Patna Metro के साइन बोर्ड पर ‘Exit’ बना ‘Exsit’, सोशल मीडिया पर PMRCL को लोग कर रहे ट्रोल

Patna Metro: मेट्रो स्टेशनों के साइन बोर्ड पर 'Exit' की जगह 'Exsit' लिखा गया है, और ये बस शुरुआत है. 'Patliputra Junction' बन गया 'Patlipura Juction', और 'Science College' को तो 'Vigyapan Collage' का तमगा मिल गया. सोशल मीडिया पर लोग PMRCL को ट्रोल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.
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पटना मेट्रो

Patna Metro: बिहार की राजधानी में मेट्रो का सपना हकीकत बनने को तैयार है, लेकिन उससे पहले पटना मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (PMRCL) की एक छोटी-सी चूक ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया है. मेट्रो स्टेशनों के साइन बोर्ड पर ‘Exit’ की जगह ‘Exsit’ लिखा गया है, और ये बस शुरुआत है. ‘Patliputra Junction’ बन गया ‘Patlipura Juction’, और ‘Science College’ को तो ‘Vigyapan Collage’ का तमगा मिल गया. सोशल मीडिया पर लोग PMRCL को ट्रोल करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे.

साइन बोर्ड का तमाशा: ‘Vigyapan Collage’ से ‘Juction’ तक

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों ने PMRCL की पोल खोल दी है. एक साइन बोर्ड पर ‘Exit’ की जगह ‘Exsit’ लिखा है. दूसरी गलती है ‘Patliputra Junction’ की, जो बन गया ‘Patlipura Juction’ ‘का सफर भी कम मजेदार नहीं. सबसे मजे की बात? पटना साइंस कॉलेज का बोर्ड, जहां ‘Science College’ की जगह ‘Vigyapan Collage’ लिखा गया. अब ये ‘Collage’ (कोलाज) है या ‘College’, ये तो PMRCL ही बता सकता है. ये गलतियां इतनी हास्यास्पद हैं कि सोशल मीडिया यूजर्स ने इसे ‘बिहार का ब्रांड’ तक बता डाला.

सोशल मीडिया पर ट्रोलिंग की सुनामी

स्पेलिंग मिस्टेक के कारण सोशल मीडिया पर लोग ‘PMRCL को जाम कर ट्रोल कर रहे हैं. लोग तरह तरह के कॉमेंट कर रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स PMRCL को टैग कर लिख रहे हैं कि ‘थोड़ा पढ़ लो!’ एक्स पर यूजर्स स्पेलिंग मिस्टेक वाले साइनबोर्ड की तस्वीरें शेयर कर के PMRCL को जमकर लपेट रहे हैं.

पटना मेट्रो रफ्तार में, लेकिन साइन बोर्ड में ठोकर

पटना मेट्रो प्रोजेक्ट 2019 में शुरू हुआ, जिसका शिलान्यास खुद PM नरेंद्र मोदी ने किया था।ल. 30.91 किमी के दो कॉरिडोर—पूर्व-पश्चिम (16.86 किमी) और उत्तर-दक्षिण (14.05 किमी)—के साथ ये प्रोजेक्ट बिहार की शान बढ़ाने को तैयार है. पहले फेज में मलाही पकड़ी से न्यू ISBT तक 6.49 किमी का प्रायोरिटी कॉरिडोर शुरू होगा, जिसमें 5 स्टेशन होंगे. जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (JICA) से 60% फंडिंग और केंद्र-राज्य सरकारों का 20-20% योगदान इसे 13,365 करोड़ का मेगा प्रोजेक्ट बनाता है. सिविल वर्क पूरा, ट्रैक बिछ रहा है, और सितंबर 2025 के अंत तक ट्रायल रन की उम्मीद है. लेकिन, साइन बोर्ड की इन गलतियों ने सारी मेहनत पर पानी फेर दिया.

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