‘स्वदेशी और आत्मनिर्भरता को अपनाना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है…’ RSS प्रमुख मोहन भागवत ने टैरिफ पर दिया मंत्र

Mohan Bhagwat: RSS संगठन के 100 साल पूरे होने पर नागपुर स्थित मुख्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस दौरान RSS प्रमुख मोहन भागवत ने डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ युद्ध छेड़ने के बीच एक मंत्र दिया. उन्होंने कहा कि स्वदेशी वस्तुओं और आत्मनिर्भरता को अपनाना ही आगे बढ़ने का एकमात्र रास्ता है.
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RSS प्रमुख मोहन भागवत

Mohan Bhagwat: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के 100 साल पूरे हो गए हैं. संघ के 100 साल पूरे होने पर नागपुर स्थित RSS मुख्यालय में कार्यक्रम का आयोजन किया गया. इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ प्रमुख मोहन भागवत ने स्वदेशी अपनाने का मंत्र दिया. साथ ही उन्होंने कहा कि आपस में जुड़ी दुनिया में, व्यापारिक साझेदारों पर भारत की निर्भरता लाचारी में नहीं बदलनी चाहिए और देश को स्वदेशी उत्पादन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए.

मोहन भागवत ने कहा, “अमेरिका ने टैरिफ नीति अपने फायदे के लिए अपनाई होगी. विश्व का जीवन निर्भरता से चलता है. अकेला राष्ट्र आइसोलेशन में जी नहीं सकता है. निर्भरता मजबूरी में ना बदले, इसलिए हमें स्वदेशी और स्वावलंबी होगा पड़ेगा. इसका कोई पर्याय नहीं है.”

महात्मा गांधी को किया याद

मोहन भागवत ने कहा,” ये वर्ष श्री गुरु तेग बहादुर जी के बलिदान का सढ़े तीन सौ वर्ष है…जिन्होंने अत्याचार, अन्याय और सांप्रदायिक भेदभाव से समाज के मुक्ती के लिए अपना सर्वोच्च बलिदान दिया और समाज की रक्षा की ऐसी एक विभूति उनका समरण इस वर्ष होगा. आज 2 अक्टूबर है तो स्वर्गीय महात्मा गांधी की जयंती है अपने स्वतंत्रता की लड़ाई में उनका योगदान अविस्मरणीय है. लेकिन स्वतंत्रता के बाद भारत कैसा हो उसके बारे में विचार देने वाले हमारे उस समय के दार्शनिक नेता थे उनमें उनका स्थान अग्रणीय हैं, जिन्होंने देश के लिए अपने प्राण दिए ऐसे स्वर्गीय लाल बहादुर शास्त्री का आज जयंती है. भक्ति, देश सेवा के ये उत्तम उदाहरण हैं.”

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पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी समारोह में हुए शामिल

आरएसएस अपने संगठन के 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रहा है. इस दौरान पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भी विजयदशमी के अवसर पर समारोह में हिस्सा लिया. पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा, “संघ में व्याप्त समरसता और समानता तथा जाति भेद से पूरी तरह मुक्त व्यवहार को देखकर महात्मा गांधी भी बहुत प्रभावित हुए थे. जिसका विस्तृत विवरण संपूर्ण गांधी वांग्मय में मिलता है. गांधी जी ने 16 सितंबर 1947 को दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के रैली को संबोधित किया था और कहा था कि वह परसों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार के जीवनकाल में संघ के शिविर में गए थे गांधी जी शिविर के अनुशासन, सादगी और छुआछूत की पूर्ण समाप्ति को देखकर अत्यंत प्रभावित हुए थे.”

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