Premanand Maharaj: मां दुर्गा और राधा रानी में क्या अंतर है? प्रेमानंद महाराज का जवाब वायरल
प्रेमानंद जी महाराज
Premanand Maharaj: इन दिनों देश भर में शारदीय नवरात्रि की धूम है. सनातन धर्म में शक्ति की प्रतीक मां दुर्गा और राधा रानी दोनों प्रमुख देवी हैं. देवी मां के इन स्वरूपों को अलग-अलग माना जाता है और महत्व भी अलग है. ऐसे में प्रेमानंद महाराज जी से मां दुर्गा और राधा रानी में अंतर को लेकर सवाल पूछा गया. जानिए उन्होंने जवाब में क्या कहा-
मां दुर्गा और राधा रानी में क्या अंतर है?
मथुरा-वृंदावन स्थित प्रेमानंद महाराज के आश्रम में एक भक्त ने सवाल पूछा – ‘राधा रानी और मां दुर्गा में क्या अंतर है?’ इस सवाल का जवाब देते हुए प्रेमानंद महाराज जी ने कहा- ‘राधा रानी और मां दुर्गा में बहुत सूक्ष्म अंतर है और वह है प्रेम का. मां दुर्गा आद्याशक्ति हैं, रुद्ररूपिणी हैं और वीर भाव की देवी हैं. जबकि हमारी राधा रानी महाप्रेम की मूर्ति हैं, जहां सिर्फ और सिर्फ प्रेम की बात होती है. राधा रानी नीलकमल पर विराजमान होती हैं, जबकि मां दुर्गा को अष्टभुजा, सोलह भुजा या बत्तीस भुजा रूप में दर्शाया जाता है, जो शक्ति का प्रतीक हैं.’
‘दोनों एक ही हैं’
उन्होंने आगे कहा- ‘राधा रानी और मां दुर्गा की शक्ति मूल रूप से एक ही है, लेकिन जब बात प्रेम की आती है तो फर्क साफ दिखाई देता है. राधा रानी के चरणों में फूल बिछाए जाते हैं और यह भय रहता है कि कहीं किशोरी जी के चरणों में कोई कांटा न लग जाए. वहीं मां दुर्गा राक्षसों के गले पर पैर रखकर लंबी जीभ निकालती हैं. यही अंतर है इन दोनों शक्तियों में.’
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बता दें कि राधा रानी को भगवान श्रीकृष्ण की अनन्य प्रेमिका और उनकी आत्मा कहा जाता है. उनका जीवन से हमें संदेश मिलता है कि भगवान तक पहुंचने के लिए सबसे सुंदर मार्ग प्रेम और समर्पण है. राधा रानी का स्वरूप कोमल, करुणामयी और भक्तिभाव से पूर्ण है. यही वजह है कि उन्हें भक्ति की देवी कहा जाता है. जबकि मां दुर्गा शक्ति और पराक्रम की देवी मानी जाती हैं, जिन्हें आदिशक्ति भी कहा जाता है. दुर्गा मां का स्वरूप तेजस्वी है. वह शक्ति की प्रतीक हैं. मां दुर्गा शस्त्रों से सुसज्जित होकर सिंह पर विराजित होती हैं.