‘ऑपरेशन ब्लू स्टार गलत था…’, चिदंबरम का बड़ा बयान, बोले- ‘इंदिरा गांधी को जान देकर कीमत चुकानी पड़ी’
कसौली: खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल में शामिल हुए पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम
Operation Blue Star: ‘ऑपरेशन ब्लू स्टार’ को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम का बड़ा बयान सामने आया है. उन्होंने इसे गलत बताया है. चिदंबरम ने कहा कि साल 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार का फैसला केवल पीएम इंदिरा गांधी का नहीं था. ये सेना, पुलिस, खुफिया एजेंसियों और सिविल सेवाओं का सामूहिक फैसला था. क्या आप इसका दोष केवल इंदिरा गांधी को देंगे?
‘इंदिरा गांधी ने जान देकर चुकाई कीमत’
हिमाचल प्रदेश के कसौली में आयोजित खुशवंत सिंह लिटरेचर फेस्टिवल में शनिवार (11 अक्टूबर) को पूर्व वित्त मंत्री शामिल हुए. इस दौरान वे हरिंदर बावेजा की किताब ‘दे विल शूट यू, मैडम: माई लाइफ थ्रू कॉन्फ्लिक्ट’ की चर्चा में शामिल हुए. उन्होंने चर्चा के दौरान कहा कि मैं मानता हूं कि उस गलती की कीमत इंदिरा गांधी ने अपनी जान देकर चुकाई. मेरे पंजाब दौरे के दौरान मुझे महसूस हुआ कि खालिस्तान अथवा अलगाव की राजनीतिक मांग अब लगभग खत्म हो चुकी है. आज की मुख्य समस्या आर्थिक है.
#WATCH | Kasauli, Solan, HP: Former Home Minister and Congress leader P Chidambaram says, "… No disrespect to any military officers here, but that (Blue Star) was the wrong way to retrieve the Golden Temple. A few years later, we showed the right way to retrieve the Golden… pic.twitter.com/QpFJEGYNQQ
— ANI (@ANI) October 12, 2025
राहुल गांधी ने भी दिया था बयान
इसी साल 4 मई को राहुल गांधी ने भी ऑपरेशन ब्लू स्टार को लेकर बयान दिया था. उन्होंने साल 1984 में हुए ऑपरेशन ब्लू स्टार को गलती माना था. इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि 80 के दशक में कांग्रेस से जो भी गलतियां हुईं, मैं उसकी जिम्मेदारी लेने को तैयार हूं.
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क्या है ऑपरेशन ब्लू स्टार?
अमृतसर में सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल हरमंदिर साहिब है, जिसे स्वर्ण मंदिर भी कहा जाता है. खुफिया विभाग को सूचना मिली थी कि भिंडरावाले ने स्वर्ण मंदिर में भारी संख्या में हथियार छिपा रखे हैं. भिंडरावाला कट्टरपंथी संगठन दमदमी टकसाल का प्रमुख था. इसका संबंध का खालिस्तान से बताया जाता था. जून 1984 में उग्रवादियों को बाहर निकालने के लिए सेना द्वारा ऑपरेशन ब्लू स्टार चलाया गया. इस ऑपरेशन से मंदिर को नुकसान पहुंचा था. इसी साल 31 अक्तूबर 1984 को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी के दो अंगरक्षकों बेअंत सिंह और सतवंत सिंह ने उनकी गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी.