कानों में चुभने वाले हॉर्न की जगह सुनाई देगी ढोलक, तबले और बांसुरी की आवाज, कानून बनाने की हो रही तैयारी!

New Delhi: केंद्र सरकार गाड़ियों के हॉर्न को लेकर बड़ा कदम उठाने जा रही है. अब आने वाले दिनों में कानों में चुभने वाली हॉर्न की जगह भारतीय इंट्रूमेंट का साउंड सुनाई दे सकता है.
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केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी

New Delhi: आज के समय में लोगों को इतनी जल्दबाजी है कि वो थोड़ा भी इंतजार नहीं कर सकते हैं. जिस कारण वो सड़कों पर आगे निकलने और पास लेने के लिए लगातार हॉर्न बजाते हैं. इस कारण ध्वनि प्रदुषण काफी ज्यादा फैल रहा है. लोगों को भी इससे काफी ज्यादा परेशानी होती है. अब इसे लेकर केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने जा रही है. अब आने वाले दिनों में कानों में चुभने वाली हॉर्न की जगह भारतीय इंट्रूमेंट का साउंड सुनाई दे सकता है.

भारत सरकार गाड़ियों के हॉर्न को लेकर कानून बनाने पर विचार कर रही है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को यह जानकारी देते हुए कहा है कि वह एक ऐसा कानून बनाने पर विचार कर रहे हैं, जिसके तहत वाहनों के हॉर्न में केवल भारतीय इंट्रूमेंट का साउंड का इस्तेमाल किया जा सकेगा.

भारत तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार

गडकरी ने बताया कि भारत इस समय दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा वाहन बाजार है. 2014 में भारत का वाहन क्षेत्र का 14 लाख करोड़ रुपये का था, यह अब बढ़कर 22 लाख करोड़ रुपये का हो गया है. भारत से आगे केवल अमेरिका और चीन ही हैं.

गडकरी ने दिल्ली में एक अखबार के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा- ‘मैं एक ऐसा कानून बनाने की योजना बना रहा हूं कि सभी वाहनों के हॉर्न भारतीय संगीत वाद्ययंत्रों पर आधारित हों, ताकि कानों के लिए सुखद हो. बांसुरी, तबला, वायलिन, हारमोनियम जैसे वाद्ययंत्रों का साउंड इस्तेमाल किया जा सकता है.

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उन्होंने कहा कि देश में वायु प्रदूषण में परिवहन क्षेत्र का योगदान 40 प्रतिशत है. नरेंद्र मोदी सरकार मेथनॉल, एथनॉल सहित हरित और जैव ईंधन पर चलने वाले वाहनों को बढ़ावा दे रही है. गडकरी ने कहा कि भारत को दोपहिया वाहनों और कारों के निर्यात से अधिकतम राजस्व मिलता है.

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