदेश नहीं दे सकती हैं.

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