पंजाब की बाढ़ ने बिहार के प्रवासी मजदूरों का छीना रोजगार, हरियाणा-दिल्ली की ओर कर रहे पलायन

Bihar Migrant Laborers: पंजाब में आई बाढ़ ने खेतों को जलमग्न कर दिया, जिससे बिहार से आए प्रवासी मजदूर काम नहीं कर पा रहे हैं. उनकी कमाई ठप हो गई है और परिवार चलाने की जिम्मेदारी ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है.
Bihar Punjab migration

बिहार के प्रवासी मजदूरों पर बाढ़ की मार

Punjab Flood Migrant Crisis: पंजाब में आई विनाशकारी बाढ़ ने न केवल स्थानीय लोगों, बल्कि बिहार के हजारों प्रवासी मजदूरों की जिंदगी को भी संकट में डाल दिया है. सुपौल, सहरसा और मधुबनी जैसे जिलों से धान की रोपाई के लिए पंजाब पहुंचे मजदूर अब बाढ़ के कारण बेरोजगार हो गए हैं. खेतों में पानी भरने से उनकी कमाई ठप है और उम्मीदें टूट चुकी हैं. मजबूरी में ये मजदूर अब हरियाणा और दिल्ली की ओर पलायन कर रहे हैं.

पंजाब में इस मानसून की बाढ़ ने 1988 के बाद सबसे भीषण रूप धारण किया है, जिसने पूरे राज्य के 23 जिलों को अपनी चपेट में ले लिया है. इस आपदा में अब तक 30 लोगों की जान जा चुकी है और 1400 से अधिक गांव पानी में डूब गए हैं, जिससे 3.5 लाख से ज्यादा लोग प्रभावित हुए हैं. राज्य सरकार ने पूरे पंजाब को आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर दिया है और सभी सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी हैं. स्कूल-कॉलेज 7 सितंबर तक बंद हैं.

प्रवासी मजदूरों पर प्रभाव बाढ़ की मार

पंजाब में धान की रोपाई और कटाई के लिए बिहार के सुपौल, सहरसा और मधुबनी जैसे जिलों से हजारों प्रवासी मजदूर हर साल आते हैं. यह मौसमी काम उनकी आजीविका का प्रमुख स्रोत है. हालांकि, इस बार बाढ़ ने खेतों को जलमग्न कर दिया, जिससे ये मजदूर काम नहीं कर पा रहे हैं. उनकी कमाई ठप हो गई है और परिवार चलाने की जिम्मेदारी ने उन्हें गहरे संकट में डाल दिया है. सहरसा जंक्शन इन दिनों उन मजदूरों से भरा है जो पंजाब से लौटकर अब नए ठिकानों की तलाश में हैं.

मजदूरों की व्यथा

सहरसा जिले के महिषी गांव के अर्जुन कुमार ने बताया कि वह अमृतसर में मजदूरी करते थे, लेकिन बाढ़ ने उनके सारे रास्ते बंद कर दिए. उन्होंने कहा- ‘मेरे कई साथी अभी भी पंजाब में फंसे हैं. वहां बिजली की कमी है, मोबाइल चार्ज नहीं हो पा रहा, जिससे संपर्क टूट गया है. अब मैं हरियाणा जा रहा हूं, क्योंकि परिवार तो चलाना ही है.’ इसी तरह, अशोक नामक एक अन्य मजदूर ने बताया कि बाढ़ ने उनके खेतों को डुबो दिया और अब वह अपने साथियों से संपर्क नहीं कर पा रहे.

हरियाणा और दिल्ली की ओर पलायन

काम की कमी और आजीविका के संकट ने बिहार के मजदूरों को पंजाब छोड़कर हरियाणा और दिल्ली जैसे राज्यों की ओर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया है. ये मजदूर निर्माण कार्य, फैक्ट्रियों या अन्य दिहाड़ी मजदूरी की तलाश में हैं. हालांकि, नए स्थानों पर काम की अनिश्चितता और वहां की कठिन परिस्थितियां उनके लिए नई चुनौतियां ला रही हैं. बिहार के लगभग 80% मजदूर रोजगार के अभाव में पलायन करते हैं, और यह बाढ़ इस समस्या को और गहरा रही है.

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बिहार सरकार की पहल

बिहार सरकार ने प्रवासी मजदूरों के लिए ‘बिहार राज्य प्रवासी मजदूर दुर्घटना अनुदान योजना’ शुरू की है, जो दुर्घटना में मृत्यु होने पर 2 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान करती है. इसका उद्देश्य पलायन के दौरान होने वाली दुर्घटनाओं से प्रभावित परिवारों को आर्थिक सहायता देना है. हालांकि, इस योजना की जानकारी बहुत कम मजदूरों तक पहुंची है, जिससे इसका लाभ सीमित रहा है.

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