‘…तो 31वें दिन छोड़नी ही होगी कुर्सी’, पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल पर PM Modi का बड़ा बयान

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान हर जन प्रतिनिधि से ईमानदारी और पारदर्शिता की उम्मीद करता है. हम संविधान की मर्यादा को तार तार होते नहीं देख सकते.
PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

Bill to Oust Arrested PM-CMs: मोदी सरकार प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को गंभीर आरोपों के मद्देनजर 30 दिनों से ज्यादा जेल में रहने पर पद से हटाने वाला विधेयक लेकर आई तो विपक्ष ने बवाल काट दिया. विपक्ष का कहना था कि इससे सरकार उन राज्यों को टारगेट कर सकती है जहां विपक्षी दलों की सरकार है, जबकि कानूनन दोषी साबित होने तक आरोपी को निर्दोष ही माना जाता है. फिलहाल, बिल को जेपीसी के पास भेज दिया है. वहीं अब PM-CM की कुर्सी छीनने वाले बिल पर पीएम मोदी ने बड़ा बयान दिया है. बिहार के गया में एक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि उनका साफ मानना है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को अंजाम तक पहुंचाना है तो कोई भी कार्रवाई के दायरे से बाहर नहीं होना चाहिए.

पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल पर क्या बोले?

पीएम मोदी ने कहा, “आज कानून है कि अगर किसी छोटे सरकारी कर्मचारी को 50 घंटे तक हिरासत में रखा तो वो सस्पेंड हो जाता है. उसकी जिंदगी हमेशा के लिए तबाह हो जाती है. लेकिन अगर कोई मंत्री है, मुख्यमंत्री है, प्रधानमंत्री है तो वो जेल में रहकर भी सत्ता का सुख पा सकता है. यह कैसे हो सकता है?”

बिना नाम लिए केजरीवाल का दिया हवाला

बिना नाम लिए दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल का हवाला देते हुए पीएम ने कहा, “हमने कुछ समय पहले ही देखा है कि कैसे जेल से ही फाइलों पर साइन किए जा रहे थे. जेल से ही सरकारी आदेश निकाले जा रहे थे. नेताओं का अगर यही रवैया रहेगा तो ऐसे भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई कैसे लड़ी जा सकती है.”

‘…तो 31वें दिन छोड़नी ही होगी कुर्सी’

प्रधानमंत्री ने कहा कि संविधान हर जन प्रतिनिधि से ईमानदारी और पारदर्शिता की उम्मीद करता है. हम संविधान की मर्यादा को तार तार होते नहीं देख सकते. इसलिए NDA सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ एक ऐसा कानून लायी है, जिसके दायरे में देश का प्रधानमंत्री भी है. उन्होंने कहा कि इस कानून में मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को भी शामिल किया गया है. जब यह कानून बन जाएगा तब कोई प्रधानमंत्री हो या मुख्यमंत्री, उसे गिरफ्तारी के 30 दिन के अंदर जमानत लेनी होगी. अगर जमानत नहीं मिली तो 31वें दिन उसे कुर्सी छोड़नी पड़ेगी.

शाह ने भी बताया क्यों जरूरी है कानून

इसके पहले, संसद में इस मुद्दे पर बयान देने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि देश में ऐसे कानून की जरूरत क्यों है. एक कार्यक्रम में बोलते हुए अमित शाह ने गंभीर आरोपों पर 30 दिन से अधिक जेल में रहने पर पीएम-सीएम को हटाने वाले बिल पर कहा कि क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी मुख्यमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए? क्या देश की जनता चाहती है कि कोई भी प्रधानमंत्री जेल में रहकर सरकार चलाए?

शाह ने कहा, “अब ये (विपक्ष) लोग कहते हैं कि संविधान में ऐसा कोई प्रावधान पहले क्यों नहीं हुआ. जब संविधान बना था, तब ऐसे निर्लज्ज लोगों की कल्पना ही नहीं की गई थी कि जेल जाने के बाद भी इस्तीफा नहीं देंगे. 70 साल पहले एक ऐसी घटना हुई थी— कई मंत्री और मुख्यमंत्री जेल गए थे, और जेल जाने से पहले सबने इस्तीफा दे दिया था.”

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ये बिल सबके लिए- अमित शाह

गृह मंत्री ने दिल्ली के पूर्व सीएम अरविंद केजरीवाल के जेल जाने का हवाला देते हुए कहा, “अभी एक घटना हुई थी…दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री जेल जाने के बाद भी सरकार चला रहे थे. तो संविधान बदलना चाहिए या नहीं बदलना चाहिए?” उन्होंने कहा कि अब तक भाजपा की सरकार थी, लेकिन हमने नहीं बदला क्योंकि जरूरत नहीं पड़ी. अगर अरविंद केजरीवाल ने इस्तीफा दे दिया होता, तो आज भी जरूरत ही नहीं होती. गृह मंत्री ने कहा कि लोकतंत्र में नैतिकता का स्तर बनाए रखने की जिम्मेदारी सत्तापक्ष और विपक्ष दोनों की है. ये बिल किसी पार्टी के लिए नहीं है. ये बिल भाजपा के मुख्यमंत्रियों पर भी लागू होगा और प्रधानमंत्री पर भी लागू ​होगा.

इसके अलावा, शाह ने विपक्ष के उपराष्ट्रपति उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी को लेकर भी बयान दिया. अमित शाह ने कहा, “विपक्ष के उपराष्ट्रपति प्रत्याशी सुदर्शन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था. अगर ऐसा न किया गया होता, तो उग्रवाद 2020 तक समाप्त हो गया होता. केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है, उग्रवाद को भी सहा है.”

गृह मंत्री ने कहा कि केरल की जनता जरूर देखेगी कि वामपंथियों के दबाव में कांग्रेस ने किस तरह से ऐसे प्रत्याशी का चुनाव किया गया है, जिसने वामपंथी उग्रवाद और नक्सलवाद को समर्थन देने के लिए सुप्रीम कोर्ट जैसे मंच का उपयोग किया.

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