बाढ़ में बर्बाद हुई फसल, किसान ने की आत्महत्या की कोशिश, महाराष्ट्र से दिल दहला देने वाला Video Viral
महाराष्ट्र किसान संकट
Latur Farmer Viral Video: महाराष्ट्र के लातूर से एक दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है, जहां बाढ़ ने किसानों की उम्मीदों को पानी में बहा दिया. खेतों में खड़ी फसलें तबाह, कर्ज का बोझ और हताशा ने एक बुजुर्ग किसान को आत्महत्या की कगार पर पहुंचा दिया है. इसी बीच सोशल मीडिया पर एक वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है. ये वायरल वीडियो बयां कर रहा है उस दर्द को, जो आज देश के लाखों किसान झेल रहे हैं.
महाराष्ट्र के लातूर जिले में हाल ही में हुई भारी बारिश और बाढ़ ने किसानों की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया है. इस प्राकृतिक आपदा ने किसानों को आर्थिक और मानसिक रूप से तोड़ दिया है. एक वायरल वीडियो में, लातूर के अहमदपुर तालुका के ब्रह्मवाड़ी गांव का एक बुजुर्ग किसान, मोतीराम मारुति घुगे, अपनी बर्बाद फसल को देखकर आत्महत्या की कोशिश करता नजर आया. वीडियो में किसान पानी से भरे खेत में रोते हुए कह रहा है- ‘सब बह गया, मुझे मर जाने दो, जी कर क्या करूं? घर में बच्चे हैं!” यह घटना किसानों के सामने मौजूद गंभीर संकट को उजागर करती है.
बारिश से तबाह हुई फसल तो आत्महत्या की जिद करने लगा किसान!, महाराष्ट्र के लातूर से सामने आया वीडियो#Flood #Farmer #ViralVideo #HeavyRain pic.twitter.com/cTlcbI7lSf
— Vistaar News (@VistaarNews) August 31, 2025
बाढ़ ने मचाई तबाही
पिछले तीन दिनों से लातूर जिले में हो रही भारी बारिश के कारण खेतों में पानी भर गया है, जिससे धान, कपास, सोयाबीन और अन्य फसलों को भारी नुकसान हुआ है. अहमदपुर तहसील के ब्रह्मवाड़ी गांव में मोतीराम घुगे, जिनके पास केवल डेढ़ एकड़ जमीन थी, ने अपनी पूरी फसल बर्बाद होते देखी. इस आपदा ने न केवल उनकी आजीविका छीनी, बल्कि उनके परिवार के भविष्य को भी खतरे में डाल दिया. नदियों के उफान पर होने और खेतों में पानी भरने से कई हेक्टेयर में खड़ी फसलें पूरी तरह नष्ट हो गई हैं.
किसान की आत्महत्या की कोशिश
वायरल वीडियो में 70 वर्षीय मोतीराम घुगे अपने खेत में पानी के बीच रोते और चीखते नजर आ रहे हैं. वह बार-बार कह रहे हैं- ‘सरकार क्या कर रही है? मुझे मर जाने दो… बच्चे क्या खाएंगे?’ उनकी निराशा और हताशा ने सोशल मीडिया पर लोगों का ध्यान खींचा है. ग्रामीणों ने समय रहते उन्हें रोक लिया, जिससे उनकी जान बच गई. यह घटना किसानों के मानसिक स्वास्थ्य और आर्थिक संकट की गंभीरता को दर्शाती है.
किसानों का आर्थिक संकट
लातूर के किसानों पर पहले से ही कर्ज का बोझ है, और बाढ़ ने उनकी स्थिति को और बदतर कर दिया है. मोतीराम जैसे कई किसान अपनी छोटी जोतों पर निर्भर हैं, और फसल बर्बाद होने से उनके पास आय का कोई स्रोत नहीं बचा है. किसानों ने सरकार से तत्काल आर्थिक मुआवजे और नुकसान के आकलन की मांग की है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि बिना सरकारी सहायता के, कई किसान कर्ज के जाल में और गहराई तक फंस सकते हैं.
सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया
किसानों की इस दयनीय स्थिति के बीच, स्थानीय प्रशासन ने अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है. मोतीराम घुगे ने अपने खेतों के नुकसान का पंचनामा कराने और उचित मुआवजा देने की मांग की है. हालांकि, कुछ सरकारी योजनाओं के तहत बाढ़ और ओलावृष्टि से प्रभावित किसानों को मुआवजा देने का प्रावधान है, लेकिन इसका कार्यान्वयन धीमा और अपर्याप्त बताया जा रहा है. महाराष्ट्र सरकार को इस संकट पर तत्काल ध्यान देने की जरूरत है.
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भारत में किसान आत्महत्याओं का संकट
यह घटना भारत में किसानों की आत्महत्याओं की बढ़ती समस्या का हिस्सा है. NCRB के आंकड़ों के मुताबिक, 1995 से 2011 के बीच 7,50,860 किसानों ने आत्महत्या की है. महाराष्ट्र में यह समस्या विशेष रूप से गंभीर है, जहां 2024 में जनवरी से मई तक 1,046 किसानों ने आत्महत्या की. बाढ़, सूखा, कर्ज और फसलों की उचित कीमत न मिलना इसके प्रमुख कारण हैं.